वर्ल्ड बैंक की की रिपोर्ट में चेतावनी: भारत जल्द ऐसी गर्मी का सामना करेगा, जो इंसान की बर्दाश्त की सीमा से बाहर होगी

वर्ल्ड बैंक की की रिपोर्ट में चेतावनी: भारत जल्द ऐसी गर्मी का सामना करेगा, जो इंसान की बर्दाश्त की सीमा से बाहर होगी

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  • India Will Soon Face Such Heat, Which Will Be Beyond The Limits Of Human Tolerance.

तिरुवनंतपुरम5 मिनट पहले

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भारत में पिछले सालों से गर्मी बहुत ज्यादा पड़ने लगी है। हजारों लोगों की मौत के लिए जिम्मेदार लू का प्रकोप चिंताजनक गति से बढ़ रहा है। अब एक रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत जल्द ऐसी भीषण गर्म हवाओं का सामना करने वाला दुनिया का पहला देश होगा, जो इंसान की बर्दाश्त की सीमा से बाहर होगी। वर्ल्ड बैंक की ‘भारत में शीतलन क्षेत्र में जलवायु निवेश के अवसर’ शीर्षक वाली रिपोर्ट में कहा गया है कि देश अपेक्षाकृत ज्यादा गर्मी का सामना कर रहा है, जो जल्द शुरू हो जाती हैं और कहीं ज्यादा समय तक रहती है।

रिपोर्ट में कहा गया है, अप्रैल 2022 में भारत समय से पहले लू की चपेट में आ गया था, जिससे आम जनजीवन ठहर-सा गया था और राजधानी नई दिल्ली में तो तापमान 46 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया था। मार्च का महीना तापमान में अप्रत्याशित वृद्धि का गवाह बना था और यह इतिहास का सबसे गर्म मार्च महीना बनकर उभरा था।

यह रिपोर्ट तिरुवनंतपुरम में केरल सरकार के साथ साझेदारी में विश्व बैंक द्वारा आयोजित दो दिवसीय ‘भारत जलवायु एवं विकास साझेदारों’ की बैठक में जारी की जाएगी।

रिपोर्ट में आशंका जताई गई है कि भारत में जल्द लू की तीव्रता उस सीमा को पार कर जाएगी, जो इंसान के बर्दाश्त करने के योग्य है। इसमें कहा गया है, ‘अगस्त 2021 में जलवायु परिवर्तन पर अंतर-सरकारी पैनल (आईपीसीसी) की छठी आंकलन रिपोर्ट में चेतावनी दी गई थी कि भारतीय उपमहाद्वीप में आने वाले दशक में भीषण लू चलने के अधिक मामले सामने आएंगे।’

रिपोर्ट के मुताबिक, जी20 क्लाइमेट रिस्क एटलस ने भी 2021 में आगाह किया था कि यदि कार्बन उत्सर्जन का स्तर अधिक बना रहता है तो पूरे भारत में 2036 से 2065 के बीच लू 25 गुना अधिक समय तक चलने की आशंका है। यह आकलन आईपीसीसी के सबसे खराब उत्सर्जन परिदृश्य के मद्देनजर किया गया था।

रिपोर्ट में चेतावनी दी गई है कि भारत में बढ़ती गर्मी आर्थिक उत्पादकता में कमी ला सकती है। इसमें कहा गया है कि भारत का 75 फीसदी वर्क फोर्स यानी लगभग 38 करोड़ लोग, ऐसे क्षेत्रों में काम करते हैं, जिनमें उन्हें गर्म वातावरण में रहना पड़ता है। कई बार उन्हें जीवन के लिए संभावित रूप से खतरनाक तापमान में काम करना पड़ता है। 2030 तक गर्मी के तनाव से संबंधित उत्पादकता में गिरावट के कारण वैश्विक स्तर पर जो आठ करोड़ नौकरियां जाने का अनुमान जताया गया है, उनमें से 3.4 करोड़ नौकरयां भारत में जाएंगी।

रिपोर्ट के मुताबिक, दक्षिण एशियाई देशों में भारी श्रम पर गर्मी का सबसे ज्यादा असर भारत में देखा गया है, जहां सालभर में 101 अरब घंटे गर्मी के कारण बर्बाद होते हैं।

वैश्विक प्रबंधन सलाहकार फर्म मैकिन्से एंड कंपनी द्वारा किए गए विश्लेषण से पता चलता है कि बढ़ती गर्मी और उमस से होने वाला श्रम का नुकसान इस दशक के अंत तक भारत के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का 4.5 प्रतिशत यानी लगभग 150-250 अरब अमेरिकी डॉलर खतरे में होगा।

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