अमर उजाला नेटवर्क, लखनऊ
Published by: ishwar ashish
Updated Tue, 09 Nov 2021 03:49 PM IST
सार
लखीमपुर खीरी हिंसा मामले में आई फॉरेंसिक रिपोर्ट में दावा किया गया है कि उपद्रव के दौरान केंद्रीय गृह राज्य मंत्री के पुत्र आशीष मिश्र के असलहे से फायरिंग की गई थी।
आशीष मिश्रा (फाइल फोटो)
– फोटो : अमर उजाला
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रिपोर्ट में पुष्टि की गई है कि उपद्रव के दौरान आशीष मिश्र मोनू की रिवॉल्वर और उसके दोस्त अंकित दास की रिपीटर गन व पिस्टल से फायरिंग की गई थी। इस समय दोनों ही आरोपी लखीमपुर खीरी जिला जेल में बंद हैं।
एएसपी अरुण कुमार सिंह ने कहा कि मामले से जुड़े जिन साक्ष्यों को जांच के लिए भेजा गया था उनकी रिपोर्ट आनी शुरू हो गई है। जिसके आधार पर आगे की जांच की जाएगी।
सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने मामले पर सुनवाई करते हुए सख्त टिप्पणी की थी और कहा था कि लखीमपुर खीरी हिंसा मामले में विशेष जांच दल (एसआईटी) की जांच की निगरानी के लिए यूपी सरकार के बनाए गए न्यायिक आयोग पर उसे भरोसा नहीं है। अदालत ने एसआईटी जांच की स्टेटस रिपोर्ट पर भी गहरी नाराजगी जताई। शीर्ष कोर्ट ने कहा, जांच में स्वतंत्रता और निष्पक्षता के लिए निगरानी दूसरे राज्य के हाईकोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायाधीश द्वारा की जाए। मामले पर अगली सुनवाई 12 नवंबर को तय की गई है।
शीर्ष कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस एनवी रमण, जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस हिमा कोहली की पीठ ने स्टेटस रिपोर्ट देखने के बाद जांच की धीमी गति पर भी असंतोष जताया। पीठ ने कहा कि ऐसा प्रतीत होता है कि ‘एक खास आरोपी’ को बचाने के लिए सुबूत जुटाए जा रहे हैं।
विस्तार
रिपोर्ट में पुष्टि की गई है कि उपद्रव के दौरान आशीष मिश्र मोनू की रिवॉल्वर और उसके दोस्त अंकित दास की रिपीटर गन व पिस्टल से फायरिंग की गई थी। इस समय दोनों ही आरोपी लखीमपुर खीरी जिला जेल में बंद हैं।
एएसपी अरुण कुमार सिंह ने कहा कि मामले से जुड़े जिन साक्ष्यों को जांच के लिए भेजा गया था उनकी रिपोर्ट आनी शुरू हो गई है। जिसके आधार पर आगे की जांच की जाएगी।
सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने मामले पर सुनवाई करते हुए सख्त टिप्पणी की थी और कहा था कि लखीमपुर खीरी हिंसा मामले में विशेष जांच दल (एसआईटी) की जांच की निगरानी के लिए यूपी सरकार के बनाए गए न्यायिक आयोग पर उसे भरोसा नहीं है। अदालत ने एसआईटी जांच की स्टेटस रिपोर्ट पर भी गहरी नाराजगी जताई। शीर्ष कोर्ट ने कहा, जांच में स्वतंत्रता और निष्पक्षता के लिए निगरानी दूसरे राज्य के हाईकोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायाधीश द्वारा की जाए। मामले पर अगली सुनवाई 12 नवंबर को तय की गई है।
शीर्ष कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस एनवी रमण, जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस हिमा कोहली की पीठ ने स्टेटस रिपोर्ट देखने के बाद जांच की धीमी गति पर भी असंतोष जताया। पीठ ने कहा कि ऐसा प्रतीत होता है कि ‘एक खास आरोपी’ को बचाने के लिए सुबूत जुटाए जा रहे हैं।
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