जब महिला 1857 की क्रांति के बांटने लगी पर्चे: कुलपति रह चुकी हैं, कहा-देश में एक और आंदोलन की जरूरत, लोगों ने किया जज्बे को सलाम

जब महिला 1857 की क्रांति के बांटने लगी पर्चे: कुलपति रह चुकी हैं, कहा-देश में एक और आंदोलन की जरूरत, लोगों ने किया जज्बे को सलाम

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लखनऊ19 मिनट पहले

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लखनऊ की सड़क पर एक बुजुर्ग महिला पर्चे बांट रही थी। किसी ने इसका वीडियो सोशल मीडिया पर अपलोड कर दिया। वीडियो अब तेजी से वायरल हो रहा है। क्योंकि पर्चे बांटने वाली महिला कोई आम महिला नहीं, बल्कि लखनऊ यूनिवर्सिटी की पूर्व कुलपति प्रोफेसर रूपरेखा वर्मा हैं। 79 साल की उम्र में प्रो. वर्मा के जोश और जज्बे को देख कर सोशल मीडिया पर लोग उनकी तारीफ रहे हैं।

1857 की क्रांति से जुड़ी है ये जगह

लखनऊ की जिस जगह पर प्रोफेसर रूपरेखा वर्मा पर्चे बांट रही थीं, उनका संबंध 1857 के पहले स्वतंत्रता संग्राम से है। 30 जून 1857 को चिनहट में अंग्रेजी फौज और भारतीय विद्रोहियों के बीच लड़ाई हुई थी। इस युद्ध में आम लोगों की फौज ने हथियारों से लैस अंग्रेजों को मार भगाया था। प्रो. रूपरेखा वर्मा इसी युद्ध और लखनऊ के गौरवशाली इतिहास से जुड़ा पर्चा बांट रही थीं। वो सड़क से आने-जाने वाले हर किसी को रोक-रोक कर पर्चे दे रही थीं।

लोग बोले- ऐसे ही लोगों से दुनिया चल रही है

प्रो. वर्मा की इस लगन को देख कर सोशल मीडिया पर लोग उनके मुरीद हो गए। फेसबुक पर एक यूजर ने लिखा कि ‘आप जैसे लोगों की वजह से ही दुनिया कायम है।’ दूसरे यूजर ने प्रो. वर्मा को सच्चा देशभक्त बताया।

एक ऐसे ही फेसबुक पोस्ट पर प्रोफेसर रूपरेखा वर्मा की उम्र 77 साल बताते हुए उनकी तारीफ की गई थी। जिसका जवाब देते हुए खुद प्रो. वर्मा में मजाकिया अंदाज में लिखा कि ‘मेरी उम्र 3 साल कम बताने के लिए शुक्रिया। अब मैं 70 का महसूस कर रही हूं।’

महिला अधिकारों की मुखर हिमायती हैं प्रो. वर्मा

प्रोफेसर रूपरेखा वर्मा लखनऊ विश्वविद्यालय में लंबे समय तक फिलॉसफी की प्रोफेसर और विभागाध्यक्ष रही हैं। रिटायर होने के बाद वो महिलाओं के अधिकारों के लिए काम करती हैं। प्रो. वर्मा महिला से जुड़े विषयों पर अपनी मुखर राय रखने के लिए जानी जाती हैं।

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