कश्मीर में 32 साल बाद खुला बड़ा पर्दा: बर्फबारी में भी चलेगा थियेटर, हीटर का इंतजाम, घाटी में लौटेगा 1990 से पहले जैसा दौर

कश्मीर में 32 साल बाद खुला बड़ा पर्दा: बर्फबारी में भी चलेगा थियेटर, हीटर का इंतजाम, घाटी में लौटेगा 1990 से पहले जैसा दौर

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श्रीनगर19 मिनट पहलेलेखक: मुदस्सिर कुल्लू

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  • 30 सितंबर से आम दर्शकों के लिए खुल जाएगा 3 हॉल वाला मल्टीप्लैक्स, सीटिंग 520
  • 3 दशक बाद खुलेंगे सिनेमा हॉल
  • कश्मीर में तीस साल बाद सिनेमाघर की शुरूआत, उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने किया उद्घाटन

70 साल के बशीर अहमद भट 32 साल बाद सिनेमा हॉल जाएंगे। उन्हें फिल्मों का इतना क्रेज था कि स्कूल के दिनों से ही लगभग रोज फिल्म देखने जाते थे। दोस्तों के साथ पैलेडियम या शिराज सिनेमा में घंटों लाइनों में लगकर टिकट लेते थे। मंगलवार को उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने आइनॉक्स मल्टीप्लेक्स का उद्घाटन किया। इसके बाद ‘लाल सिंह चड्ढा’ फिल्म कुछ चुनिंदा लोगों को दिखाई गई।

आम लोगों के लिए मल्टीप्लेक्स 30 सितंबर को फिल्म ‘विक्रम वेधा’ के साथ खोला जाएगा। इसके 3 स्क्रीन में 520 लोग फिल्में देख सकेंगे। भट बताते हैं, 1980 के दशक तक घाटी में 15 सिनेमा हॉल थे। 9 तो अकेले श्रीनगर में ही थे। लेकिन 90 के दशक में आतंकवाद ने सब बर्बाद कर दिया। घाटी के सारे सिनेमा हॉल बंद हो गए। कुछ होटल बन गए तो कुछ अस्पताल। कुछ सेना के कैंप बन गए।

जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने मंगलवार को श्रीनगर में मल्टीप्लेक्स का उद्घाटन किया।

जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने मंगलवार को श्रीनगर में मल्टीप्लेक्स का उद्घाटन किया।

अब फिल्में देखने के लिए जम्मू जाने की जरूरत नहीं
यह पहली बार होगा जब 1990 के बाद जन्मी पीढ़ी श्रीनगर में बड़े पर्दे पर फिल्में देखेगी। ऑइनॉक्स के साथ मिलकर सिनेमा हॉल खोलने वाले कश्मीरी कारोबारी विजय धर का परिवार आतंकवादी दौर के पहले ब्रॉडवे सिनेमा हॉल चलाता था। वे श्रीनगर में बड़ा स्कूल चलाते हैं।

वे कहते हैं, मुझे याद है कैसे कश्मीरी टिकट के लिए लंबी-लंबी लाइनों में लगते थे। फिल्मों के लिए कश्मीरी दीवाने थे। शो हाउसफुल जाया करते थे। लेकिन फिर श्रीनगर के सिनेमा हॉल बंद हो गए। वे फिल्में देखने जम्मू जाने लगे। धर कहते हैं जम्मू में सिनेमा हॉल हो सकते हैं तो कश्मीर में क्यों नहीं। कश्मीरी युवा फिल्में देखने जम्मू क्यों जाएं।

हॉल के अंदर की सजावट में कश्मीरी कलाकारी
विजय धर बताते हैं कि कश्मीर की बर्फबारी मेें भी फिल्में देखी जा सकें, इसलिए हॉल में हीटर का इंतजाम किया गया है। हॉल के अंदर की सजावट कश्मीरी कलाकारी से की गई है। खासतौर पर छतों की सजावट खतमबंद डिजाइन में की गई है। इसमें लकड़ी के सांचे से सजावट की जाती है। यह कश्मीर की पारंपरिक विधि है।

कश्मीरियों के लिए भावुक क्षण
47 साल की मधु घौरी कहती हैं, मेरे दादाजी ने कश्मीर में सबसे पहले पैलेडियम सिनेमा हॉल खोला था। 1990 में बंद हो गया। उम्मीद है घाटी में अब और भी सिनेमा हॉल-मल्टीप्लेक्स खुलेंगे। यह हम कश्मीरियों के लिए भावुक क्षण है। उनके लिए और भी ज्यादा जिन्होंने 90 से पहले का कश्मीर देखा है।

उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने कहा, कश्मीरियों की 3 दशक की सिनेमा की भूख अब शांत होेगी। सिनेमा उन्हें बड़ा सोचने और बड़े सपने देखने के लिए प्रेरित करेगा। हम कश्मीर के हर जिले में 100 सीटों वाला सिनेमा हॉल शुरू करने की योजना बना रहे हैं। हालांकि घाटी में कुछ लोग आतंकी हमलों से आशंकित भी हैं।

1999 में सिनेमा हॉल खोलने की कोशिश आतंकी हमले की भेंट चढ़ी
1999 में तत्कालीन फारूक अब्दुल्ला सरकार ने सिनेमा हॉल खोलने की कोशिश की। 3 सिनेमाघरों को फिल्मों की स्क्रीनिंग शुरू करने की अनुमति दी गई। लेकिन रीगल सिनेमा में पहले शो के दौरान आतंकी हमला हुआ, जिसमें 1 की मौत हो गई और 12 अन्य घायल हो गए। सारे सिनेमाघर फिर से बंद हो गए।

बॉलीवुड के कपूर परिवार का कश्मीर से खास नाता और लगाव है
कारोबारी विजय धर कहते हैं, 32 साल बाद श्रीनगर में मल्टीप्लेक्स की शुरुआत राजकपूर को श्रद्धांजलि है। वे फिल्म ‘बरसात’ की शूटिंग के लिए कश्मीर आए थे। उपराज्यपाल ने कहा, 1965 की ब्लॉक बस्टर शम्मी कपूर अभिनीत फिल्म जानवर ब्रॉडवे सिनेमा हॉल में लगी थी। शम्मी कपूर का कश्मीर से इतना प्यार था कि उन्होंने अपना अंतिम संस्कार डल झील के पास कराने को कहा था।

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