Highlights
- देश को मिलेगी पहली महिला आदिवासी राष्ट्रपति
- एनडीए उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू की जीत तय
- द्रौपदी मुर्मू बनेंगी महामहिम, BJP में जश्न
President Election: एनडीए की राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू की जीत का अभी औपचारिक ऐलान नहीं हुआ है लेकिन महाराष्ट्र बीजेपी ने उनकी जीत का जश्न मनाना शुरू कर दिया है। बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष चंद्रकांत पाटिल और बीजेपी के राज्य के कई नेता इस सेलिब्रेशन में शामिल हुए है। वहीं, दिल्ली में बीजेपी दफ्तर में भी जश्न शुरू हो चुका है, ढोल-नगाड़े बज रहे हैं।
द्रौपदी की जीत का जश्न क्यों, क्या मैसेज देना चाहती है बीजेपी?
- आदिवासी समाज की सबसे बड़ी हितैषी बीजेपी
- पीएम मोदी वंचित तबके के लिए काम करते हैं
- मुख्य धारा से कटे समाज को हिस्सेदारी देती है BJP
- आदिवासी वोटर सिर्फ बीजेपी पर भरोसा करे
- चुनाव में बीजेपी कैंडिडेट को वोट दें आदिवासी
देश की दूसरी महिला राष्ट्रपति होंगी द्रौपदी मुर्मू
देश को नया राष्ट्रपति मिलने जा रहा है। प्रतिभा पाटिल के बाद देश को दूसरी महिला राष्ट्रपति मिलने जा रही है। इस वक्त राष्ट्पति चुनावों के लिए वोट की गिनती जारी है। द्रौपदी मुर्मू की जीत पक्की है, बस औपचारिक ऐलान और UPA के कैंडिडेट से जीत के अंतर का इंतजार है। द्रौपदी मुर्मू को प्रत्याशी बनाकर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने विरोधियों को बड़े धर्मसंकट में डाल दिया था। देश की पहली आदिवासी महिला राष्ट्रपति का विरोध करें तो दिक्कत और समर्थन करें तो दिक्कत।
कई विधायकों ने अपनी पार्टी लाइन से हटकर मुर्मू को दिया वोट
इसी धर्मसंकट में कई राजनीतिक दलों को बीजेपी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से विरोध के बावजूद NDA के खेमें आना पड़ा। वो मोदी के खिलाफ है लेकिन द्रौपदी मुर्मू को समर्थन देना पड़ा। जब अंतरआत्मा की आवाज पर वोट हुआ तो कई विधायकों ने अपनी पार्टी लाइन से हटकर द्रौपदी मुर्मू को वोट दिया।
द्रौपदी की जीत खास क्यों, क्या है जीत के क्या मायने?
- मोदी के बढ़ते महत्व का नतीजा है ये जीत
- UPA के घटते कद का रुझान है ये जीत
- UPA के कई दल NDA को वोट के लिए मजबूर
- कई विरोधी दल खेमा बदलने के लिए मजबूर
- NDA के समर्थन में कई राज्यों में क्रॉस वोटिंग
- आदिवासी, महिला वोटर में मोदी के क्रेज में इजाफा
कहा जा रहा है इस नतीजे से 2022 से 2024 तक होने वाले 18 विधानसभा चुनाव और लोकसभा चुनाव पर असर पड़ेगा। विधानसभा की 495 और लोकसभा की 47 सीट में समीकरण बदल जाएंगे। भारत की राजनीति में ये बहुत निर्णायक क्षण हैं। देश ने जिन सांसदों और विधायकों को चुना उन्होंने मिलकर एक नया इतिहास बनाया है। देश को प्रथम नागरिक के पद पर पहली बार कोई आदिवासी महिला आसीन होने वाली हैं।
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