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- India’s R value Reduced To 1.57 In The Week From January 14 21, Prediction Was That The Peak Of The Third Wave Is Likely Between February 1 And February 15
नई दिल्ली13 मिनट पहले
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देश में कोरोना की तीसरी लहर का पीक 14 दिनों में आ जाएगा। आईआईटी मद्रास ने अपनी स्टडी में यह दावा किया है। इसमें कहा गया है कि कोरोना के मामले 6 फरवरी तक यानी 2 हफ्तों में चरम पर पहुंच जाएंगे। तीसरी लहर का मुख्य कारण कोरोना के ओमिक्रॉन वैरिएंट को माना जा रहा है।
स्टडी के अनुसार, भारत में कोरोना संक्रमण फैलने की दर बताने वाली R वैल्यू 14 जनवरी से 21 जनवरी के बीच 2.2 से घटकर 1.57 रह गई है। ऐसे में तीसरी लहर के अगले 15 दिन में पीक पर पहुंचने की आशंका है।
भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) ने 14 से 21 जनवरी के बीच R वैल्यू 1.57 रिकॉर्ड की है। यह 7 से 13 जनवरी के बीच 2.2 थी। 1 से 6 जनवरी के बीच यह 4 पर थी। पिछले साल 25 से 31 दिसंबर के बीच R वैल्यू 2.9 के करीब थी। ये सभी एनालिसिस आईआईटी ने कम्प्यूटेशनल मॉडलिंग के आधार पर की है।
क्या होती है R वैल्यू?
R वैल्यू कोरोना की प्रसार दर को दिखाती है। जो ये बताती है कि कोरोना से इन्फेक्टेड एक व्यक्ति, कितने लोगों को संक्रमित कर रहा है। अगर R वैल्यू 1 से ज्यादा है तो इसका मतलब है कि केस बढ़ रहे हैं और अगर 1 से नीचे चली गई तो महामारी को खत्म माना जाता है।
दिल्ली और चेन्नई में हालात चिंताजनक
कोरोना के केस कम होने के बावजूद तैयारियां पूरी रखी जा रही हैं। फोटो दिल्ली की हैं जहां LNJP हॉस्पिटल के सामने बैंक्वेट हॉल में आइसोलेशन वार्ड बनाया गया है।
जो आंकड़े सामने आए हैं उसके अनुसार मुंबई की R वैल्यू 0.67, दिल्ली की 0.98, चेन्नई की 1.2 और कोलकाता की 0.56 पाई गई। आईआईटी मद्रास के गणित विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. जयंत झा ने कहा कि मुंबई और कोलकाता के आंकडों से ये पता चलता है कि वहां कोरोना संक्रमण की पीक अब खत्म होने की कगार पर है। जबकि दिल्ली यह अभी भी 1 के करीब और चेन्नई में 1 से ज्यादा है।
तीन चीजों पर निर्भर करता है R वैल्यू
झा ने कहा कि R वैल्यू तीन चीजों पर निर्भर करता है- प्रसार की आशंका, संपर्क दर और संभावित समय अंतराल, जिसमें संक्रमण हो सकता है। उन्होंने बताया कि अब क्वारैंटाइन के उपायों या पाबंदियां बढ़ाए जाने के साथ हो सकता है कि संपर्क में आने की दर कम हो जाए और उस मामले में R वैल्यू कम हो सकती है।
एनालिसिस के आधार पर हम यह संख्या बता सकते हैं, लेकिन यह बदल सकती है। यह इस बात पर निर्भर करता है कि लोगों के जमा होने और दूसरी गतिविधियों पर कैसी कार्रवाई की जा रही है।
मुंबई में कोरोना के केस कम होने के बाद स्कूल दोबारा खोल जा रहे हैं। इससे पहले यहां सैनिटाइजेशन किया जा रहा है।
कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग नहीं हो रही, इसलिए कम आ रहे मामले
झा ने बताया कि केस कम आने का एक कारण ये भी हो सकता है कि ICMR के नए दिशा-निर्देशों के अनुसार कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग की जरूरत को हटा दिया गया है। इसके अनुसार कोरोना संक्रमित लोगों के संपर्क में आने वालों का पता लगाने की जरूरत नहीं है। इसीलिए पहले की तुलना में संक्रमण के मामले कम आ रहे हैं।
कम्युनिटी ट्रांसमिशन की स्टेज में पहुंचा ओमिक्रॉन
ओमिक्रॉन वैरिएंट देश में कम्युनिटी ट्रांसमिशन की स्टेज में पहुंच गया है। यह कई महानगरों में बेहद प्रभावी हो गया है, जहां नए मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। इंडियन सार्स-कोव-2 जीनोमिक्स कंर्सोशियम (INSACOG) ने अपने नए बुलेटिन में यह जानकारी दी है।
INSACOG ने यह भी कहा कि ओमिक्रॉन का सब-वैरिएंट BA2 भी कई जगहों पर मिला है। देश में ओमिक्रॉन का पहला केस पिछले साल 2 दिसंबर को सामने आया था। इसलिए लिहाज से महज 7 हफ्तों के अंदर कम्युनिटी ट्रांसमिशन स्टेज आ गई है।
INSACOG देश भर में कोरोना वायरस में आ रहे बदलावों की जांच कर रहा है ताकि यह समझने में मदद मिल सके कि यह कैसे फैल रहा है और डेवलप हो रहा है। इसके साथ ही INSACOG इससे निपटने के लिए बेहतर उपायों के बारे में सुझाव भी देता है।
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