रेवाड़ी6 मिनट पहले
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धर्मशाला।
धर्मशाला को शादी के लिए किराए पर देने के मामले में पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने बड़ा फैसला दिया है। हार्ठकोर्ट ने कहा कि यह कॉमर्शियल काम नहीं है। यह समाज की सेवा का हिस्सा है। ऐसे में वह प्रॉपर्टी टैक्स से छूट के हकदार हैं। इसके बाद हाईकोर्ट ने हरियाणा में फरीदाबाद नगर निगम के भेजे नोटिस को खारिज कर दिया।
टैक्स न भरा तो नीलामी की तैयारी
फरीदाबाद के दौलतराम खान ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर कहा कि उसकी NIT में धर्मशाला है। जिसे वह मामूली किराए पर शादी समारोह के लिए देते हैं। एक दिन अचानक नगर निगम फरीदाबाद ने उन्हें प्रॉपर्टी टैक्स का नोटिस भेज दिया। उन पर मोटा टैक्स लगाते हुए इसे न भरने पर धर्मशाला को नीलाम करने की तैयारी की जा रही है।
निगम ने कहा- मुनाफा कमाया जा रहा
इस मामले में नगर निगम ने हाईकोर्ट में कहा कि धर्मशाला में कॉमर्शियल एक्टिविटी यानी व्यवसायिक कार्य किया जा रहा है। यहां कोई दान-धर्म नहीं बल्कि मुनाफा कमाया जा रहा है। हाईकोर्ट ने इस मामले में सभी पक्षों को सुना।
मैरिज पैलेस पर टैक्स ठीक, धर्मशाला पर नहीं
इसके बाद हाईकोर्ट ने कहा कि शादी समारोह सामुदायिक कार्य का हिस्सा है। इसके जरिए याचिकाकर्ता समाज को अपनी सेवाएं दे रहा है। मैरिज पैलेस जैसी जो जगहें खास तौर पर शादी के लिए बनाई जाती हैं, वह आलीशान प्रबंधों के लिए मोटी रकम वसूलते हैं। उन्हें कॉमर्शियल मानकर टैक्स लिया जा सकता है। धर्मशाला को इस तरह का नोटिस भेजना गलत है। इसलिए यह नोटिस खारिज किया जा रहा है।
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