मुस्लिम महिलाओं की बोली लगवाने वाले ऐप बुली बाई के हैंडलर्स विशाल और श्वेता तक ऐसे पहुंची मुंबई पुलिस

बुली बाई ऐप मामले में जब महाराष्ट्र पुलिस ने रुद्रपुर की श्वेता सिंह को गिरफ्तार किया तो पता चला कि वह ऐप से जुड़े तीन अकाउंट को हैंडल कर रही थी। इसी के आधार पर ग्रुप एडमिन के अलावा गिरफ्तार श्वेता को मुख्य आरोपी माना जा रहा है। बताया जा रहा है कि जांच की भनक लगते ही कई सदस्यों ने अपने मोबाइल स्विच ऑफ कर दिए थे, लेकिन रुद्रपुर में आदर्श कॉलोनी की रहने वाली आरोपी 18 वर्षीय श्वेता सिंह का मोबाइल ऑन था। इसके आधार पर महाराष्ट्र पुलिस की टीम ने सर्विलांस से आरोपी युवती को रुद्रपुर आकर गिरफ्तार कर लिया। बताया जा रहा है कि ऐप से नेपाल, दिल्ली, महाराष्ट्र, बेंगलुरु के अलावा कई प्रदेशों के शिक्षित युवा जुड़े हुए हैं। 

सोशल साइट्स पर दोस्ती

महाराष्ट्र पुलिस ने बताया कि बेंगलुरु से गिरफ्तार एक अन्य आरोपी विशाल कुमार झा इंजीनियरिग का छात्र है और फेसबुक और इंस्टाग्राम से श्वेता के साथ संपर्क में थे। यही वजह है कि मामले सामने आने पर सबसे पहले महाराष्ट्र पुलिस ने विशाल की गिरफ्तारी की थी और पूछताछ में सबसे पहला नाम रुद्रपुर की युवती श्वेता सिंह का सामने आया। सोशल साइट्स पर दोनों आरोपियों की दोस्ती होने के बाद लगातार एक-दूसरे के संपर्क में रहे, जिसकी पुष्टि सीडीआर और सोशल साइटस से महाराष्ट्र पुलिस ने कर ली थी। विशाल कुमार झा ने खालसा सुपरिमेसिस्ट नाम से एक अकाउंट बनाया था।

पैसा कमाने का लालच तो नहीं

बुली बाई ऐप मामले में फंसी श्वेता सिंह ने कहीं यह रास्ता परिवार की जिम्मेदारियों को पूरा करने के लिए तो नहीं अपनाया? ऐसी ही चर्चा आरोपी श्वेता की गिरफ्तारी के दौरान हो रही थी। यदि आरोपी के परिवार की स्थिति पर नजर डालें, तो सिर से मां का साया उठने और फिर पिता की मौत के बाद  अपनी छोटी बहन और  भाई की चिंता भी सताने लगी थी। ऐसा हो सकता है कि कम समय में ज्यादा पैसा कमाने की चाह में श्वेता ने इस ओर रुख किया हो।

बताते हैं कि श्वेता के पिता एक प्राइवेट कंपनी में काम करते थे। तनख्वाह कम होने के बाद भी उनका परिवार खुशहाली की जिंदगी जी रहा था, लेकिन माता-पिता की मौत के बाद श्वेता की बड़ी बहन और खुद श्वेता पर परिवार की जिम्मेदारी आ गई थी। माना जा रहा है कि तीन बहनों और एक भाई की पढ़ाई-लिखाई एवं परिवार के नियमित खर्चों को लेकर श्वेता बेहद चिंतित थी। इसको लेकर वह आए दिन स्थानीय लोगों से चर्चा भी करती थी। आशंका जताई जा रही है कि आरोपी श्वेता ने परिवार को खराब माली हालत से उबारने के लिए शायद यह रास्ता अपनाया हो और बुली बाई ऐप के माध्यम से कम समय में धन कमाने की चाह रखी हो और वह इसमें फंसती चली गई। 

प्रकरण को दबाती रही स्थानीय पुलिस

बुली बाई ऐप साइबर अपराध में फंसी आरोपी श्वेता की गिरफ्तारी होने के बाद पूरे मामले को स्थानीय पुलिस दबाने की कोशिश करती रही। श्वेता सिंह की गिरफ्तारी के पांच घंटे बीत जाने के बाद भी स्थानीय पुलिस ने दूसरे प्रदेश की पुलिस के आने की कोई भनक तक नहीं लगने दी, लेकिन जब मुंबई पुलिस की टीम ने आरोपी युवती को न्यायालय में पेश किया तो मंगलवार की शाम करीब साढ़े पांच बजे पूरे मामले से पर्दा उठा। 

स्थानीय पुलिस अब सक्रिय हो गई है। स्थानीय पुलिस भी इस मामले से जुड़े लोगों की जानकारी जुटाने में लग गई है। एसपी सिटी ममता बोहरा ने बताया कि मुंबई पुलिस की ओर से ऐप के माध्यम से समुदाय विशेष की महिलाओं की फोटो अपलोड कर इन्हें नीलाम करने के मामले की महाराष्ट्र पुलिस द्वारा दी गई जानकारी जुटा ली है। मामले में गिरफ्तार युवती से जुड़े हर पहलू की स्थानीय पुलिस जांच करेगी। 

क्या है बुली ऐप?

सुल्ली डील्स ऐप की तरह बुली बाई ऐप को भी गिटहब पर ही बनाया गया था, हालांकि अब इसे ब्लॉक कर दिया गया है। यह मामला सबसे पहले नए साल के पहले दिन यानी एक जनवरी को सामने आया था। आरोपियों ने कई मुस्लिम महिलाओं की तस्वीरों से छेड़छाड़ कर बुली बाई ऐप पर नीलामी के लिए डाला था। इसमें खासकर उन महिलाओं को टारगेट किया गया था, जो सोशल मुद्दों पर सक्रिय रहती हैं।

द वायर की पत्रकार इस्मत आरा को जब इस प्लैटफॉर्म पर अपनी तस्वीर के बारे में जानकारी मिली तो उन्होंने दिल्ली साइबर पुलिस में शिकायत दर्ज कराई। शिवसेना सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने इस मामले को मुंबई पुलिस के सामने उठाया था और उन्होंने इसके दोषियों को जल्द से जल्द गिरफ़्तार करने की मांग की। मुंबई पुलिस ने कहा कि उसने मामले को संज्ञान में लिया और साइबर पुलिस ने जांच शुरू कर दी।

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