कर्नाटक में सियासी नाटक: सिद्धारमैया के ‘शक्ति प्रदर्शन’ में जाएंगे येदियुरप्पा, भाजपा की चिंता बढ़ी; शिवकुमार बोले- कांग्रेस में व्यक्तिवादी पूजा की परंपरा नहीं

कर्नाटक में सियासी नाटक: सिद्धारमैया के ‘शक्ति प्रदर्शन’ में जाएंगे येदियुरप्पा, भाजपा की चिंता बढ़ी; शिवकुमार बोले- कांग्रेस में व्यक्तिवादी पूजा की परंपरा नहीं

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बेंगलुरुएक घंटा पहलेलेखक: विनय माधव

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कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस नेता सिद्धारमैया, भाजपा नेता पूर्व CM बीएस येदियुरप्पा के साथ। यह तस्वीर फरवरी 2020 की है। - Dainik Bhaskar

कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस नेता सिद्धारमैया, भाजपा नेता पूर्व CM बीएस येदियुरप्पा के साथ। यह तस्वीर फरवरी 2020 की है।

इस बात को महज दो महीने ही हुए हैं, जब कर्नाटक कांग्रेस की सेकंड लीडरशिप ने प्रदेश के सर्वोच्च नेता पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धारमैया और कर्नाटक कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष डीके शिवकुमार में सुलह कराई गई थी। लेकिन, अब फिर दोनों नेताओं में वर्चस्व की लड़ाई के संकेत दिख रहे हैं। सिद्धारमैया अगले महीने तीन तारीख को 75 साल के हो रहे हैं। इस मौके पर दावणगेरे जिले में समर्थक ‘सिद्धारमैया उत्सव’ करने जा रहे हैं।

दोनों कार्यक्रमों को लेकर कांग्रेस के लिए अच्छी बात यह है कि ‘सिद्धारमैया उत्सव’ में कद्दावर भाजपा नेता, पूर्व सीएम बीएस येदियुरप्पा शिरकत करेंगे। दो वरिष्ठ कांग्रेसियों की आपसी जंग में भाजपा की एंट्री के कई कयास लगाए जा रहे हैं। दरअसल, मुख्यमंत्री पद से हटने के बाद से येदियुरप्पा पार्टी के शीर्ष नेताओं से खफा हैं। वे चाहते थे कि कोई गैर-लिंगायत नेता उनका उत्तराधिकारी बने, ताकि लिंगायत वोटबैंक उनके पक्ष में बना रहे।

मेगा शो में जुटेंगे 5 लाख से अधिक लोग
मेगा शो में 5 लाख से अधिक लोग जुटने की उम्मीद है। इसके बाद, डीके शिवकुमार ने 15 अगस्त से तिरंगा यात्रा निकालने का ऐलान किया है। इसमें 10 लाख से अधिक लोगों के जुटने की बात कही है। 12 दिन के अंतराल में होने वाले दोनों कार्यक्रमों में कांग्रेस नेता राहुल गांधी को न्योता भेजा गया है।

तिरंगा यात्रा की घोषणा के बाद शिवकुमार ने सिद्धारमैया पर निशाना साधते हुए कहा कि कांग्रेस जन नेतृत्व में विश्वास करती है, न कि व्यक्ति विशेष की पूजा में। उनका इशारा सिद्धारमैया को कर्नाटक कांग्रेस का एकमात्र नेता बताए जाने को लेकर था।

येदियुरप्पा अपने बेटे को डिप्टी CM बनाना चाहते थे
हालांकि पार्टी ने लिंगायत समुदाय से आने वाले बसवराज बोम्मई को सीएम बनाया। दूसरा, येदि चाहते थे कि उनके बेटे बीवाई विजयेंद्र को डिप्टी सीएम बनाया जाए हालांकि केंद्रीय नेतृत्व ने विजयेंद्र को चरणबद्ध तरीके से बढ़ाकर 2023 के चुनाव लड़ाने के संकेत दिए। येदियुरप्पा की ताकत का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि जब 2013 में उन्होंने पार्टी छोड़ दी थी, तब भाजपा 40 सीट पर सिमट गई थी।

उस समय, सिद्धारमैया की अल्पसंख्यक, पिछड़े और दलित वर्ग में खासी पैठ थी। उन्होंने भाजपा के लिंगायत वोट बैंक में बड़ी सेंधमारी की थी। अब न येदियुरप्पा लिंगायत वोट बैंक पर पकड़ रखते हैं, न सिद्धारमैया अल्पसंख्यक, पिछड़े और दलित मतदाताओं में उतनी पैठ रखते हैं।

हिजाब विवाद के बाद से बदल गए समीकरण
जब तक कर्नाटक में हिजाब विवाद शुरू नहीं हुआ, तब तक सब ठीक था। कांग्रेस सत्ता विरोधी लहर पर सवार थी। फिर अचानक हिंदुत्व के मुद्दे के चलते गेंद भाजपा के पाले में चली गई। ऐसे में कांग्रेस में शीर्ष नेताओं के बीच टशन पार्टी को कमजोर कर सकती है। पांच बार के सांसद और मजबूत दलित नेता केएच मुनियप्पा पार्टी नेताओं से खफा हैं, क्योंकि सिद्धारमैया के समर्थक केआर रमेश कुमार ने उनके दो धुर विरोधियों को पार्टी में शामिल करवा दिया।

कयास हैं कि उनके विरोधियों को नहीं निकाला गया तो वे जदएस में शामिल हो सकते हैं। अभी तक दलित और वोक्कालिगा प्रभाव वाले इस क्षेत्र में कांग्रेस-जदएस आमने-सामने रहे हैं। दूसरी तरफ, भाजपा ने कांग्रेस के दो शक्तिशाली पूर्व विधायकों को अपनी तरफ किया है, जबकि जदएस का यहां पहले से दबदबा रहा है। यह कांग्रेस के लिए समस्या का कारण बन सकता है।

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