DNA Analysis: क्या वर्ष 2047 तक भारत में फिर से हो जाएगा ‘इस्लामिक शासन’? PFI ने बनाया 4 चरणों वाला ये खतरनाक प्लान

DNA Analysis: क्या वर्ष 2047 तक भारत में फिर से हो जाएगा ‘इस्लामिक शासन’? PFI ने बनाया 4 चरणों वाला ये खतरनाक प्लान

DNA on PFI India Vision 2047: वर्ष 1947 में भारत को अंग्रेजों से आजादी मिली और धर्म के आधार पर हमारे देश का विभाजन हुआ. यानी ये वही समय था, जब इस्लामिक कट्टरता की वजह से पाकिस्तान अस्तित्व में आया. उस समय आजादी के जश्न से बड़ा त्रासदी का दर्द था. उस मुश्किल वक्त ने भारत को ये सिखाया कि इस्लामिक कट्टरपंथ की जड़ें उसे अन्दर से तोड़ सकती हैं. विभाजन के उस दौर में तब कुल एक करोड़ 45 लाख लोगों ने सीमा पार की थी. जिनमें से 72 लाख 26 हजार मुसलमान भारत से पाकिस्तान चले गए थे. जबकि लगभग इतने ही हिन्दू और सिख धर्म के लोग पाकिस्तान से भारत आए थे. इस विभाजन को भारत कभी नहीं भूल पाया.

भारत की संप्रभुत्ता को चुनौती देने की कोशिश

ये तमाम बातें आज हम आपको इसलिए बता रहे हैं, क्योंकि एक बार फिर से भारत की सम्प्रभुता को चुनौती देने की कोशिश हुई है. बिहार की राजधानी पटना के फुलवारी शरीफ से पुलिस ने तीन संदिग्ध आतंकवादियों को गिरफ़्तार किया है. इन लोगों से पुलिस को कुछ दस्तावेज़ बरामद हुए हैं, जिनमें ये लिखा है कि साल 2047 तक भारत में इस्लामिक शासन होगा. ये पूरा Document सात पन्नों का है और इसका शीर्षक है..India 2047, Towards Rule of Islam in India. जो बड़ी बात आपको समझनी है वो ये है कि भारत में एक बार फिर से 1947 को दोहराने की कोशिश हो रही है. यानी ये ताकतें, 2047 तक भारत को 100 साल पीछे 1947 के उस दौर में ले जाना चाहती हैं, जब इस्लामिक कट्टरपंथ ने भारत को दो भागों में बांट दिया था.

बड़ी बात ये है कि.. 1947 के बंटवारे में मोहम्मद अली जिन्नाह ने बहुत बड़ी भूमिका निभाई थी. लेकिन ये भी सच है कि वर्ष 1940 तक उन्हें खुद यकीन नहीं था कि भारत के विभाजन से पाकिस्तान नाम का कोई देश भी बन सकता है. लेकिन इस्लामिक कट्टरपंथ ने विभाजन की इस कल्पना को सच करके दिखाया. ऐसे में भारत में एक बार फिर से 2047 तक इस्लामिक शासन लाने की कल्पना की गई है और ये बहुत ख़तरनाक बात है. सबसे पहले आपको इस पूरे मामले के बारे में बताते हैं. ये खबर बिहार की राजधानी पटना के फुलवारी शरीफ से आई है, जहां पुलिस ने तीन संदिग्ध आतंकवादियों को गिरफ्तार किया है. इन लोगों के नाम हैं, मोहम्मद जलालुद्दीन, अतहर परवेज और अरमान.

PFI के 3 मेंबर गिरफ्तार

इनमें मोहम्मद जलालुद्दीन, झारखंड पुलिस का रिटायर्ड सब इंस्पेक्टर रह चुका है. जबकि अतहर परवेज़ पहले SIMI नाम के आतंकी संगठन का सदस्य था, जिस पर भारत सरकार ने प्रतिबंध लगा दिया था. पुलिस का कहना है कि मौजूदा समय में अतहर परवेज Social Democratic Party of India यानी SDPI के लिए काम कर रहा था, जो Popular Front of India यानी PFI की एक राजनीतिक इकाई है. इन लोगों पर आरोप है कि ये 12 जुलाई को पटना में हुए प्रधानमंत्री मोदी के एक कार्यक्रम में कुछ गड़बड़ी करना चाहते थे, जिसके लिए 6 और 7 जुलाई को फुलवारी शरीफ में एक बैठक भी हुई थी. इसमें तमिल नाडु, पश्चिम बंगाल और दूसरे राज्यों से कुछ संदिग्धों के शामिल होने का भी दावा है.

इसके अलावा FIR में बताया गया है कि इन लोगों ने फुलवारी शरीफ में एक जगह किराए पर ली हुई थी, जहां Martial Arts सिखाने के नाम पर मुस्लिम युवाओं का Brainwash किया जाता था. उन्हें एक संप्रदाय विशेष के खिलाफ हिंसा फैलाने की ट्रेनिंग दी जाती थी. इन्हें सिखाया जाता था कि वो अपने समाज में जाएं और एक खास संप्रदाय के असामाजिक तत्व और उन्मादी सोच रखने वाले व्यक्तियों को चिन्हित कर उन्हें इस मिशन में जोड़ें.

फुलवारी शरीफ में चल रहा था टेरर कैंप

यानी आरोप है कि फुलवारी शरीफ में एक तरह से टेरर कैम्प चल रहा था, जिसका मकसद था भारत में साम्प्रदायिक दंगे भड़काना. इस्लामिक कट्टरपंथ और जेहाद के नाम पर दूसरे धर्म के लोगों को निशाना बनाना. इस मामले की जांच NIA ने अपने हाथ में ले ली है. ये बात भी अब सामने आ रही है कि जिस अतहर परवेज़ नाम के संदिग्ध आतंकवादी को PFI का सदस्य बताया जा रहा है, उसका भाई मंज़र परवेज पहले से बम ब्लास्ट के एक केस में जेल में बन्द हैं. 

पुलिस की कार्रवाई में ऐसी सामग्री भी बरामद हुई, जिसमें भारत को लेकर कई खतरनाक बातें लिखी हैं. इस कार्रवाई में पुलिस को PFI के झंडे, PFI के पोस्टर और भड़काऊ बातें लिखी किताबें मिली हैं. इसके अलावा सात पन्नों का एक ऐसा Document भी मिला है, जिसके बारे में अभी हमने आपको बताया. इस Document में दो बड़ी बातें लिखी हैं, जिन्हें आपको बहुत ध्यान से जानना चाहिए. 

2047 तक इस्लामिक शासन लाने की कोशिश

पहली बात, सात पन्नों का ये दस्तावेज़ इन बातों से भरा पड़ा है कि कैसे साल 2047 तक भारत में इस्लामिक शासन लाया जाएगा. इसके पहले और दूसरे पन्ने पर लिखा है कि एक समय भारत पर मुसलमानों का शासन होता था. आज भी इंडोनेशिया के बाद सबसे ज्यादा मुसलमान भारत में रहते हैं. लेकिन इसके बावजूद भारत में मुसलमानों की स्थिति अच्छी नहीं है. ये बातें इन पन्नों पर लिखी हैं. इसी में ये भी लिखा है कि आज देश के 9 जिलों में मुस्लिम आबादी 75 प्रतिशत से ज़्यादा है. इसलिए भारत में इस्लामिक शासन लाना मुश्किल नहीं है. इसके लिए साल 2047 का लक्ष्य रखा गया है

दूसरी बात, इसमें Popular Front of India का प्रमुखता से ज़िक्र किया गया है और पुलिस भी कह रही है कि ये तमाम दस्तावेज PFI द्वारा ही प्रकाशित किए गए हैं. इसमें लिखा है कि भारत में इस्लामिक शासन लाने के लिए मुस्लिम समुदाय का बहुसंख्यक होना जरूरी नहीं है. अगर PFI संगठन के साथ भारत की आबादी के 10 प्रतिशत मुसलमान भी जुड़ गए तो ये लोग डरपोक हिंदुओं को दोबारा घुटने पर लाकर इस्लाम कबूल करवा देंगे. सोचिए, ये बातें इस Document में लिखी हैं

मिशन को अंजाम देने के लिए 4 चरण बनाए

इस खतरनाक लक्ष्य को हासिल करने के लिए इस दस्तावेज में चार चरण बताए गए हैं. इन चरणों को आप भारत के खिलाफ़ इस्लामिक कट्टरपंथ का चक्रव्यूह भी कह सकते हैं. पहले चरण में भारत के मुसलमानों को बार बार याद दिलाया जाएगा कि इस देश में उनके साथ नाइंसाफी हो रही है. इसी में ये भी लिखा है कि जिन इलाकों में मुसलमान खुद को सुरक्षित महसूस करते हैं, वहां भी ये माहौल बनाया जाएगा कि वो खतरे में हैं और उनके साथ अन्याय हो रहा है. इसके अलावा पहले चरण में मुसलमानों को ये संदेश दिया जाएगा कि वो भारतीय होने से पहले इस्लाम धर्म के रक्षक हैं. इस चरण में उन्हें तलवार और दूसरे हथियार चलाने की ट्रेनिंग दी जाएगी.

दूसरे चरण में सीमित हिंसा के जरिए शक्ति प्रदर्शन की बात कही गई है. ये लिखा है कि ऐसी हिंसा से दूसरे धर्म के लोगों में डर पैदा किया जाएगा. सबसे चिंताजनक बात इसमें ये लिखी है कि जब देश में सीमित हिंसा के जरिए एक खास धर्म के द्वारा शक्ति प्रदर्शन किया जाएगा, तब PFI संविधान, लोकतंत्र और डॉक्टर भाम राव अम्बेडकर के विचारों की बात करेगा, ताकि उसकी असली मंशा किसी के सामने ना आए. यानी शांति का डिजायनर माहौल बना कर देश में नफरती और साम्प्रदायिक आग भड़काई जाएगी.

तीसरे चरण में दलितों, आदिवासियों और पिछड़ी जातियों को गुमराह करके उनके साथ गठबन्धन किया जाएगा. ऐसा करने के पीछे मकसद होगा हिन्दू संगठनों और दलितों, आदिवासियों और पिछड़ी जातियों के बीच खाई पैदा करना. कम से कम 10 प्रतिशत दलितों और आदिवासियों को मुसलमानों के साथ लाना. ताकि इस मुहिम का व्यापक असर हो.

चौथे यानी आखिरी चरण में PFI के लोग मुसलमानों और दलितों के प्रतिनिधि बन जाएंगे और राष्ट्रीय स्तर पर राजनीतिक सत्ता को अपने नियंत्रण में ले लेंगे. जिसके बाद देश की सेना, पुलिस और न्यायपालिका में PFI के वफादार सदस्यों को नियुक्त किया जाएगा. इसमें ये भी लिखा है कि जब PFI के पास पर्याप्त शक्ति आ जाएगी तो वो इस्लामिक सिद्धांतों के आधार पर भारत का नया संविधान लागू कर देंगे. यानी भारत को इस्लामिक राष्ट्र में बदल देंगे. 

कई दंगों में आ चुका है PFI का नाम

PFI वही संगठन है, जिसका नाम दिल्ली में दंगे भड़काने, शाहीन बाग के आन्दोलन को फंडिंग करने, केरल में राजनीतिक हत्याओं की योजना बनाने और जबरन धर्म परिवर्तन के भी कई मामलों में सामने आ चुका है.

इस संगठन की स्थापना वर्ष 2006 में केरल में हुई थी. उस समय दक्षिण भारत के तीन मुस्लिम संगठनों का विलय करके PFI नाम का ये संगठन बना था..हालांकि ऐसे भी आरोप लगते हैं कि कई आतकंवादी गतिविधियों में जब SIMI नाम के संगठन का नाम सामने आया और इस पर भारत में प्रतिबंध लगा दिया गया, तब इसके विकल्प के रूप में PFI बना और SIMI के लोग इसमें शामिल हो गए.

वर्ष 2014 में केरल हाई कोर्ट में राज्य सरकार द्वारा जमा किए गए एक हलफनामे के अनुसार, PFI के कार्यकर्ता केरल में हुई 27 राजनीतिक हत्याओं के लिए ज़िम्मेदार थे. इसी हलफनामे में केरल सरकार ने ये भी बताया था कि PFI केरल में हुई 106 साम्प्रदायिक घटनाओं में किसी ना किसी रूप में शामिल था. पहले ये संगठन केवल दक्षिण भारत तक सीमित था. लेकिन पिछले कुछ समय में इसका विस्तार उत्तर भारत में भी हुआ है. अब ये संगठन दिल्ली में भी उतना ही मजबूत है, जितना केरल में है. 

देश-विदेश से करोड़ों की होती है फंडिंग

पिछले ही महीने ED ने PFI से संबंधित 22 Bank Accounts को Freeze कर दिया था. ED के अनुसार, PFI से संबंधित इन Bank Accounts में 60 करोड़ से ज्यादा की रकम जमा हुई थी, जिसमें से 30 करोड़ रुपये कैश के रूप में जमा हुए थे. यानी इस संगठन का जो बैंक बैलेंस है, वो एक बड़ी कम्पनी के जैसा है. हालांकि इस मामले में PFI द्वारा कहा गया है कि इस Document से उसका कोई लेना देना नहीं है. जबकि पुलिस इसके पीछे PFI को ही बता रही है

इस समय पूरी दुनिया में 50 से ज्यादा मुस्लिम राष्ट्र हैं लेकिन हिन्दू राष्ट्र एक भी नहीं है. शायद यही वजह है कि बहुत सारी इस्लामिक ताकतें भारत को भी इस्लामिक राष्ट्र बनाना चाहती हैं. महत्वपूर्ण बात ये है कि आज दुनिया में कोई भी देश हिंदू राष्ट्र नहीं है जबकि पूरी दुनिया में हिन्दू धर्म को मानने वालों की संख्या 120 करोड़ से ज्यादा है. हिन्दू दुनिया के 110 से ज्यादा देशों में रहते हैं लेकिन इसे मानने वालों की सबसे बड़ी आबादी भारत और नेपाल में रहती है. नेपाल कभी दुनिया का एक मात्र हिंदू राष्ट्र हुआ करता था. 

लेकिन वर्ष 2008 में नेपाल के संविधान में बदलाव करके उसे धर्म निरपेक्ष देश का दर्जा दे दिया गया. वर्ष 1977 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने भी भारत के संविधान में 42वां संशोधऩ करके इसकी प्रस्तावना में Secular शब्द जोड़ दिया था. यानी पिछले कुछ दशकों में भारत और नेपाल जैसे देशों के बहुसंख्यक हिंदुओं पर तो धर्म निरपेक्षता की जिम्मेदारी डाल दी गई जबकि मुस्लिम बहुल देश Secular से Islamic Republic या इस्लाम को राष्ट्र धर्म मानने वाले देश बनते चले गए.

तलवार के जोर पर मनवाया जा रहा इस्लाम

वर्ष 1956 में पाकिस्तान, वर्ष 1979 में ईरान, वर्ष 1980 में बांग्लादेश और वर्ष 2005 में इराक, जैसे देश या तो पूरी तरह से इस्लामिक देश बन गए या फिर इस्लाम को अपना राष्ट्र धर्म मान लिया.

पूरी दुनिया में करीब 190 करोड़ लोग इस्लाम धर्म को मानते हैं. इनमें से करीब 160 करोड़ लोग इस्लामिक देशों में रहते हैं. इनमें से भी ज्यादातर देशों में धर्म का पालन करना Choice नहीं बल्कि मजबूरी होती है. क्योंकि लगभग सभी मुस्लिम देशों में धर्म के अपमान को अपराध माना जाता है और कुछ देशों में तो इसके लिए मौत की सज़ा का भी प्रावधान है. अब आप सोचिए कि कैसे पूरे दुनिया में इस्लाम का विस्तार किया जा रहा है और इसके तहत भारत को इस्लामिक राष्ट्र बनाने की साज़िश रची जाती है. 

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