महाराष्ट्र विधान परिषद चुनाव : राज्यसभा में मात खाने के बाद एमवीए सजग, अजित पवार का दावा- एमएलसी चुनाव में होगा चमत्कार

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महाराष्ट्र में पिछले सप्ताह हुए राज्यसभा चुनाव में मात खाने के बाद शिवसेना नीत महा विकास आघाड़ी (एमवीए) सरकार सजग है। उपमुख्यमंत्री अजीत पवार ने कहा कि राज्यसभा चुनाव के वक्त जो चूक हुई थी, वह इस बार नहीं होगी। इस बार उम्मीदवारों का कोटा ज्यादा रखने का प्रयास होगा। ख्याल रखा जाएगा कि कोई वोट अवैध न हो।

वहीं मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, राज्यसभा चुनाव में शिवसेना की हार ने महाविकास अघाड़ी के सहयोगियों के बीच दूरी बढ़ा दी है। जिससे एमएलसी चुनावों का समीकरण गड़बड़ा गया है। शिवसेना ने स्पष्ट कह दिया है कि वह अपने वोट किसी को ट्रांसफर नहीं करेगी। इस बात से कांग्रेस की मुश्किलें बढ़ गई हैं। बता दें कि राज्यसभा चुनाव में महाराष्ट्र में भाजपा ने शिवसेना उम्मीदवार को शिकस्त देते हुए छठवीं सीट जीत ली थी। इसके पीछे वजह यह मानी जा रही है कि कांग्रेस ने अपने वोट शिवसेना को ट्रांसफर नहीं किए। 

10 सीटों के लिए 11 उम्मीदवार
महाराष्ट्र में 10 सीटों के लिए 20 जून को होने वाले विधान परिषद चुनाव में 11 उम्मीदवार हैं। इनमें एक की हार तय है। शिवसेना, कांग्रेस और एनसीपी (एमवीए) ने दो-दो उम्मीदवार उतारे हैं, जबकि भाजपा के पांच प्रत्याशी मैदान में हैं। उपमुख्यमंत्री ने कहा कि हमारे दो विधायकों को मतदान की अनुमति नहीं मिली है, लेकिन इसकी भरपाई हम निर्दलीयों से करेंगे। फिलहाल 284 विधायकों के मतदान करने की उम्मीद है। वहीं, प्रदेश भाजपा अध्यक्ष चंद्रकांत पाटिल ने दावा किया कि एमवीए के आपसी विवाद का फायदा भाजपा को मिलेगा और पार्टी के सभी पांच उम्मीदवार जीतेंगे।

विधान परिषद चुनाव में शिवसेना और एनसीपी के उम्मीदवार तो आसानी से जीतते दिखाई दे रहे हैं, लेकिन पेंच फंस रहा है भाजपा और कांग्रेस के बीच। अभी तक न तो शिवसेना और न ही इसके मुखिया उद्धव ठाकरे ने महाविकास अघाड़ी गठबंधन के सभी छह उम्मीदवारों को जिताने के लिए कोई संयुक्त योजना जारी नहीं की है।

सभी दल अपना वोट जुटाएंगे
जब संजय राउत पूछा गया कि क्या वह अपने अतिरिक्त वोट कांग्रेस को ट्रांसफर करेंगे उनका जवाब था कि हम अपने वोट अपने उम्मीदवारों के लिए सुरक्षित रखना सुनिश्चित करेंगे। सभी पार्टियां खुद से अपने उम्मीदवारों के लिए वोट जुटाएंगी। 

विधान परिषद चुनाव में होते रहे हैं चमत्कार
उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने दावा किया कि विधान परिषद चुनाव में चमत्कार होगा। इस चुनाव में चमत्कार होते रहे हैं। साल 1996 में विधान परिषद की नौ सीटों के चुनाव में पूर्व मुख्यमंत्री विलासराव देशमुख निर्दलीय लाल सिंह राठौड़ से 0.59 वोट से हार गए थे। 1995 में लातूर से विधानसभा चुनाव हारने के बाद देशमुख को कांग्रेस ने टिकट नहीं दिया तो वह शिवसेना के समर्थन से निर्दलीय मेदान में उतरे थे। 

महाराष्ट्र में 11 बार विधानसभा चुनाव जीतने वाले गणपतराव देशमुख भी 1995 में शेतकारी (किसान) कामगार पार्टी से 1996 में विधान परिषद चुनाव लड़े थे। क्रॉस वोटिंग के कारण वह हार गए थे। 2008 में हुए विधान परिषद चुनाव में कांग्रेस के पास पर्याप्त वोट होने के बावजूद पार्टी उम्मीदवार सुधाकर गणगणे हार गए थे। वहीं, वर्ष 2010 में मौजूदा परिवहन मंत्री अनिल परब को भी विधान परिषद चुनाव में हार का सामना करना पड़ा था।

विस्तार

महाराष्ट्र में पिछले सप्ताह हुए राज्यसभा चुनाव में मात खाने के बाद शिवसेना नीत महा विकास आघाड़ी (एमवीए) सरकार सजग है। उपमुख्यमंत्री अजीत पवार ने कहा कि राज्यसभा चुनाव के वक्त जो चूक हुई थी, वह इस बार नहीं होगी। इस बार उम्मीदवारों का कोटा ज्यादा रखने का प्रयास होगा। ख्याल रखा जाएगा कि कोई वोट अवैध न हो।

वहीं मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, राज्यसभा चुनाव में शिवसेना की हार ने महाविकास अघाड़ी के सहयोगियों के बीच दूरी बढ़ा दी है। जिससे एमएलसी चुनावों का समीकरण गड़बड़ा गया है। शिवसेना ने स्पष्ट कह दिया है कि वह अपने वोट किसी को ट्रांसफर नहीं करेगी। इस बात से कांग्रेस की मुश्किलें बढ़ गई हैं। बता दें कि राज्यसभा चुनाव में महाराष्ट्र में भाजपा ने शिवसेना उम्मीदवार को शिकस्त देते हुए छठवीं सीट जीत ली थी। इसके पीछे वजह यह मानी जा रही है कि कांग्रेस ने अपने वोट शिवसेना को ट्रांसफर नहीं किए। 

10 सीटों के लिए 11 उम्मीदवार

महाराष्ट्र में 10 सीटों के लिए 20 जून को होने वाले विधान परिषद चुनाव में 11 उम्मीदवार हैं। इनमें एक की हार तय है। शिवसेना, कांग्रेस और एनसीपी (एमवीए) ने दो-दो उम्मीदवार उतारे हैं, जबकि भाजपा के पांच प्रत्याशी मैदान में हैं। उपमुख्यमंत्री ने कहा कि हमारे दो विधायकों को मतदान की अनुमति नहीं मिली है, लेकिन इसकी भरपाई हम निर्दलीयों से करेंगे। फिलहाल 284 विधायकों के मतदान करने की उम्मीद है। वहीं, प्रदेश भाजपा अध्यक्ष चंद्रकांत पाटिल ने दावा किया कि एमवीए के आपसी विवाद का फायदा भाजपा को मिलेगा और पार्टी के सभी पांच उम्मीदवार जीतेंगे।

विधान परिषद चुनाव में शिवसेना और एनसीपी के उम्मीदवार तो आसानी से जीतते दिखाई दे रहे हैं, लेकिन पेंच फंस रहा है भाजपा और कांग्रेस के बीच। अभी तक न तो शिवसेना और न ही इसके मुखिया उद्धव ठाकरे ने महाविकास अघाड़ी गठबंधन के सभी छह उम्मीदवारों को जिताने के लिए कोई संयुक्त योजना जारी नहीं की है।

सभी दल अपना वोट जुटाएंगे

जब संजय राउत पूछा गया कि क्या वह अपने अतिरिक्त वोट कांग्रेस को ट्रांसफर करेंगे उनका जवाब था कि हम अपने वोट अपने उम्मीदवारों के लिए सुरक्षित रखना सुनिश्चित करेंगे। सभी पार्टियां खुद से अपने उम्मीदवारों के लिए वोट जुटाएंगी। 

विधान परिषद चुनाव में होते रहे हैं चमत्कार

उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने दावा किया कि विधान परिषद चुनाव में चमत्कार होगा। इस चुनाव में चमत्कार होते रहे हैं। साल 1996 में विधान परिषद की नौ सीटों के चुनाव में पूर्व मुख्यमंत्री विलासराव देशमुख निर्दलीय लाल सिंह राठौड़ से 0.59 वोट से हार गए थे। 1995 में लातूर से विधानसभा चुनाव हारने के बाद देशमुख को कांग्रेस ने टिकट नहीं दिया तो वह शिवसेना के समर्थन से निर्दलीय मेदान में उतरे थे। 

महाराष्ट्र में 11 बार विधानसभा चुनाव जीतने वाले गणपतराव देशमुख भी 1995 में शेतकारी (किसान) कामगार पार्टी से 1996 में विधान परिषद चुनाव लड़े थे। क्रॉस वोटिंग के कारण वह हार गए थे। 2008 में हुए विधान परिषद चुनाव में कांग्रेस के पास पर्याप्त वोट होने के बावजूद पार्टी उम्मीदवार सुधाकर गणगणे हार गए थे। वहीं, वर्ष 2010 में मौजूदा परिवहन मंत्री अनिल परब को भी विधान परिषद चुनाव में हार का सामना करना पड़ा था।

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