जालंधर6 मिनट पहले
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1970 में पहली बार मुख्यमंत्री बनने पर शपथ ग्रहण करते हुए।
पंजाब की राजनीति के पुरोधा रहे प्रकाश सिंह बादल पहली बार साल 1957 में कांग्रेस की टिकट पर विधायक चुनकर विधानसभा में पहुंचे थे। लेकिन कांग्रेस में नेताओं को साथ उनकी कुछ पटी नहीं और मतभेदों के चलते उन्होंने कांग्रेस पार्टी की अलविदा कह दिया। इसके बाद उन्होंने शिरोमणि अकाली दल में जॉइन किया जहां पर वह 5 बार पंजाब के मुख्यमंत्री बने।
साल 1957 के चुनाव में हिमाचल-हरियाणा पंजाब के हिस्से थे और इस पंजाब में 154 विधानसभा सीटें थीं। इस चुनाव में कांग्रेस ने 120 सीटों पर जीत हासिल की और सूबे के मुख्यमंत्री का पदभार प्रताप सिंह कैरों ने संभाला। लेकिन प्रताप सिंह कैरों के साथ बादल की अनबन शुरू हो गई और उन्होंने पार्टी को छोड़ दिया।
1969 में चुनाव जीतने के बाद शिरोमणि अकाली दल में शामिल हुए
कांग्रेस में मुख्यमंत्री प्रताप सिंह कैरों के साथ उनका छत्तीस की आंकड़ा होने पर वह 1967 में वह अकाली दल से चुनाव लड़े और हार गए। इसके बाद उन्होंने 1969 में चुनाव लड़ा और जीता। चुनाव जीतने के बाद वह शिरोमणि अकाली दल ने गठबंधन में सरकार बनाई तो मुख्यमंत्री के रूप में प्रकाश सिंह बादल का नाम नामित किया गया।
ग्रामीण संसद से शुरू थी राजनीतिक पारी
प्रकाश सिंह बादल ने 1947 में अपनी राजनीतिक पारी ग्रामीण संसद से शुरू की थी। वह सबसे अपने गांव के सबसे छोटी उम्र के सरपंच बने थे। इसके बाद ब्लॉक समिति लम्बी के अध्यक्ष चुने गए। ब्लाक समिति अध्यक्ष बनने के बाद प्रकाश सिंह बादल ने फिर राजनीतिक सफर में पीछे मुड़कर नहीं देखा। लाहौर (पाकिस्तान) के फॉर्मन क्रिश्चियन कॉलेज से ग्रेजुएशन की डिग्री करने वाले प्रकाश सिंह ढिल्लों (बादल) 1957 में पहली बार विधायक बने थे।
1970 में पहली बार पंजाब के मुख्यमंत्री बने
प्रकाश सिंह बादल लगातार विधायक बनते गए। 1970 में वह पहली बार पंजाब के मुख्यमंत्री के रूप में चुने गए। लेकिन गठबंधन की सरकार 1साल 79 दिन बाद ही टूट गई। 1977 में फिर से जनसंघ और अन्य दलों के साथ मिलकर सरकार बनाई लेकिन यह सरकार भी 2 साल 242 दिन ही चली और अपना शासन पूरा नहीं कर पाई।
देश में आपातकाल लागू हो जाने पर पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल को अन्य नेताओं के साथ जेल में बंद कर दिया गया । इसके बाद 1985 में प्रकाश सिंह बादल फिर से अपनी सरकार बनाने में कामयाब हो गए लेकिन बादल के पीछे लगे शासन पूरा न होने देने के रोग ने पीछा नहीं छोड़ा और फिर से सरकार 1 साल 255 दिन बाद 1987 में गिर गई।
लेकिन अकाली नेता प्रकाश सिंह बादल ने हार नहीं मानी और पीछे भी नहीं हटे। उन्होंने एक बार फिर से 1997 में सत्ता संभाली और इस बार 5 साल का पहली बार अपना शासन पूरा किया। लेकिन पांच साल के बाद सरकार दोबारा रिपिट नहीं हुई इसके बाद 2007 से लेकर 2017 तक लगातार दस साल तक शासन कर इतिहास रचा।
श्री अकाल तख्त साहिब से मिला था पंथ रत्न का अवार्ड
मुख्यमंत्री के रूप में सबसे लंबी पारी खेलने वाले प्रकाश सिंह बादल जब पहली बार मुख्यमंत्री बने तो वह पंजाब में सबसे कम उम्र के मुख्यमंत्री थे। सिखों और सिख पंथ के लिए किए गए कार्यों के लिए श्री अकाल तख्त साहिब ने पूर्व मुख्यमंत्री के पंथ रत्न फख्र-ए-कौम के अवॉर्ड से नवाजा था।
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