उत्तर प्रदेश में एनकाउंटर का नया कानून, क्या योगी राज में बदल गया है न्याय का पैमाना?

उत्तर प्रदेश में एनकाउंटर का नया कानून, क्या योगी राज में बदल गया है न्याय का पैमाना?

UP Encounters: उत्तर प्रदेश में बुलडोजर और एनकाउंटर की कार्रवाई बीते कई माह से सुर्खियों में बनी हुई है. राज्य में न्याय तक पहुंच के तरीका अन्य राज्यों से बेहद अलग होता जा रहा है. यह हम नहीं कह रहे बल्कि न्याय रिपोर्ट 2022 के आंकड़े उत्तर प्रदेश के बारे में ये दास्तां बयां कर रहे हैं. 18 राज्यों में उत्तर प्रदेश न्याय की प्रक्रिया में बहुत पीछे चला गया है. बहुत पीछे ही सबसे अंत में 18वें नंबर पर है.


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न्याय दिलाने के मामले में कर्नाटक सभी राज्यों से आगे है. वहीं, तमिलनाडु दूसरे तो तेलंगाना तीसरे स्थान पर है. न्याय रिपोर्ट के आंकड़े कहते हैं कि उत्तर प्रदेश न्याय दिलाने के मामले में राजस्थान, बिहार, पश्चिमी बंगाल और उत्तराखंड से भी पीछे है. यह रिपोर्ट राज्यों में पुलिस, जेल और कानूनी सहायता जैसे क्षेत्र में किए जा रहे कार्यों का आंकलन कर तैयार की गई है. आंकलन के बाद राज्यों के न्याय दिलाने के मामलों की रिपोर्ट तैयार कर रैंकिंग की गई है.

यह न्याय रिपोर्ट टाटा ट्रस्ट की पहल है. इसे DAKSH, कॉमनवेल्थ ह्यूमन राइट्स इनिशिएटिव, कॉमन कॉज, सेंटर फॉर सोशल जस्टिस, विधि सेंटर फॉर लीगल पॉलिसी और टीआईएसएस ने मिलकर तैयार किया है. इससे पहले यह रिपोर्ट 2019 में जारी हुई थी.

न्याय रिपोर्ट 2022 में 18 की रैंकिंग

1.कर्नाटक 
2.तमिलनाडु
3.तेलंगाना
4.गुजरात
5.आंध्रप्रदेश
6.केरल
7.झारखंड
8.मध्य प्रदेश
9.छत्तीसगढ़
10.ओडिशा

यूपी में पेंडिंग केस सबसे ज्यादा

हाईकोर्ट के विभिन्न राज्यों के आंकड़े बताते हैं कि पेंडिंग केसों के मामले में उत्तर प्रदेश अन्य राज्यों की तुलना में टॉप पर है. यहां लंबित मामलों की फाइलों की गिनती सबसे ज्यादा है. इसका अंदाजा आप ऐसे लगा सकते हैं कि उत्तर प्रदेश में करीब 11 साल पहले के भी कई केस आज तक लंबित हैं. यूपी के बाद लंबित मामलों की लिस्ट में दूसरा नंबर पश्चिम बंगाल का है. वहीं, इस क्रम में त्रिपुरा का सबसे बेहतर प्रदर्शन है. यहां लंबित केस बेहद कम हैं.

योगी राज में कितने एनकाउंटर? 

19 मार्च 2017 को योगी आदित्यनाथ ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री पद की जिम्मेदारी संभाली थी. तमाम रिपोर्ट्स कहती हैं कि उत्तर प्रदेश में पिछले छह साल में पुलिस और अपराधियों के बीच 9,434 से ज्यादा एकनकाउंटर हो चुके हैं. इन एनकाउंटर में 183 अपराधियों को पुलिस ने अपनी गोली का शिकार बनाया है. इस दौरान 5,046 अपराधियों को अरेस्ट सलाखों के पीछे भेजा जा चुका है. इन एनकाउंट में 13 पुलिसकर्मी भी शहीद हुए. 1,443 पुलिसकर्मी जख्मी भी हुए हैं. 

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