यूक्रेन में फंसे भारतीय स्टूडेंट्स; LIVE: इंडियंस के घर छोड़ते ही रूस ने बिल्डिंग उड़ाई; घर वापसी के लिए हाथों में तिरंगा थामकर बस में सवार हुए छात्र

यूक्रेन में फंसे भारतीय स्टूडेंट्स; LIVE: इंडियंस के घर छोड़ते ही रूस ने बिल्डिंग उड़ाई; घर वापसी के लिए हाथों में तिरंगा थामकर बस में सवार हुए छात्र

नई दिल्ली2 मिनट पहले

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यूक्रेन पर रूस के हमले के तीसरे दिन वहां फंसे भारतीय छात्रों को घर वापसी की उम्मीद जागी है। बंकरों और रेस्क्यू सेंटर्स में समय गुजार रहे भारतीय छात्र कहीं चटाई बिछाकर सोने को मजबूर हैं, तो कहीं उन्हें पेटभर खाना भी नहीं मिल रहा। उनकी वापसी के लिए भारत सरकार द्वारा फ्लाइट्स भेजी जा रही हैं। एयरपोर्ट तक पहुंचने के लिए छात्रों को बसों से ले जाया जा रहा है। ये छात्र हाथों में झंडा थामें बसों में सवार हो रहे हैं। भास्कर ने इन छात्रों से बात की…

राजस्थान के छात्र की रिपोर्ट
टैक्सी ड्राइवर ने दिलवाई रुकने की जगह, एम्बेसी ने खाना दिया, लेकिन कम पड़ा

कीव के स्कूल में चटाई बिछाकर बैठे भारतीय छात्र।

कीव के स्कूल में चटाई बिछाकर बैठे भारतीय छात्र।

रूस-यूक्रेन में सबसे ज्यादा प्रभावित लुहांस्क से एक दिन पहले ही मैं कीव पहुंची थी। कीव के रास्ते में थी, तभी युद्ध के बारे में जानकारी मिली। कीव के रेलवे स्टेशन पहुंची तो यहां हालात और खराब मिले। हर जगह अफरा-तफरी का माहौल था। 5 घंटे इंतजार करने के बाद बड़ी मुश्किल से टैक्सी मिली। हम इंडियन एम्बेसी जाना चाहते थे, लेकिन हालात इतने खराब हो गए थे कि एम्बेसी पहुंच ही नहीं पाए।

हमारे पास रुकने के लिए कोई जगह नहीं थी। टैक्सी ड्राइवर ने ही हमें अपने एक परिचित के घर किराए से एक कमरा दिलवाया। इस दौरान हमने लगातार इंडियन एम्बेसी फोन किया, लेकिन किसी ने फोन नहीं उठाया। जिस जगह हम एक दिन रुके थे, उसके आसपास कई बार धमाकों की आवाजें आ रही थी। हमारी बिल्डिंग के बिल्कुल बगल में यूक्रेनी सेना का कोई दफ्तर था। शाम होते-होते सेना के दफ्तर के आगे यूक्रेन की सेना का जमावड़ा होने लगा। रात भर वहां जवानों का आना-जाना लगा रहा।

सुबह होते ही हमने फिर एम्बेसी को फोन ट्राई किया। हमें खबरें मिल रही थी कि रूसी सेना कीव की तरफ बढ़ रही है, इससे हमारी धड़कनें और बढ़ती जा रही थी। हमारे रूम से एम्बेसी करीब 11 किमी दूर थी। बड़ी मुश्किल से एक टैक्सी मिली। हम एम्बेसी पहुंचे ही थे कि पता चला कि रूस ने अटैक करके यूक्रेनी सेना के उस दफ्तर को तहस-नहस कर दिया। ये सुनकर तो हम कांप गए और भगवान का शुक्रिया भी अदा किया कि ठीक समय पर वहां से निकल गए।

यह स्कूल 3 फ्लोर का है। शुरू में दो ही फ्लोर ओपन किए गए, स्टूडेंट्स की भीड़ बढ़ी तो तीसरा फ्लोर भी खोल दिया गया। इस स्कूल में भारत के करीब 1 हजार स्टूडेंट्स ने शेल्टर लिया हुआ है। एम्बेसी ने ही स्टूडेंट्स के खाने-पीने की व्यवस्था की, लेकिन भीड़ बढ़ती गई तो खाना भी कम पड़ गया। अभी हालत यह है कि कई लोग बालकनी में चटाई बिछाकर बैठे हुए हैं। हॉल में भी इतनी भीड़ है कि पैर रखने की जगह नहीं है।

पंजाब के छात्रों की रिपोर्ट
हाथों में तिरंगा थामकर घर वापसी के लिए बस में सवार हुए स्टूडेंट

रूस और यूक्रेन के बीच चल रहे युद्ध में रूसी सेनाएं यूक्रेन की राजधानी कीव के पास पहुंच गई हैं और लगातार बमबारी कर रही हैं। इस बीच यूक्रेन में फंसे भारतीय छात्रों ने बंकरों में शरण ली है तो कुछ बिल्डिंग के बेसमेंट में फंसे हुए हैं। उन्हें खाने-पीने की दिक्कतों का सामना भी करना पड़ रहा है।

स्टूडेंट ने रवानगी के साथ ही हाथों में तिरंगा थाम रखा था। वहीं जिस बस में सवार होकर वे गए उस पर भी तिरंगा और इंडियन स्टूडेंट ऑन बोर्ड का पर्चा लगा हुआ था। नागरिक उड्डयन मंत्रालय के अधिकारियों ने पुष्टि की है कि AI-1941 शनिवार दोपहर 2 बजे मुंबई से उड़ान भरेगी, जबकि AI-1943 शाम 4 बजे दिल्ली से जाएगी।

फंसे हुए स्टूडेंट और उनके परिजन भारत सरकार और विदेश मंत्रालय पर दवाब बना रहे हैं कि उनके बच्चों को किसी न किसी तरीके से सुरक्षित निकाल लिया जाए। इसी दवाब के चलते भारत सरकार के विदेश मंत्रालय ने यूक्रेन से छात्रों को निकालने के लिए प्रयास शुरू कर दिए हैं। ये सभी पहले रोमानिया और फिर वहां से भारत आएंगे। इन छात्रों का पहला बैच रोमानिया से भारत के लिए रवाना कर दिया है। रोमानिया से रवाना होने से पहले इन स्टूडेंट ने अपने वीडियो सोशल मीडिया पर शेयर किए। जिसमें वे भारत सरकार और विदेश मंत्रालय का खतरे से निकालने के लिए आभार जता रहे हैं।

मध्यप्रदेश की छात्रा की रिपोर्ट
सायरन बजते ही बंकरों में ले जाया जाता है, खाने की काफी दिक्कत

रतलाम की खुशबू यूक्रेन में फंसी है। वह बंकर और शेल्टर होम में छिपकर अपनी जिंदगी बचा रही है। उन्होंने बताया यहां भय का माहौल है। सायरन बजते ही हमें बंकरों में ले जाया जाता है। इसमें यूक्रेन की सरकार मदद कर रही है। खाने की काफी दिक्कत हो रही है। यहां मार्शल लॉ लागू है, इसलिए रात में कोई निकल नहीं पाता है।

बीकानेर में रूसी पिता, यूक्रेनी मां की कलाकार बेटी ने शांति के चित्र उकेरे​​​​​​​

रूस-यूक्रेन युद्ध से दुनियाभर में फैले डर और तनाव के बीच रशियन पिता और यूक्रेनी मां की कलाकार बेटी एंटोनिना वोलोडचेंको ने बीकानेर के पब्लिक पार्क में शांति और स्थिरता के चित्र उकेरे। कचहरी परिसर का चित्र उकेरती एंटोनिना रुस-यूक्रेन तनाव के बारे में ज्यादा बोलना नहीं चाहती। बस, इतना कहा- युद्ध से किसी का भला नहीं होता। मुझे उम्मीद है सब जल्द ठीक होगा। हम सभी पहले की तरह मित्रवत होंगे। बोली, मैं आर्ट इको प्रोजेक्ट की प्रतिभागी हूं। पहली बार भारत यात्रा पर आई हूं। इस अद्भुत देश, यहां के कलाकारों और सौंदर्य को देखकर खुशी मिलती है। एंटोनिना के पिता सैंट पीटरबर्ग्स, रूस के हैं जबकि मां यूक्रेन की। वह सेंट पीटरबर्ग्स में ही रहती है।

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