मऊ : जिला जज ने मुख्यमंत्री आदित्यनाथ को जारी किया नोटिस, बजरंगबली पर की थी टिप्पणी

मऊ : जिला जज ने मुख्यमंत्री आदित्यनाथ को जारी किया नोटिस, बजरंगबली पर की थी टिप्पणी

अमर उजाला नेटवर्क, मऊ
Published by: उत्पल कांत
Updated Wed, 23 Mar 2022 12:53 AM IST

सार

एसीजेएम/एमपी एमएलए कोर्ट के आदेश के विरूद्ध जिला जज की कोर्ट में निगरानी दाखिल, सुनवाई के लिए 26 अप्रैल की तिथि तय की गई है। 
 

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मऊ में जिला एवं सत्र न्यायाधीश रामेश्वर ने अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट/ एमपीएमएलए कोर्ट श्वेता चौधरी के आदेश के विरुद्ध दाखिल निगरानी को स्वीकार कर लिया है। न्यायाधीश ने इस मामले में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को नोटिस जारी किया है। सुनवाई के लिए 26 अप्रैल की तिथि तय की है।

 दोहरीघाट निवासी नवल किशोर शर्मा ने एक परिवाद दाखिल किया था। इसमें मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को आरोपी बनाते हुए विचारण के लिए तलब करने का अनुरोध किया था। उनका कहना है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ प्रभावशाली राजनीतिक व्यक्ति एवं गोरक्षपीठ के महंत हैं। उनका वक्तव्य देश, प्रदेश तथा प्रत्येक धर्म, जाति वर्ग एवं समुदाय के लिए महत्व रखता है।

आरोप है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने राजस्थान में 28 नवंबर 2018 को अलवर जिले के मालाखेड़ा में सार्वजनिक सभा में कहा था कि बजरंगबली ऐसे लोक देवता हैं, जो स्वयं बनवासी हैं, गिरवासी हैं, दलित हैं, वंचित हैं। उनके इस भाषण से परिवादी की धार्मिक भावनाओं को ठेस लगी है।

बजरंगबली में आस्था रखने वाले समुदायों की भावना भी आहत हुई है। अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट/ एमपीएमएलए कोर्ट श्वेता चौधरी ने सुनवाई के बाद 11 मार्च को परिवाद खारिज कर दिया था। उन्होंने कहा था कि  घटनास्थल राजस्थान में है। जनपद मऊ में इस न्यायालय को यह परिवाद सुनने का क्षेत्राधिकार नहीं है। इस आदेश के विरुद्ध नवलकिशोर शर्मा ने मंगलवार को जिला जज की कोर्ट में निगरानी दाखिल किया।

विस्तार

मऊ में जिला एवं सत्र न्यायाधीश रामेश्वर ने अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट/ एमपीएमएलए कोर्ट श्वेता चौधरी के आदेश के विरुद्ध दाखिल निगरानी को स्वीकार कर लिया है। न्यायाधीश ने इस मामले में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को नोटिस जारी किया है। सुनवाई के लिए 26 अप्रैल की तिथि तय की है।

 दोहरीघाट निवासी नवल किशोर शर्मा ने एक परिवाद दाखिल किया था। इसमें मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को आरोपी बनाते हुए विचारण के लिए तलब करने का अनुरोध किया था। उनका कहना है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ प्रभावशाली राजनीतिक व्यक्ति एवं गोरक्षपीठ के महंत हैं। उनका वक्तव्य देश, प्रदेश तथा प्रत्येक धर्म, जाति वर्ग एवं समुदाय के लिए महत्व रखता है।

आरोप है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने राजस्थान में 28 नवंबर 2018 को अलवर जिले के मालाखेड़ा में सार्वजनिक सभा में कहा था कि बजरंगबली ऐसे लोक देवता हैं, जो स्वयं बनवासी हैं, गिरवासी हैं, दलित हैं, वंचित हैं। उनके इस भाषण से परिवादी की धार्मिक भावनाओं को ठेस लगी है।

बजरंगबली में आस्था रखने वाले समुदायों की भावना भी आहत हुई है। अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट/ एमपीएमएलए कोर्ट श्वेता चौधरी ने सुनवाई के बाद 11 मार्च को परिवाद खारिज कर दिया था। उन्होंने कहा था कि  घटनास्थल राजस्थान में है। जनपद मऊ में इस न्यायालय को यह परिवाद सुनने का क्षेत्राधिकार नहीं है। इस आदेश के विरुद्ध नवलकिशोर शर्मा ने मंगलवार को जिला जज की कोर्ट में निगरानी दाखिल किया।

एसीजेएम/एमपी एमएलए कोर्ट के आदेश के विरूद्ध जिला जज की कोर्ट में निगरानी दाखिल, सुनवाई के लिए 26 अप्रैल की तिथि तय की गई है। 

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