जंग लड़ने के लिए चीन बॉर्डर तक मिसाइल लॉन्चर ले जाना जरूरी, SC में केंद्र की दलील

नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट से कहा कि अगर सेना अपने मिसाइल लॉन्चर, भारी मशीनरी उत्तरी भारत-चीन सीमा तक नहीं ले जा सकती और अगर जंग छिड़ जाती है तो ऐसे हालात में वह सीमा की सुरक्षा कैसे करेगी, लड़ेगी कैसे?

आपदा से बचाव के कदम उठाए

चौड़ी चारधाम राजमार्ग परियोजना के निर्माण के कारण हिमालयी क्षेत्रों में लैंडस्लाइड की चिंताओं को दूर करने की कोशिश करते हुए, सरकार ने कहा कि आपदा को कम करने के लिए सभी जरूरी कदम उठाए गए हैं और कहा कि देश के विभिन्न हिस्सों में भूस्खलन हुआ है और खास तौर पर सड़क निर्माण से ही ऐसा नहीं होता है.

रणनीतक रूप से अहम 12,000 करोड़ रुपये की लागत वाली 900 किलोमीटर लंबी चारधाम परियोजना का मकसद उत्तराखंड के चार पवित्र शहरों- यमुनोत्री, गंगोत्री, केदारनाथ और बद्रीनाथ को हर मौसम में संपर्क के लिये तैयार करना है.

सड़क निर्माण को लेकर याचिका

जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़, जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस विक्रम नाथ की बैंच ने रक्षा मंत्रालय की याचिका पर अपना फैसला सुरक्षित रखा है. मंत्रालय ने सड़क चौड़ीकरण को लेकर कोर्ट के पहले के आदेश और एक एनजीओ ‘सिटीजन फॉर ग्रीन दून’ की याचिका में संशोधन का अनुरोध किया है.

कोर्ट ने उनसे क्षेत्र में भूस्खलन को कम करने के लिए उठाए गए कदमों और उठाए जाने वाले कदमों पर लिखित प्रस्तुतियां दर्ज कराने को कहा है. केंद्र की ओर से पेश अटॉर्नी जनरल के के वेणुगोपाल ने कहा, ‘ये दुर्गम इलाके हैं जहां सेना को भारी वाहन, मशीनरी, हथियार, मिसाइल, टैंक, सैनिकों और खाद्य आपूर्ति को लाने-लेजाने की जरूरत होती है.’

जंग के लिए हथियारों का पहुंचना जरूरी

अटॉर्नी जनरल ने कहा, ‘हमारी ब्रह्मोस मिसाइल 42 फीट लंबी है और इसके लॉन्चर ले जाने के लिए बड़े वाहनों की जरूरत है. अगर सेना अपने मिसाइल लॉन्चर और मशीनरी को उत्तरी चीन की सीमा तक नहीं ले जा सकती है, और अगर युद्ध होता है तो वह युद्ध कैसे लड़ेगी.’

उन्होंने कहा, ‘भगवान न करे अगर युद्ध छिड़ गया तो सेना इससे कैसे निपटेगी, अगर उसके पास हथियार नहीं हैं. हमें सावधान और सतर्क रहना होगा. हमें तैयार रहना है. हमारे रक्षा मंत्री ने भारतीय सड़क कांग्रेस में भाग लिया था और कहा था कि सेना को आपदा प्रतिरोधी सड़कों की जरूरत है.’

आपदा रोधी सड़कों पर जोर

वेणुगोपाल ने कहा कि संवेदनशील क्षेत्रों में भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण, आकृति विज्ञान (Morphology) और मानव गतिविधियों सहित जरूरी स्टडी की गई हैं और ढलान स्थिरीकरण, वनीकरण, वैज्ञानिक कचरा निस्तारण जैसे कदम उठाए गए हैं.

उन्होंने कहा, ‘भूस्खलन देश में कहीं भी हो सकता है, यहां तक कि वहां भी जहां कोई सड़क गतिविधि नहीं है, लेकिन रोकथाम के लिए जरूरी कदम उठाए गए हैं. हमारी सड़कों को आपदा रोधी बनाने की जरूरत है. संवेदनशील क्षेत्रों में विशेष सुरक्षा उपाय किए गए हैं, जहां बार-बार भूस्खलन होता है और भारी हिमपात सड़क को अवरुद्ध करता है.’

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