मंत्रिमंडल विस्तार: केंद्रीय मंत्रिपरिषद में पिछड़ा वर्ग, दलितों और महिलाओं का बढ़ा प्रतिनिधित्व

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने केंद्रीय मंत्रिपरिषद में बुधवार (सात जुलाई) शाम अपने दूसरे कार्यकाल में कैबिनेट का पहला सबसे बड़ा विस्तार किया। इस दौरान 43 मंत्रियों को शपथ दिलाई गई, जिनमें 15 कैबिनेट मंत्री शामिल हैं। इसके अलावा बाकी 28 नेताओं को राज्य मंत्री की शपथ दिलाई गई, जिनमें सात महिला नेता भी शामिल हैं। 

केंद्रीय मंत्रिपरिषद में किए गए व्यापक फेरबदल और विस्तार में पिछड़ा वर्ग, दलितों, जनजातीय समुदाय के प्रतिनिधियों और महिलाओं का प्रतिनिधित्व जहां बढ़ाया है वहीं उत्तर प्रदेश जैसे चुनावी दृष्टि से अहम राज्यों को खासा तवज्जो दी है।

इस फेरबदल और विस्तार में प्रधानमंत्री ने 12 मंत्रियों को बाहर का रास्ता दिखाते हुए युवा व अनुभवी नेताओं के मिश्रण को तरजीह दी है और इसके जरिए शासन को और मजबूती प्रदान करने की कोशिश की है। प्रधानमंत्री की इस नई टीम में पीढ़ीगत बदलाव भी देखने को मिला जब केंद्रीय मंत्रिमंडल हर्षवर्धन, रमेश पोखरियाल निशंक, रविशंकर प्रसाद, प्रकाश जावड़ेकर, सदानंद गौड़ा और संतोष गंगवार को बाहर का रास्ता दिखा दिया गया और नए चेहरों को इसमें शामिल किया गया।

उत्तर प्रदेश से सबसे अधिक सात मंत्रियों को मंत्रिपरिषद में जगह
वर्तमान मंत्रिपरिषद में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह एकमात्र ऐसे सदस्य हैं जिन्होंने 1998 और 2004 की तत्कालीन वाजपेयी सरकारों में भी काम किया है। इस विस्तार में भाजपा ने अपने बढ़ते भौगोलिक जनाधार का भी विशेष ख्याल रखा है। उत्तर प्रदेश से सबसे अधिक सात मंत्रियों को मंत्रिपरिषद में जगह दी गई है। इनमें से अधिकांश आरक्षित जाति समुदाय से आते हैं। गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश में अगले साल विधानसभा चुनाव होने हैं।

जिन 36 नए चेहरों को मंत्रिपरिषद में शामिल किया गया है उनमें उत्तर प्रदेश के बाद सबसे अधिक प्रतिनिधित्व पश्चिम बंगाल, कर्नाटक और महाराष्ट्र को मिला है। इन राज्यों से चार-चार सांसदों को मंत्रिपरिषद में जगह दी गई है।

गुजरात से तीन, मध्यप्रदेश, बिहार और ओड़िशा से दो-दो नेताओं को मंत्री बनाया गया है जबकि उत्तराखंड, झारखंड, त्रिपुरा, नयी दिल्ली, असम, राजस्थान, मणिपुर और तमिलनाडु से एक-एक नेता को मंत्रिपरिषद में जगह मिली है। इनमें से अधिकांश को राज्यमंत्री बनाया गया है। सात राज्यमंत्रियों को पदोन्नत कर कैबिनेट मंत्री बनाया गया है। इनमें अनुराग सिंह ठाकुर, जी किशन रेड्डी, आरके सिंह और हरदीप सिंह पुरी भी शामिल हैं।

भूपेंद्र यादव एकमात्र ऐसे मंत्री हैं जिन्हें अभी तक कोई प्रशासनिक अनुभव नहीं रहा है। वह अभी तक भाजपा संगठन का काम देखते रहे हैं। हालांकि पिछले कुछ वर्षें में एक सांसद के रूप में अपनी एक विशेष पहचान बनाई है। प्रधानमंत्री ने इस विस्तार में त्रिपुरा और मणिपुर जैसे छोटे राज्यो को भी जगह दी है। दोनों ही राज्यों में भाजपा की सरकारें हैं।

सहयोगी दलों का ध्यान रखते हुए इस विस्तार में बिहार से जनता दल यूनाइटेड (जदयू) और लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) के पारस गुट से पशुपति कुमार पारस को कैबिनेट मंत्री बनाया गया है। दोनों बिहार से ताल्लुक रखते हैं।

सात महिलाओं को इस मंत्रिपरिषद विस्तार में जगह दी गई है। इन सात महिला मंत्रियों के अलावा वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण, महिला एवं बाल विकास मंत्री स्मृति ईरानी और राज्य मंत्री साध्वी निरंजन ज्योति और रेणुका सिंह सरूता पहले से ही मंत्रिपरिषद में शामिल हैं। अब केंद्रीय मंत्रिपरिषद में महिला मंत्रियों की कुल संख्या 11 हो गई है।

इससे पहले, बुधवार सुबह ही महिला एवं बाल विकास राज्य मंत्री देबश्री चौधरी ने इस्तीफा दिया। मंत्रिपरिषद विस्तार से पहले जिन मंत्रियों ने इस्तीफा दिया उनमें वह भी शामिल थीं। नरेंद्र मोदी सरकार के पहले कार्यकाल के दौरान मंत्रिपरिषद में नौ महिला मंत्री थीं जिनमें छह कैबनेट थीं।

आज कुल 15 सदस्यों ने कैबिनेट मंत्री के रूप में और 28 ने राज्यमंत्री के रूप में शपथ ली। प्रधानमंत्री के रूप में मई 2019 में 57 मंत्रियों के साथ अपना दूसरा कार्यकाल आरंभ करने के बाद मोदी ने पहली बार केंद्रीय मंत्रिपरिषद में फेरबदल व विस्तार किया है।

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