चिप ने बढ़ाई चिंता: त्योहारी सीजन में मारुति और ह्यूंडई का उत्पादन घटा, ग्राहकों को करना पड़ेगा इंतजार

ऑटो डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली।
Published by: योगेश साहू
Updated Tue, 12 Oct 2021 12:45 AM IST

सार

मारुति ने सितंबर 2021 में 77,782 कारों का निर्माण किया है। जबकि पिछले साल सितंबर में कंपनी ने 1.66 लाख कारें बनाई थीं। बहरहाल, उत्पादन घटने का असर सीधा कारों की डिलीवरी पर पड़ेगा। ऐसे में ग्राहकों को डिलीवरी पाने के लिए करीब छह महीने और इंतजार करना पड़ सकता है।

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सेमीकंडक्टर (चिप) की कमी वाहन उत्पादन कंपनियों पर अब कहर ढाने लगी है। देश की दो सबसे बड़ी कार निर्माता कंपनियों मारुति और ह्यूंडई का सितंबर में उत्पादन करीब आधा हो गया है। मारुति सुजुकी इंडिया (एमएसआई) के उत्पादन में 50 फीसदी से ज्यादा तो ह्यूंडई में 34 फीसदी गिरावट आई है। 

एमएसआई ने बताया सेमीकंडक्टर की कमी से लगातार तीसरे महीने उत्पादन गिरा है। अगस्त में जहां कारों का निर्माण 40 फीसदी कम रहा था, वहीं सितंबर में यह 50 फीसदी से भी नीचे आ गया है। सितंबर, 2020 में कुल 1,66,086 वाहनों का निर्माण हुआ था। पिछले महीने यह संख्या गिरकर 81,278 गाड़ियों तक आ गई।

कारों का उत्पादन भी पिछले साल के 1,61,668 इकाई के मुकाबले गिरकर 77,782 पर आ गया। ह्यूंडई ने बताया सेमीकंडक्टर की कमी से सितंबर में गाड़ियों की थोक डिलीवरी 34 फीसदी घट गई। ग्राहकों को कुछ मॉडलों को पाने के लिए छह महीने तक इंतजार करना पड़ेगा।

2.15 लाख ऑडर लंबित
मारुति के उत्पादन पर गंभीर असर के कारण 2.15 लाख वाहनों का ऑर्डर लंबित है, जिसे पूरा करने में कंपनी को छह महीने लगेंगे। यही कारण है कि सितंबर में मारुति की बाजार हिस्सेदारी घटकर 33.95 फीसदी पर आ गई है। दूसरी ओर, टाटा और महिंद्रा ने सेमीकंडक्टर की कमी को कुछ हद तक पूरा कर लिया, जिससे उनकी बाजार हिस्सेदारी में तेज इजाफा हुआ। नेक्सॉन, अल्ट्रोज, टियागो व हैरियर की मांग बढ़ने से टाटा की बाजार हिस्सेदारी 13.84 फीसदी के साथ 10 साल के शीर्ष पर पहुंच गई है। स्कोडा और फॉक्सवैगन ने भी बाजार हिस्सेदारी में इजाफा किया है।

त्योहारी सीजन में 1 लाख कारें कम बिकेंगी
वाहन डीलर संगठन फाडा का कहना है कि कंपनियां साल की कुल बिक्री का करीब 40 फीसदी दो महीने के इस त्योहारी सीजन में पूरा करती हैं। हर साल इस दौरान 4.5 लाख कारें बिकती हैं, जो इस साल 3.5 लाख तक पहुंचना भी मुश्किल लग रहा है। एक पेट्रोल कार में 75 जबकि डीजल कार में 200 चिप का इस्तेमाल होता है। इसका निर्माण करने वाली दुनिया की सबसे बड़ी कंपनी ताइवान सेमीकंडक्टर मैन्युफैक्चरिंग का उत्पादन भी गिरा है, जो दुनियाभर में 90 फीसदी चिप की आपूर्ति करती है। इसका असर वाहन के अलावा 169 अन्य उद्योगों पर दिख रहा है।

विस्तार

सेमीकंडक्टर (चिप) की कमी वाहन उत्पादन कंपनियों पर अब कहर ढाने लगी है। देश की दो सबसे बड़ी कार निर्माता कंपनियों मारुति और ह्यूंडई का सितंबर में उत्पादन करीब आधा हो गया है। मारुति सुजुकी इंडिया (एमएसआई) के उत्पादन में 50 फीसदी से ज्यादा तो ह्यूंडई में 34 फीसदी गिरावट आई है। 

एमएसआई ने बताया सेमीकंडक्टर की कमी से लगातार तीसरे महीने उत्पादन गिरा है। अगस्त में जहां कारों का निर्माण 40 फीसदी कम रहा था, वहीं सितंबर में यह 50 फीसदी से भी नीचे आ गया है। सितंबर, 2020 में कुल 1,66,086 वाहनों का निर्माण हुआ था। पिछले महीने यह संख्या गिरकर 81,278 गाड़ियों तक आ गई।

कारों का उत्पादन भी पिछले साल के 1,61,668 इकाई के मुकाबले गिरकर 77,782 पर आ गया। ह्यूंडई ने बताया सेमीकंडक्टर की कमी से सितंबर में गाड़ियों की थोक डिलीवरी 34 फीसदी घट गई। ग्राहकों को कुछ मॉडलों को पाने के लिए छह महीने तक इंतजार करना पड़ेगा।

2.15 लाख ऑडर लंबित

मारुति के उत्पादन पर गंभीर असर के कारण 2.15 लाख वाहनों का ऑर्डर लंबित है, जिसे पूरा करने में कंपनी को छह महीने लगेंगे। यही कारण है कि सितंबर में मारुति की बाजार हिस्सेदारी घटकर 33.95 फीसदी पर आ गई है। दूसरी ओर, टाटा और महिंद्रा ने सेमीकंडक्टर की कमी को कुछ हद तक पूरा कर लिया, जिससे उनकी बाजार हिस्सेदारी में तेज इजाफा हुआ। नेक्सॉन, अल्ट्रोज, टियागो व हैरियर की मांग बढ़ने से टाटा की बाजार हिस्सेदारी 13.84 फीसदी के साथ 10 साल के शीर्ष पर पहुंच गई है। स्कोडा और फॉक्सवैगन ने भी बाजार हिस्सेदारी में इजाफा किया है।

त्योहारी सीजन में 1 लाख कारें कम बिकेंगी

वाहन डीलर संगठन फाडा का कहना है कि कंपनियां साल की कुल बिक्री का करीब 40 फीसदी दो महीने के इस त्योहारी सीजन में पूरा करती हैं। हर साल इस दौरान 4.5 लाख कारें बिकती हैं, जो इस साल 3.5 लाख तक पहुंचना भी मुश्किल लग रहा है। एक पेट्रोल कार में 75 जबकि डीजल कार में 200 चिप का इस्तेमाल होता है। इसका निर्माण करने वाली दुनिया की सबसे बड़ी कंपनी ताइवान सेमीकंडक्टर मैन्युफैक्चरिंग का उत्पादन भी गिरा है, जो दुनियाभर में 90 फीसदी चिप की आपूर्ति करती है। इसका असर वाहन के अलावा 169 अन्य उद्योगों पर दिख रहा है।

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