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- Not A Token Fight, Many Things Can Happen: Opposition’s Vice presidential Candidate Margaret Alva
नई दिल्ली21 मिनट पहले
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विपक्ष की उपराष्ट्रपति पद की उम्मीदवार मार्गरेट अल्वा ने देश में अघोषित इमरजेंसी लगे होने की बात कही है। उन्होंने वाइस प्रेसिडेंट इलेक्शन को लेकर कहा कि यह दिखावे की लड़ाई नहीं है, बल्कि अभी बहुत कुछ हो सकता है। मार्गरेट अल्वा का कहना है कि संसद में कई चीजें ठीक नहीं चल रही हैं और अब बदलाव का समय आ गया है।
देश में उपराष्ट्रपति पद का चुनाव 6 अगस्त को होगा। मतों की गिनती उसी दिन होगी और 6 अगस्त को ही नतीजे आ जाएंगे। मौजूदा उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू का कार्यकाल 11 अगस्त को समाप्त हो रहा है। इससे पहले देश के नए उप राष्ट्रपति के चुनाव की प्रक्रिया पूरी कर ली जाएगी।
चुनाव को लेकर मार्गरेट अल्वा की 3 बड़ी बातें
- संविधान के मूल्यों को बनाए रखने के लिए यह चुनाव लड़ा जा रहा है।
- देश के संस्थानों में बड़े बदलाव हो रहे हैं, इनकी नींव बचाना जरूरी है।
- देश में इस समय बहुत कम लोग स्वतंत्र महसूस कर रहे हैं।
NDA के उम्मीदवार पर साधा निशाना
मार्गरेट अल्वा ने भाजपा के नेतृत्व वाली NDA सरकार ने जगदीप धनखड़ को लेकर कहा कि जब तक पश्चिम बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ थे, तब तक बंगाल में जो हुआ उसका पिछला रिकॉर्ड चिंता करने वाला रहा है। अल्वा ने केंद्र पर आरोप लगाते हुए कहा कि सरकार संसद में मंहगाई को लेकर बहस ही नहीं करना चाहती है। उन्होंने कहा कि मैं 30 साल से संसद की सदस्य हूं, लेकिन पहली बार देख रही हूं कि सरकार विपक्ष को पूरी तरह से चुप कराने में लगी हुई है।
अल्वा ने आगे कहा कि सरकार एक कोड लेकर आई है कि संसद में कुछ शब्दों का इस्तेमाल नहीं किया जा सकता है। इंदिरा गांधी के शासनकाल में ऐसी चीजें नहीं थीं।
मार्गरेट अल्वा ने जगदीप धनखड़ को लेकर कहा कि उनके राजयपाल रहते हुए बंगाल में जो हुआ, उसका पिछला रिकॉर्ड चिंता करने वाला रहा है।
अल्वा ने ममता से की साथ में आने की अपील
पश्चिम बंगाल की CM और तृणमूल कांग्रेस की प्रेसिडेंट ममता बनर्जी ने वोटिंग से दूर रहने का ऐलान कर दिया है। इसके बाद विपक्ष के नेता उन्हें मनाने में जुट गए हैं। इधर, विपक्ष की उम्मीदवार मार्गरेट अल्वा ने भी ममता से साथ आने की अपील की है। हालांकि अल्वा के शब्दों में निराशा, अनुरोध के साथ थोड़ी तल्खी भी दिखी। अल्वा ने ममता से कहा कि मतदान से दूर रहने का टीएमसी का फैसला निराशाजनक है। यह किसी बात, अहंकार या क्रोध का समय नहीं है। यह साहस, नेतृत्व और एकता का समय है। मुझे विश्वास है कि साहस की प्रतिमूर्ति ममता विपक्ष के साथ खड़ी रहेंगीं।
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