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- Manish Tewari Said Will Raise Voice In Parliament For Representation In Rajya Sabha, Appeal To Amit Shah Government Should Adopt His Demand
जालंधरएक घंटा पहले
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केंद्र शासित प्रदेश चंडीगढ़ को भी राज्यसभा में प्रतिनिधित्व मिले, इसके लिए रूपनगर से सांसद मनीष तिवारी शीघ्र ही लोकसभा में एक निजी बिल लेकर आ रहे हैं। उन्होंने बिल का जो ड्राफ्ट तैयार किया है, उसमें साफ तौर पर कहा कि केंद्र शासित प्रदेशों को भी राज्य का दर्जा प्राप्त है। यदि केंद्र शासित प्रदेश से सांसद का चुनाव हो सकता है तो फिर राज्यसभा के लिए यहां से प्रतिनिधि क्यों नहीं चुना जा सकता।
सरकारी बिल लाने की मांग
मनीष तिवारी ने ड्राफ्ट किए गए बिल की कापी केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को भेजते हुए पत्र भी लिखा है। मांग की है कि वह उनके बिल को सरकार का बिल मानकर लोकसभा में लेकर आएं और इस असमानता को दूर करें। केंद्र शासित प्रदेशों को भी राज्यसभा में प्रतिनिधित्व दिलवाएं। ताकि केंद्र शासित प्रदेशों की आवाज भी लोकसभा के साथ-साथ राज्यसभा में बुलंद हो सके।
दिल्ली का सुझाव
उन्होंने कहा कि संविधान में राज्यों की परिषद (उच्च सदन) में केंद्र शासित प्रदेशों को भी प्रतिनिधित्व दिया जा सकता है, यदि संसद में प्रस्ताव पास कर इसे कानूनी रूप दे दिया जाए। उन्होंने दिल्ली की मेट्रोपोलिटन कौंसिल का हवाला देते हुए सुझाव दिया है। दिल्ली वर्ष 1966 से लेकर 1990 तक निर्वाचक मंडल बनाकर राज्यसभा सदस्यों को चुनती रही है। उसी तर्ज पर चंडीगढ़ की कौंसिल को भी निर्वाचक मंडल बनाकर राज्यसभा में अपना सदस्य भेजने का अधिकार दिया जा सकता है।
प्रतीकात्मक फोटो
यहां है सदस्य चुनने की परंपरा
मनीष तिवारी ने कहा कि वर्तमान में भी यदि देखा जाए तो चंडीगढ़, लद्दाख, दादरा एंड नागर हवेली, दमन एंड दीप, अंडेमान एंड निकोबार और लक्षद्वीप को छोड़कर पुडुचेरी और जम्मू-कश्मीर से राज्यसभा के लिए सदस्य चुने जाते हैं। उल्लेखनीय है मनीष तिवारी राज्य सभा में केंद्र शासित प्रदेशों को प्रतिनिधित्व का जो ड्राफ्ट तैयार किया है वह विशेष तौर पर चंडीगढ़ के प्रतिनिधित्व को लेकर है।
सुलगते सवाल
- जब केंद्र शासित प्रदेशों को स्टेट का दर्जा, लोकसभा के लिए सांसद चुने जाते हैं तो फिर राज्यसभा के लिए क्यों नहीं
- दो केंद्र शासित प्रदेशों पुडुचेरी और जम्मू-कश्मीर को राज्यसभा प्रतिनिधित्व को फिर चंडीगढ़, लद्दाख, दादरा एंड नागर हवेली, दमन एंड दीप, अंडेमान एंड निकोबार और लक्षद्वीप को क्यों नहीं
सोल्यूशन
- 1966 से लेकर 1990 तक जैसे दिल्ली की मेट्रोपोलिटन कौंसिल चुनती रही है राज्यसभा सदस्य वैसी ही व्यवस्था केंद्र शासित राज्यों में की जाए लागू
- संविधान में प्रावधान केंद्र शासित प्रदेशों को सांसद में कानून पास कर दिया जा सकता है निर्वाचक मंडल बना राज्यसभा सदस्य चुनने का अधिकार
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