ओमिक्रॉन और डेल्टा की उल्टी गिनती शुरू: भारत को जल्द मिल सकती है वैरिएंट-स्पेसिफिक वैक्सीन, ये एक समय पर एक ही वैरिएंट को बनाएगी निशाना

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35 मिनट पहले

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कोरोना के नए वैरिएंट ओमिक्रॉन को हराने के लिए पुणे की जिनोवा बायोफार्मास्युटिकल्स में एक नई तरह की वैक्सीन तैयार की गई है। ये एक वैरिएंट-स्पेसिफिक वैक्सीन है यानी ये विशेष रूप से ओमिक्रॉन को टारगेट करेगी। इसके ह्यूमन ट्रायल जल्द ही शुरू होंगे। इससे पहले कंपनी डेल्टा वैरिएंट के लिए भी ऐसी ही वैक्सीन बना चुकी है। ये देश की पहली mRNA टेक्नोलॉजी पर आधारित वैक्सीन है। हालांकि, अभी इसे सरकार से मंजूरी मिलना बाकी है।

पहले जान लें, क्या होती है mRNA टेक्नोलॉजी?

mRNA या मैसेंजर-RNA जेनेटिक कोड का एक छोटा सा हिस्सा है, जो हमारे सेल्स (कोशिकाओं) में प्रोटीन बनाता है। इसे आसान भाषा में ऐसे भी समझ सकते हैं कि जब हमारे शरीर पर कोई वायरस या बैक्टीरिया हमला करता है, तो mRNA टेक्नोलॉजी हमारे सेल्स को उस वायरस या बैक्टीरिया से लड़ने के लिए प्रोटीन बनाने का मैसेज भेजती है। इससे हमारे इम्यून सिस्टम को जो जरूरी प्रोटीन चाहिए, वो मिल जाता है और हमारे शरीर में एंटीबॉडी बन जाती है।

डेल्टा वैरिएंट के लिए बनी वैरिएंट-स्पेसिफिक वैक्सीन को सरकार से जल्द मंजूरी मिल सकती है।

डेल्टा वैरिएंट के लिए बनी वैरिएंट-स्पेसिफिक वैक्सीन को सरकार से जल्द मंजूरी मिल सकती है।

इस टेक्नोलॉजी का सबसे बड़ा फायदा ये है कि इससे पुरानी वैक्सीन्स के मुकाबले ज्यादा जल्दी वैक्सीन बन सकती है। साथ ही, इससे शरीर की इम्युनिटी भी मजबूत होती है। कोरोना के दौर में वैज्ञानिकों ने पहली बार mRNA टेक्नोलॉजी पर बेस्ड वैक्सीन्स विकसित की हैं।

ओमिक्रॉन वैरिएंट को ध्यान में रखकर बनाई गई वैक्सीन

द टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के अनुसार, जिनोवा बायोफार्मास्युटिकल्स ने खास तौर पर ओमिक्रॉन संक्रमण को ध्यान में रखते हुए अपनी वैक्सीन डेवलप की है। इंसानों पर इसके ट्रायल जल्द शुरू किए जाएंगे। फिलहाल देश में ओमिक्रॉन के कारण कोरोना की तीसरी लहर अपनी पीक पर आने वाली है।

पहले डेल्टा वैरिएंट के लिए भी बनाई जा चुकी वैक्सीन

रिपोर्ट की मानें तो यह कंपनी डेल्टा वैरिएंट के लिए अलग से एक वैक्सीन तैयार कर चुकी है। इसके फेज-2 का ट्रायल 3,000 लोगों पर किया जा चुका है। फेज-3 के ट्रायल जल्द शुरू होने वाले हैं। कंपनी ने अपने जोखिम पर इस वैक्सीन का प्रोडक्शन शुरू किया है। इसे जैसे ही सरकार से मंजूरी मिलती है, इसका प्रोडक्शन वैसे ही बढ़ा दिया जाएगा।

कोविड-19 पर बने नेशनल टेक्निकल एडवाइजरी ग्रुप ऑन इम्युनाइजेशन (NTAGI) के चीफ डॉ एन के अरोड़ा के अनुसार, उन्हें जिनोवा की ओर से वैक्सीन ट्रायल का डेटा मिल गया है और उसे स्टडी किया जा रहा है।

अब तक वैरिएंट-स्पेसिफिक वैक्सीन्स दुनिया के कुछ चुनिंदा देशों के पास ही उपलब्ध हैं।

अब तक वैरिएंट-स्पेसिफिक वैक्सीन्स दुनिया के कुछ चुनिंदा देशों के पास ही उपलब्ध हैं।

mRNA वैक्सीन का निर्माण भारत के लिए बड़ी उपलब्धि

देश में बनी नेशनल कोरोना टास्क फोर्स (NCTF) के प्रमुख डॉक्टर वी के पॉल कहते हैं, “mRNA टेक्नोलॉजी पर आधारित वैक्सीन का निर्माण भारत के लिए बड़ी उपलब्धि है। यह आगे बहुत काम आने वाली है। भारत में ओमिक्रॉन से लड़ने के लिए वैरिएंट-स्पेसिफिक वैक्सीन का निर्माण होना भी उतना ही उत्साहजनक है।”

अब तक वैरिएंट-स्पेसिफिक वैक्सीन्स अमेरिका जैसे दुनिया के कुछ चुनिंदा देशों के पास ही उपलब्ध हैं।

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