कहा जाता है कि इस दरगाह में मुस्लिमों से ज्यादा हिंदू धर्म के लोग आते हैं। इसके अलावा भी शहर में कई धार्मिक और पर्यटन स्थल है। आज हम आपको शहर के 10 बड़े पर्यटन स्थलों के बारे में बताएंगे। आइए जाते हैं…
यह शहर का सबसे बड़ा दर्शनीय स्थल हैं। यहां देशी और विदेशी पर्यटक ख्वाजा मोईनुद्दीन चिश्ती की दरगाह पर मन्नत मांगने और चादर चढ़ाने आते हैं। सिर्फ मुस्लिम ही नहीं अन्य धर्मों के लोगों में बड़ी संख्या में यहां आते हैं। दरगाह में तीन मुख्य दरवाजे हैं। मुख्य द्वार ‘निजाम दरवाजा’ कहलाता है। इसे हैदराबाद के नवाब ने बनवाया था। शाहजहां द्वारा बनवाया गया दूसरे द्वार को ‘शाहजहां दरवाजा’ और महमूद खिलजी द्वारा बनवाए गए तीसरे द्वार को ‘बुलंद दरवाजा’ कहा जाता है। उर्स के दौरान दरगाह पर झंडा चढ़ाने की रस्म के बाद प्रसाद बनाया जाता है। जिसे भक्त लोग प्रसाद के तौर पर बांटते हैं। आश्चर्य की बात है कि यहां केवल शाकाहारी भोजन ही पकाया जाता है।
मेयो कॉलेज
भारतीय राजघरानों के बच्चों के लिए यह बोर्डिंग स्कूल हुआ करता था। 1875 ई. में रिचर्ड बॉर्क ने मेयो कॉलेज की स्थापना की थी। इसके पहले प्राचार्य के रूप में नोबेल पुरस्कार विजेता, प्रसिद्ध इतिहासकार और लेखक रूडयार्ड किपलिंग के पिता जॉन लॉकवुड किपलिंग ने इसका राज्य चिंह बनाया, जिसमें भील योद्धा को दर्शाया गया था। इस भवन का स्थापत्य इंडो सार्सेनिक (भारतीय और अरबी) शैली का एक शानदार उदाहरण है। संगमरमर से बना यह भवन अत्यंत आकर्षक है।
अढ़ाई दिन का झोपड़ा
अढ़ाई दिन का झोपड़ा कहलाने वाली इमारत एक संस्कृत महाविद्यालय था। 1198 ई. में मुहम्मद गोरी ने इसे मस्जिद में बदल दिया था। कहा जाता है कि इस इमारत को महाविद्यालय से मस्जिद में बदलने में सिर्फ ढाई दिन लगे थे। इसलिए इसका नाम ‘अढ़ाई दिन का झोपड़ा’ पड़ गया।
आनासागर झील
इस कृत्रिम झील को 1135 से 1150 ई. के बीच राजा अजयपाल चौहान के पुत्र अरूणोराज चौहान ने बनवाया था। इन्हें ‘अन्ना जी’ के नाम से पुकारा जाता था। इस कारण इसका नाम आना सागर झील नाम रखा गया। यह पर्यटकों के लिए एक आकर्षण का केंद्र है।
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