जहरीली शराब केस में सजा-ए-मौत माफ: फैसला पलटते हुए पटना हाईकोर्ट ने कहा- SHO ने FIR से पहले ही कर ली थी ज्यादातर जांच

जहरीली शराब केस में सजा-ए-मौत माफ: फैसला पलटते हुए पटना हाईकोर्ट ने कहा- SHO ने FIR से पहले ही कर ली थी ज्यादातर जांच

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गोपालगंज43 मिनट पहले

पटना हाईकोर्ट ने गोपालगंज के खजूरबानी में जहरीली शराब से हुई मौतों के मामले में निचली अदालत के फैसले को पलट दिया। नौ अभियुक्तों की फांसी की सजा को निरस्त करने के साथ-साथ उम्रकैद की सजा पाई 4 महिलाओं को भी बरी कर दिया। जस्टिस अश्वनी कुमार सिंह और जस्टिस हरीश कुमार की खंडपीठ ने अभियुक्तों की अपील और राज्य सरकार की ओर से दायर डेथ रैफरेंस को एक साथ सुनते हुए यह आदेश दिया है।

हाईकोर्ट ने इस मामले में दायर सभी अपीलों की सुनवाई एक साथ पूरी कर फैसला सुरक्षित रख लिया था। बुधवार को कोर्ट ने अपने 89 पन्नों के फैसले में इन्हें फांसी की सजा से मुक्त कर दिया। बता दें, 16 अगस्त, 2016 को कच्ची शराब पीने से 19 लोगों की मौत हुई थी।

पटना हाईकोर्ट की तल्ख टिप्पणी

  • कोर्ट ने अपने फैसले में लिखा है, ‘जानकारी के बावजूद गोपालगंज थाने के SHO FIR करने में असफल रहे। ज्यादातर जांच FIR करने से पहले ही पूरी कर ली गई थी। बंधु राम से जानकारी मिलने के बाद भी SHO ने अपने बयान पर जांच शुरू की, जो शक पैदा करता है। FIR बिना कारण देर होना भी कई सवाल खड़े करता है।’
  • कोर्ट ने अपने ऑर्डर में लिखा है, ‘ गवाहों में से किसी ने भी जांच के दौरान किसी भी मृतक का नाम नहीं बता पाया। अभियोजन पक्ष पोस्टमार्टम रिपोर्ट भी पेश करने में असफल रहा था, जिससे यह साबित हो कि उनकी मृत्यु जहरीली शराब से हुई।’
  • ‘जब्त आपत्तिजनक सामग्री को कोर्ट में पेश नहीं किया गया। इसे जब्त करने के बाद कहां रखा, इसकी भी जानकारी नहीं थी। उस घर या जगह के संबंध में कोई सबूत नहीं है, जहां से आपत्तिजनक सामग्री जब्त की गई थी और फिर उसे जांच के लिए FSL भेजा गया था।’

5 मार्च 2021 को हुई थी फांसी की सजा

गोपालगंज के ADJ-2 कोर्ट ने 5 मार्च को खजूरबानी शराबकांड के 9 दोषियों को फांसी की सजा सुनाई थी। 4 महिलाओं को उम्रकैद हुई थी। इन सभी को बरी किया गया है। कोर्ट ने 26 फरवरी 2021 को 13 लोगों को दोषी करार दिया था। इनमें से 11 अभी जेल में हैं।

नगर थाने से महज 2 किलोमीटर दूर खजूरबानी में बड़े पैमाने पर देसी शराब बनाई जा रही थी। पुलिस पर इसकी जानकारी होने के बावजूद कार्रवाई न करने का आरोप लगा था। घटना के बाद थाने के सभी पुलिसकर्मियों को सस्पेंड कर दिया गया था। घटना के प्रत्यक्षदर्शी संतोष कुमार ने बताया था कि हर घंटे लोगों की मौत हो रही थी।

पुलिसकर्मी भी हुए बहाल

12 जून 2020 को बिहार के DGP ने 21 पुलिसवालों को बर्खास्त कर दिया था। हालांकि, 14 जनवरी 2021 को हाईकोर्ट ने इनमें से एक सब इंस्पेक्टर समेत 5 पुलिसकर्मियों की बर्खास्तगी का आदेश रद्द कर दिया था। हाईकोर्ट के इस आदेश से बाकी 16 पुलिसवालों की बर्खास्तगी का आदेश भी निरस्त हो गया था।

16 अगस्त 2016 को 19 लोगों की हुई थी मौत। (फाइल फोटो)

16 अगस्त 2016 को 19 लोगों की हुई थी मौत। (फाइल फोटो)

कई लोगों ने आंखों की रोशनी गंवाई

16 अगस्त 2016 को गोपालगंज के वॉर्ड नंबर-25 स्थित खजूरबानी मोहल्ले में ज्यादातर घरों में किसी न किसी की मौत हुई थी। मरने वाले सभी गरीब परिवारों के थे। जहरीली शराब की वजह से कई लोगों की आंखों की रोशनी चली गई थी। सबसे ज्यादा मौतें नोनिया टोली, पुरानी चौक और हरखुआं मोहल्ले में हुई थी।

जमीन में दबे मिले थे शराब से भरे ड्रम

इस कांड ने गोपालगंज जिले से लेकर राज्य मुख्यालय तक हलचल मचा दी थी। मामले की जांच करने के लिए सारण प्रमंडल के तत्कालीन कमिश्नर, DIG, तिरहुत क्षेत्र के IG और उत्पाद विभाग के प्रधान सचिव तक को सरकार ने गोपालगंज भेजा था।

सीनियर अफसरों ने मोहल्ले में जाकर जांच की तो वहां बड़ी मात्रा में नशीला पदार्थ मिलाकर बनाई गई शराब, ड्रम, शराब बनाने वाले उपकरण और बर्तन मिले थे। शराब से भरे कई ड्रम जमीन में दबाकर रखे गए थे। इन्हें भी पुलिस ने बरामद किया था।

ये लोग दोषी करार दिए गए थे

कन्हैया पासी, लालझरी देवी, नगीना पासी, राजेश पासी, सनोज पासी, संजय पासी, इंदु देवी, कैलाशो देवी, लाल बाबू पासी, रंजय चौधरी, मुन्ना पासी, रीता देवी। इनमें सनोज पासी और संजय पासी फरार हैं।

एक आरोपी की हो गई थी मौत

नगर थाना पुलिस ने खजुरबानी गांव के मुख्य अभियुक्त नगीना पासी, रुपेश सहित कुल 14 लोगों को अभियुक्त बनाया था। इस मामले में नामजद एक आरोपी की ट्रायल के दौरान ही मौत हो गई थी। 13 नामजद अभियुक्त जिन्दा हैं, जिनमें से 9 लोगों को एडीजे- 2 की कोर्ट ने फांसी की सजा सुनाई है, जबकि 4 महिला दोषियों को आजीवन कारावास की सजा दी गई थी।

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