व्यंग्य में चुनाव: गुजरात जैसा चमत्कार न तो कभी देखा, न कभी सुना

व्यंग्य में चुनाव: गुजरात जैसा चमत्कार न तो कभी देखा, न कभी सुना

  • Hindi News
  • National
  • Narendra Modi Magic; Gujarat Assembly Election 2022 Results Latest Opinion | Gujarat BJP

19 मिनट पहले

  • कॉपी लिंक

गुजरात चुनाव में भाजपा ने चमत्कार कर दिया। क्यों हुआ? कैसे हुआ? इस बहस में हर कोई लगा हुआ है। पढ़िए -एक कट्टर भाजपा कार्यकर्ता और एक आम आदमी की बात।

आम आदमी: भाई सॉब, इस बार तो चमत्कार हो गया।
कार्यकर्ता: हुआ नहीं, किया है। आदरणीय मोदी जी का जादू है। वर्ना सरकारें तो पाँच साल में ही बदल जाती हैं, हम तो सत्ताइस साल से गुजरात में सत्ता में हैं। फिर भी प्रचंड बहुमत से जीत कोई चमत्कार से कम है क्या?
आम आदमी: सही है, मोदी जी ब्रांड हैं, लेकिन वो तो भाई सॉब पिछली बार भी थे! तब 99 पर क्यों अटक गए थे? क्या पिछली बार रूपाणी सॉब को झटका देना चाह रहे थे क्या? या जादू में कोई कमी आ गई थी?
कार्यकर्ता: देखो, आपसे बात कर रहा हूँ, इसका मतलब ये नहीं कि आप कुछ तो भी बोलते रहें। … और ये रूपाणी – पटेल क्या बोला आपने? मोदी जी किसी में कोई भेद नहीं करते कि ये सीएम है तो ध्यान मत दो और वो सीएम है तो खूब मेहनत करो। मोदी जी हमेशा सबका साथ, सबका विकास में ही विश्वास करते हैं। वही उन्होंने इस बार भी किया।

आम आदमी: सॉरी भाई सॉब, लेकिन लोग कह रहे हैं कि इस बार गुजरात में आप पार्टी जो है, वो भाजपा की ही बी पार्टी थी। कांग्रेस को गच्चा देने के लिए ही मोदी जी और भाजपा के तमाम नेता आप को बढ़ा- चढ़ाकर पेश कर रहे थे।
कार्यकर्ता: देखिए किसको बढ़ा-चढ़ा कर पेश करना है, किसे नहीं, ये तो बड़े नेता जानें, लेकिन ये जो आप भाजपा की बी पार्टी वाली बात कह रहे हैं, इसमें कोई दम नहीं है। ऐसा होता तो दिल्ली एमसीडी में हम क्यों हारते। हिमाचल में वो हमारी बी पार्टी क्यों नहीं बनी?
आम आदमी: कुछ भी हो, लेकिन भाई सॉब 99 से सीधे 156 सीटें, कुछ आश्चर्य जैसा नहीं लगता? इतना तो शायद भाजपा और स्वयं मोदी जी ने भी नहीं सोचा होगा! भाजपा भी अपना टारगेट 151 ही बता रही थी। … और टारगेट तो ऊँचा ही रखा जाता है। पूरा थोड़े ही होता है।

कार्यकर्ता: आपका मतलब क्या है? क्या इतनी सीटें आने की कोई उम्मीद ही नहीं थी?

आम आदमी: भाई सॉब, गुजरात जबसे बना, तब से तो इतनी सीटें किसी की नहीं आईं। इसीलिए आश्चर्य होता है!
कार्यकर्ता: आप कहना क्या चाहते हो? क्या बाक़ी पार्टियों की तरह आपको भी लगता है कि हमने मशीनें बदल दीं?
आम आदमी: मैंने ऐसा कहाँ कहा? ठीक है भाई सॉब चलता हूँ। नमस्ते! आपको जीत की बहुत-बहुत बधाई।

खबरें और भी हैं…

Source link