बिना पायलट पहले फाइटर एयरक्राफ्ट ने भरी उड़ान: टेकऑफ से लेकर लैंडिग तक सब सुरक्षित, DRDO की बड़ी सफलता

बिना पायलट पहले फाइटर एयरक्राफ्ट ने भरी उड़ान: टेकऑफ से लेकर लैंडिग तक सब सुरक्षित, DRDO की बड़ी सफलता

2 घंटे पहले

रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) ने ऑटोनॉमस फ्लाइंग विंग टेक्नोलॉजी डिमॉन्स्ट्रेटर की सफलतापूर्वक उड़ान भरी। ये उड़ान शुक्रवार को कर्नाटक के चित्रदुर्ग में एरोनॉटिकल टेस्ट रेंज से भरी गई। इस फाइटर एयरक्राफ्ट की खास बात है कि ये ऑटोमैटिक है, यानी की बिना पायलट के काम करेगा। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने DRDO को सफल उड़ान की बधाई दी।

ऑटोमैटिक मोड पर करेगा वर्क
DRDO ने इसकी जानकारी देते हुए कहा कि ये पूरी तरह से ऑटोमैटिक मोड में काम करेगा। विमान ने सफलता से उड़ान भरी, जिसमें टेक-ऑफ, वे पॉइंट नेविगेशन और एक आसान टचडाउन शामिल है। यह उड़ान भविष्य के अनमैन्ड विमानों के लिए महत्वपूर्ण टेक्नोलॉजी साबित होगा और ऐसी स्ट्रैटेजिक डिफेंस टेक्नोलॉजी में भी मदद करेगा, जो आत्मनिर्भर होगी।

टर्बोफैन इंजन के जरिए ऑपरेट होगा विमान
इस टेक्नोलॉजी को बेंगलुरु के वैमानिकी विकास प्रतिष्ठान (AED) ने डिजाइन किया है। ये विमान एक छोटे, टर्बोफैन इंजन के जरिए ऑपरेट किया गया है। इसमें एयरफ्रेम के साथ इसके अंडर कैरिज, फ्लाइट कंट्रोल और एवियोनिक्स सिस्टम को स्वदेशी रूप से विकसित किया गया था।

हाई-स्पीड एक्सपेंडेबल एरियल टारगेट भी है ऑटोमैटिक ड्रोन
29 जून को हाई-स्पीड एक्सपेंडेबल एरियल टारगेट (HEAT) यानी अभ्यास का सफलतापूर्वक परीक्षण किया गया था। इसकी टेस्टिंग DRDO ने ओडिशा के चांदीपुर में एकीकृत परीक्षण रेंज (ITR) से किया है। ये मिसाइलों को सीधे टारगेट बनाएगा। इस लड़ाकू ड्रोन का इस्तेमाल मिसाइल कई प्रणालियों की निगरानी के लिए हवाई लक्ष्य के रूप में भी किया जा सकता है।

ऑटोमैटिक वर्क करेगा ड्रोन
इस टारगेट को पूरी तरह से ऑटोमैटिक काम करने के लिए तैयार किया गया है। इसका मतलब यह ड्रोन पूरी तरह से ऑटोमैटिक सिस्टम के कंट्रोल में काम करता है और इसके इस्तेमाल के लिए किसी पायलट जरूरत नहीं होती है। यह ड्रोन हवा से हवा में मार करने में सक्षम है।

कम ऊंचाई पर किया गया परीक्षण
परीक्षण उड़ान के दौरान बेहतर और सटीक प्रदर्शन किया। इसे कम ऊंचाई पर उड़ाया गया ताकि भविष्य में सी-स्कीमिंग मिसाइलों जैसे ब्रह्मोस का परीक्षण किया जा सके। परीक्षण के दौरान ट्विन अंडर-स्लंग बूस्टर का इस्तेमाल करके हवाई वाहन को लॉन्च किया गया था। यह छोटी गैस टर्बाइन इंजन के जरिए ऑपरेट किया गया है, जो सबसोनिक स्पीड से उड़ान को बनाए रखता है।

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