राष्ट्रपति चुनाव में भाजपा को क्रॉस वोटिंग का डर: कॉर्डिनेशन के लिए 14 सीनियर नेताओं के साथ शाह-नड्डा बनाएंगे स्ट्रैटजी; बंगाल-बिहार पर विशेष फोकस

राष्ट्रपति चुनाव में भाजपा को क्रॉस वोटिंग का डर: कॉर्डिनेशन के लिए 14 सीनियर नेताओं के साथ शाह-नड्डा बनाएंगे स्ट्रैटजी; बंगाल-बिहार पर विशेष फोकस

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नई दिल्ली26 मिनट पहले

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राष्ट्रपति चुनाव से पहले भाजपा को कई राज्यों में क्रॉस वोटिंग का डर सता रहा है, जिसे रोकने के लिए पार्टी रविवार को 14 सीनियर नेताओं के साथ स्ट्रैटजी बनाएगी। मीटिंग में नेताओं को राज्यों में कॉर्डिनेशन की जिम्मेदारी दी जा सकती है। मीटिंग में अध्यक्ष जेपी नड्डा, गृह मंत्री अमित शाह समेत इलेक्शन मैनेजमेंट के सदस्य शामिल रहेंगे।

भाजपा के पास राष्ट्रपति चुनने के लिए बहुमत नहीं
प्रेसिंडेंट इलेक्शन में इस बार कुल वोट वैल्यू करीब 10 लाख 98 हजार है और राष्ट्रपति चुनने के लिए करीब 5 लाख 49 हजार वोट चाहिए। भाजपा नीत गठबंधन के पास कुल 5 लाख 45 हजार वोट ही है। हालांकि, पार्टी बहुमत जुटाने के लिए क्षेत्रिय दलों से लगातार संपर्क साध रही है। ऐसे में अगर पार्टी के भीतर ही क्रॉस वोटिंग हो जाए, तो जीत सुनिश्चित कर पाना आसान नहीं होगा।

बंगाल में सबसे ज्यादा खतरा, राजस्थान-बिहार में भी डर
बंगाल भाजपा में पिछले कुछ महीने से सबसे ज्यादा उथल-पुथल मचा हुआ है। एक साल में 7 विधायक और 2 सांसद पार्टी छोड़ चुके हैं। पिछले दिनों हल्दिया में एक रैली में तृणमूल कांग्रेस नेता अभिषेक बनर्जी ने दावा किया था कि भाजपा के कई नेता शामिल होने के लिए तैयार हैं। तृणमूल सूत्रों की मानें तो भाजपा छोड़ने वाले नेता राष्ट्रपति चुनाव में क्रॉस वोटिंग कर ममता बनर्जी के प्रति वफादारी साबित कर सकते हैं। ममता साझा विपक्षी उम्मीदवार उतारने के लिए लगातार प्रयास कर रही हैं।

इधर, राज्यसभा चुनाव में राजस्थान में क्रॉस वोटिंग के बाद पार्टी अलर्ट हो गई है। राज्सथान में व्हिप जारी होने के बावजूद अंतिम वक्त में भाजपा विधायक शोभारानी कुशवाहा ने क्रॉस वोटिंग कर दी थी। ऐसे में राष्ट्रपति चुनाव को लेकर भाजपा अलर्ट हो गई है। वहीं बिहार में भी सहयोगी दल जदयू का रूख भी भाजपा के लिए चिंता का विषय बन चुका है। अगर, जदयू ने समर्थन देने का ऐलान नहीं किया, तो वहां भी क्रॉस वोटिंग हो सकती है।

चुनाव में विधायक-सांसदों के लिए जारी नहीं होता व्हिप
राष्ट्रपति चुनाव में विधायक और सांसद (मनोनीत को छोड़कर) वोट डालते हैं। इसमें सदस्यों के लिए व्हिप जारी नहीं होता है, जिससे राजनीतिक दलों के लिए क्रॉस वोटिंग का खतरा बना रहता है। 2017 के चुनाव में रामनाथ कोविंद के समर्थन में कई राज्यों में जमकर क्रॉस वोटिंग हुआ था।

राष्ट्रपति चुनाव में इस तरह होती है वोटिंग

  • हिस्सा लेने वाले सदस्य उम्मीदवारों में से पहले अपने पसंदीदा उम्मीदवार को वोट डालते हैं।
  • वह बैलट पेपर में सदस्य बता देते हैं कि राष्ट्रपति पद के लिए उनकी पहली, दूसरी और तीसरी पसंद क्या है।
  • अगर पहली पसंद वाले वोटों से विजेता का फैसला नहीं हो पाता है, तो उम्मीदवार के खाते में वोटर की दूसरी पसंद को नए सिंगल वोट की तरह ट्रांसफर किया जाता है।
  • इसी वजह से सिंगल ट्रांसफरेबल वोट कहा जाता है।

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