शरद पवार के बयान से फिर हलचल तेज, उद्धव ठाकरे के इस्तीफे पर उठाए सवाल; बोले- पूछना चाहिए था

शरद पवार के बयान से फिर हलचल तेज, उद्धव ठाकरे के इस्तीफे पर उठाए सवाल; बोले- पूछना चाहिए था

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एनसीपी के मुखिया शरद पवार के बयान अकसर राजनीतिक रूप से अहम होते हैं। उनका एक और बयान सामने आया है, जिसने महाराष्ट्र में सियासी हलचल मचा दी है। उन्होंने मंगलवार को कहा कि उद्धव ठाकरे ने महाविकास अघाड़ी में किसी से सलाह लिए बिना ही सीएम पद से इस्तीफा दे दिया था। उद्धव ठाकरे ने बीते साल एकनाथ शिंदे की 40 विधायकों संग बगावत के बाद पद छोड़ दिया था। उन्होंने विश्वास मत का सामना किए बिना ही पद छोड़ा था, जिसे लेकर सवाल भी उठाए गए थे। यहां तक कि सुप्रीम कोर्ट ने भी सुनवाई के दौरान कहा था कि आपकी सरकार को हम बहाल कैसे कर सकते हैं, जब आपने खुद ही सीएम पद छोड़ दिया था। 

अब शरद पवार की ओर से भी सवाल उठाए जाने से राजनीतिक चर्चाएं छिड़ गई हैं। पवार ने कहा, ‘सीएम पद के लिए शरद पवार शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस की साझा पसंद थे। ऐसे में उम्मीद थी कि सीएम पद छोड़ने से पहले वह सभी पार्टियों की राय लेते। हम इस बात से हैरान थे कि आखिर बिना किसी से मशविरा किए ही उन्होंने कैसे मुख्यमंत्री के पद से इस्तीफा दे दिया था।’ पवार ने कहा कि उद्धव ठाकरे के पास यह अधिकार था कि वह अपना पद छोड़ दें, लेकिन जब बिना आपसी सलाह के फैसले लिए जाते हैं तो फिर उसका असर दिखता है। उन्होंने जब मुख्यमंत्री पद छोड़ने का फैसला लिया था तो कोई मशविरा नहीं हुआ। 

सुप्रीम कोर्ट ने भी उठाए थे उद्धव के फैसले पर सवाल

यही नहीं शरद पवार ने कहा कि महाविकास अघाड़ी फिलहाल तो एकजुट है, लेकिन भविष्य का देखा जाएगा। इससे पहले 16 मार्च को महाराष्ट्र में सरकार गठन को लेकर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने भी उद्धव ठाकरे के फैसले पर सवाल उठाया था। बेंच ने कहा था कि उद्धव ठाकरे ने जब विश्वास मत प्रस्ताव का ही सामना नहीं किया तो फिर क्या किया जा सकता है। अदालत ने कहा था कि यदि आपने विश्वास मत प्रस्ताव का सामना करने का फैसला लिया होता और गवर्नर एकनाथ शिंदे को सरकार गठन के लिए बुला लेते तो सवाल उठाए जा सकते थे। 

गठबंधन के भविष्य पर बोले- आगे क्या होगा पता नहीं

महाविकास अघाड़ी को लेकर भी शरद पवार ने जो कहा है, उस पर चर्चाएं तेज हैं। उन्होंने कहा कि 2019 के विधानसभा चुनाव के बाद हमारा जो गठबंधन बना था, वह अब तक एकजुट है और न्यूनतम साझा कार्यक्रम पर अडिग है। लेकिन भविष्य में क्या होगा, इसके बारे में कुछ कहा नहीं जा सकता। वहीं उद्धव ठाकरे और देवेंद्र फडणवीस के बीच तीखे वाकयुद्ध को लेकर शरद पवार ने कहा कि राजनीति में तल्खी से बचना चाहिए। उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र में ऐसी संस्कृति भी नहीं रही है। यहां सब एक दूसरे का सम्मान करते आए हैं और मर्यादा का हमेशा ख्याल रखा है। 

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