Vidhansabha chunav Haryana: हरियाणा विधानसभा चुनाव की तारीख के ऐलान के बाद सियासी सरगर्मियां तेज हो गई है. राजनीतिक दल अपने हिसाब से प्रत्याशियों की लिस्ट जारी करने के साथ ही जीत-हार के दावे में जुटे हैं. हालांकि हरियाणा चुनाव में असली परीक्षा ‘इंडिया गठबंधन’ की मानी जा रही है, क्योंकि, कहीं ना कहीं हरियाणा में ‘इंडिया गठबंधन’ की गांठ खुलती दिख रही है. इसके कई कारण हैं. पहला तो सबसे बड़ा कारण ये है कि ऐसा लग रहा है कि वहां आप और कांग्रेस के गठबंधन की संभावना नहीं के बराबर है.
दूरी बनाने के संकेत दिए?
इसी कड़ी में शुक्रवार को एक तरफ सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव ने इशारों-इशारों में हरियाणा चुनाव से दूरी बनाने के संकेत दिए, तो दूसरी ओर आम आदमी पार्टी ने भी कुछ ऐसे ही संकेत दिए हैं. अब सवाल है कि इन सबके बीच अगर विपक्षी पार्टियों का गठबंधन वहां नहीं बन पाता है तो वहां बीजेपी को क्या और कैसा फायदा होने वाला है.
हरियाणा में आप और कांग्रेस के गठबंधन पर प्रतिक्रिया देते हुए आम आदमी पार्टी के नेता और राज्यसभा सांसद राघव चड्ढा ने यह जरूर कहा कि देखिए बातचीत चल रही है. हमें उम्मीद है कि देशहित में, राष्ट्रहित में और हरियाणा के हित में निश्चित रूप से गठबंधन होगा. हम उस दिशा में हरसंभव प्रयास कर रहे हैं. हालांकि राघव चड्ढा इस मामले में कोई डिटेल नहीं दे पाए.
कांग्रेस-आप में नहीं बन पा रही बात
इधर एक्सपर्ट्स का मानना है कि लोकसभा चुनाव के दौरान दिल्ली में ‘आप’ और कांग्रेस पार्टी ने गठबंधन करके चुनाव लड़ा था. दोनों दलों ने दावा किया था कि दिल्ली की सभी सात सीटों पर जीत निश्चित है. लेकिन चुनावी नतीजों में सभी सात सीटों पर भाजपा के प्रत्याशियों ने कब्जा जमा लिया. इसके तुरंत बाद कांग्रेस और ‘आप’ के बीच गठबंधन खत्म होने का ऐलान भी कर दिया गया.
क्या कोई गुंजाइश बची है?
फिर दिल्ली के लोकसभा चुनाव के नतीजों के बाद कयास लगाए जा रहे हैं कि आप अगर हरियाणा विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के साथ सीट शेयरिंग भी करेगी तो कहीं ना कहीं वो ज्यादा सीटों पर दावा करती दिखेगी. क्योंकि, ‘आप’ कभी भी नहीं चाहेगी कि पंजाब में सरकार में मौजूद पार्टी पड़ोसी राज्य हरियाणा के चुनाव में कमजोर दिखे. बड़ी बात यह है कि अभी तक तमाम दावों और बयानों के बीच गठबंधन और सीट शेयरिंग पर ‘आप’ और कांग्रेस आलाकमान चुप्पी साधे हुए है.
इधर इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक आप और कांग्रेस के बीच संभावित गठबंधन पर चर्चा होने की संभावना थोड़ी-बहुत जरूर बची है. आप रविवार 8 सितंबर को अपने उम्मीदवारों की पहली सूची जारी करने की उम्मीद कर रही है, जो राज्य की 50 विधानसभा सीटों पर अकेले चुनाव लड़ने पर विचार कर रही है.
बीजेपी को क्या फायदा होगा?
यह सच है कि 2019 की तुलना में 2024 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को आम आदमी पार्टी के समर्थन के कारण 7.87 प्रतिशत अधिक वोट मिले. इतना ही नहीं, दोनों पार्टियां पहले ही चंडीगढ़ मेयर और लोकसभा चुनाव जीत चुकी हैं. अगर कांग्रेस और आम आदमी पार्टी मिलकर चुनाव लड़ते हैं, तो बीजेपी की गैर-जाट राजनीति को नुकसान हो सकता है. वहीं, अगर कांग्रेस और आप अलग-अलग चुनाव लड़ते हैं, तो इसका सीधा फायदा बीजेपी को हो सकता है.
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