ब्रिटेन की महारानी एलिजाबेथ के निधन के साथ ही शाही परंपरा के एक युग का अंत हो गया है। महारानी की मौत से पूरी दुनिया स्तब्ध है और गहरा दुख पहुंचा है। एलिजाबेथ द्वितीय 96 वर्ष की थीं। महारानी ने ब्रिटेन में 70 साल तक शासन किया और शाही परंपरा का आगे बढ़ाया। अब उनके निधन के बाद यह जिम्मेदारी बेटे प्रिंस चार्ल्स को मिल गई है। महारानी के आखिरी समय में प्रिंस चार्ल्स बाल्मोरल महल में ही उनके पास थे। प्रिंस चार्ल्स बिर्टेन के नए राजा होंगे।
राज महल के अधिकारियों ने बताया कि ब्रिटेन के नए राजा को महाराज चार्ल्स तृतीय के नाम से जाना जाएगा। महारानी एलिजाबेथ द्वितीय के सबसे बड़े बेटे और ब्रिटेन के नए महाराज चार्ल्स ने गुरुवार को कहा कि उनकी मां का निधन उनके और उनके परिवार के सभी सदस्यों के लिए ‘सबसे बड़े दुख’ का क्षण है।
ब्रिटिश हुकूमत पर सबसे ज्यादा समय तक किया राज
ब्रिटिश हुकूमत पर सबसे लंबे समय तक राज करने वाली एलिजाबेथ द्वितीय का गुरुवार को स्कॉटलैंड स्थित बाल्मोरल कैसल में 96 साल की उम्र में निधन हो गया। उनके निधन से ब्रिटिश इतिहास में किसी शाही हस्ती के सबसे लंबे शासनकाल का अंत हो गया। तिहत्तर वर्षीय चार्ल्स ने कहा, ‘मेरी प्यारी मां, महामहिम महारानी का निधन, मेरे और मेरे परिवार के सभी सदस्यों के लिए सबसे बड़े दुख का क्षण है।’ चार्ल्स ब्रिटिश सिंहासन पर काबिज होने वाले सबसे उम्रदराज व्यक्ति हैं।
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कमी महसूस की जाएगी
उन्होंने एक बयान जारी कर कहा, ‘हम एक महान साम्रज्ञी और एक बहुत प्यारी मां के निधन पर गहरा शोक व्यक्त करते हैं। मुझे पता है कि पूरे देश, लोक, राष्ट्रमंडल और दुनियाभर के अनगिनत लोगों द्वारा गहराई से उनकी कमी महसूस की जाएगी।’ चार्ल्स ने कहा कि शोक और बदलाव की इस अवधि में महारानी को मिले व्यापक सम्मान और गहरे स्नेह से उन्हें और उनके परिवार को सांत्वना और बल मिलेगा।
क्या कहता है ब्रिटेन का राजशाही नियम
ब्रिटिश राजशाही के नियम कहते हैं कि सम्राट या महारानी की मृत्यु के तुरंत बाद नया राजा सिंहासन का हकदार होता है। इसका मतलब है कि महारानी एलिजाबेथ द्वितीय के सबसे बड़े बेटे प्रिंस चार्ल्स, उनकी मृत्यु के तुरंत बाद राजा बन गए। हालांकि, चार्ल्स के औपचारिक राज्याभिषेक में यह महीनों या उससे भी अधिक समय लग सकता है। एलिजाबेथ के मामले में, अपने पिता किंग जॉर्ज षष्ठम के निधन के बाद छह फरवरी, 1952 को वह महारानी बन गई थीं लेकिन इसके 16 महीने बाद दो जून, 1953 को उनका राज्याभिषेक हुआ।
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