वीरान पड़े पंजाब के NRI वाले गांव, बीते 5 सालों में 5 लाख लोग विदेशों में बसे

वीरान पड़े पंजाब के NRI वाले गांव, बीते 5 सालों में 5 लाख लोग विदेशों में बसे

नई दिल्लीः पंजाब की 117 विधान सभा सीटों पर 20 फरवरी को वोटिंग होनी है. और इस बार के चुनावों में उन गांवों की सबसे ज़्यादा चर्चा हो रही है, जहां रहने वाले लोग अब अमेरिका और कनाडा जैसे देशों में जाकर बस चुके हैं. ऐसे गांवों को पंजाब में NRI वाले गांव भी कहा जाता है. पिछले 5 वर्षों में पंजाब से 5 लाख लोग विदेश जाकर बस चुके हैं. इसके अलावा 2 लाख 62 हजार छात्र ऐसे हैं, जो पंजाब से निकल कर दूसरे देशों में पढ़ाई और नौकरियां कर रहे हैं. इस ग्राउंड रिपोर्ट में हम आपको बताएंगे कि ये मुद्दा पंजाब में कितना बड़ा है और ये खाली गांव कैसे, राज्य की 5 से 7 सीटों पर अहम हो सकते हैं. और सभी पार्टियां, वोटों की इस फसल को काटने के लिए बेताब हैं.

पंजाब के NRI वाले गांव

मुक्तसर जिले के इस छोटे से गांव में कुल 200 परिवार हैं लेकिन यहां आपको ज्यादातर बुजुर्ग लोग ही मिलेंगे. युवा विदेशों में जाकर बस गए हैं. इस बारे में जब वहां की एक महिला से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि हम चाहते हैं कि बच्चे आंगन में खेलें.  मन लगता तो नहीं, लगाना पड़ता है. सक्कांवाली गांव के रहने वाले हरदिलजीत सिंह ने कहा कि बहुत बड़ा आंगन है लेकिन खाली है. हमारे घर में 11 मेंबर हैं लेकिन अभी मैं अकेला रहता हूं. गांव हरियाली से खुशहाल नजर आते हैं. लेकिन वीरान पड़े हैं और घरों के बड़े-बड़े आंगन खाली हैं. दहलीज़ पर आकर कई दिनों से किसी ने दरवाज़ा नहीं खटखटाया है. चूल्हे पर साग और मक्की की रोटी पक रही है लेकिन इसका स्वाद लेने वाले बच्चे नहीं हैं.

पंजाब के ज्यादातर गांवों और शहरों की तस्वीर ऐसी ही

ये हाल केवल मुक्तसर के इस गांव का नहीं है पंजाब के ज्यादातर गांवों और शहरों की तस्वीर ऐसी ही है. विदेश भेजने की स्कीम्स के बोर्ड हर गांव में मिल जाएंगे. गांव में खेती बाड़ी की कोई कमी नहीं, ज्यादातर किसान समृद्ध हैं लेकिन युवा पीढ़ी खेती करना नहीं चाहती, और पंजाब में रोजगार के इतने अवसर नहीं हैं. लिहाज़ा बच्चे विदेशों का रुख कर रहे हैं. पंजाब के गांवों से विदेश जाना एक तरह का चेन रिएक्शन भी है. एक घर का बच्चा विदेश गया है  तो देखा-देखी दूसरे घर का बच्चा भी वहीं बसना चाहता है. हर किसी को बड़ी नौकरी नहीं मिलती, हर बच्चा बहुत पढ़ने लिखने यानी higher studies के मकसद से भी नहीं जाता. कई लोग वहां ड्राइवर है, ते कई फूड डिलीवरी कर रहे हैं.

बच्चे कहीं ड्रग्स के शिकार ना हो जाएं..

किसान सुरेंदर खन्ना ने कहा कि हमने घर में पानी भी अपने हाथ से उठाकर नहीं पिया, बच्चे वहां ट्रक चला रहे हैं लेकिन फिर भी खुश हैं. सक्कांवाली गांव के हरिंदर सिंह ने कहा कि एक बार एक चूल्हे वाला चूल्हा बेचने आया तो एक चूल्हा नहीं बिका उसका. रोजगार के अवसर ना होना सिर्फ एक वजह नहीं है. पंजाब में मां बाप को फिक्र रहती है कि बच्चे कहीं ड्रग्स के शिकार ना हो जाएं. कमज़ोर कानून और सुरक्षा व्यवस्था का डर भी सताता है.

5 सालों में पंजाब से 5 लाख लोग विदेशों में बसे

लोक सभा में वर्ष 2021 में दिए गए आंकड़ों के मुताबिक 2016 से अब तक यानी पिछले 5 सालों में पंजाब से 5 लाख लोग विदेश जाकर बस गए हैं. 5 साल में पंजाब से 2 लाख 62 हजार बच्चे पढने के लिए विदेशों का रुख कर चुके हैं. हालांकि विदेश भेजने के कारोबार में लगे एक्सपर्ट्स के आंकलन के मुताबिक ये आंकड़े बेहद कम बताए गए हैं.

हर साल तकरीबन सवा लाख युवा विदेश जा रहे

बाज़ार के अनुमान के मुताबिक हर साल तकरीबन सवा लाख युवा विदेश जा रहे हैं. जिसमें से 1 लाख कनाडा और तकरीबन 25 हजार अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड जैसे देशो का रुख करते हैं. अनुमान ये भी है कि पंजाब से हर साल 27 हजार करोड़ रुपए बच्चों को विदेश भेजने और पढाने में खर्च हो रहे हैं.

इस समस्या का जल्द हल निकालना जरूरी

चूल्हे पर खाना पकाती महिलाएं पंजाब के स्वाद को तो बरकरार रख रही हैं. लेकिन पंजाब के वर्तमान और भविष्य यानी युवा पीढ़ी को अपने घर और गांव में संभाल कर रखना अब मुश्किल हो गया है. पंजाब में ये मुद्दा महज़ चुनावी मुद्दा नहीं, युवा शक्ति के देश छोड़कर जाने की ऐसी समस्या है जिसका हल जल्द निकाला जाना जरुरी है.

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