संघ में पहनी जाती है ड्रेस, लेकिन RSS कोई सैन्य संगठन नहीं: मोहन भागवत

ग्वालियर: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के प्रमुख मोहन भागवत (Mohan Bhagwat) ने एक बार फिर विपक्षियों को संघ का महत्व समझाने की कोशिश की है. मोहन भागवत ने कहा कि संघ कोई सैन्य संगठन नहीं है, बल्कि पारिवारिक माहौल वाला एक समूह है.

‘संघ कोई सैन्य संगठन नहीं’

मोहन भागवत (Mohan Bhagwat) रविवार को ग्वालियर में संघ के मध्य भारत प्रांत के म्यूजिकल बैंड के समापन शिविर को संबोधित कर रहे थे. मोहन भागवत ने कहा, ‘संघ में संगीत कार्यक्रम होते हैं तो यह कोई संगीत शाला नहीं है और न ही कोई व्यायामशाला या मार्शल आर्ट क्लब है. संघ में गणवेश पहनी जाती है तो यह कोई सैन्य संगठन नहीं है. संघ तो कुटुंब निर्माण करने वाली संस्था है. ’

‘समाज बदलेगा तो देश बदलेगा’

उन्होंने कहा कि संगीत, बौद्धिक जैसे कार्यक्रम मनुष्य की गुणवत्ता बढ़ाते हैं. जब समाज ठीक रहेगा तो देश बदलेगा और यदि देश का भाग्य बदलना है तो गुणवत्ता वाला समाज बनाना होगा. संघ यही काम कर रहा है, इसके लिए समाज का विश्वास होना जरूरी है. RSS प्रमुख ने कहा कि भले ही भारत आजादी की 75वीं वर्षगांठ मना रहा है लेकिन देश को कुप्रबंधन और लूट से हुए नुकसान की भरपाई करने की जरूरत है और यह काम समाज का है.

उन्होंने कहा, ‘हमें 15 अगस्त 1947 को आजादी मिली थी, लेकिन इसके लिए संघर्ष 1857 में शुरू हुआ था. एक विचार प्रबल हुआ कि हम अपने घर में एक विदेशी शक्ति से हार गए और चीजों को सीधा करने के प्रयास शुरू किए गए. एक निरंतर राजनीतिक और सामाजिक सुधार कार्य हुआ और हमें स्वतंत्रता मिली.’

‘आम लोगों को ही लाना होगा बदलाव’

उन्होंने कहा कि यदि देश को बनाना है तो अभी और प्रयास करने होंगे. अव्यवस्थाओं और लूट के कारण देश का जो नुकसान हुआ है, उसको ठीक करने में अभी 10-20 वर्ष और लगेंगे. भागवत (Mohan Bhagwat) ने कहा कि राजनेताओं, सरकार और पुलिस द्वारा लाया गया परिवर्तन कुछ समय तक ही रहता है. यदि इसे समाज का समर्थन नहीं मिलता है तो वह परिवर्तन जल्द ही खत्म हो जाता है. 

उन्होंने कहा कि इसके लिए सभी को जोड़कर, गुणवत्ता बनाकर, देश में हित में काम करने का संकल्प लेकर समाज को खड़ा होना होगा. मोहन भागवत ने कहा कि इस काम के लिए वातावरण बनाने का काम संघ करता है और इसमें सभी के योगदान की जरूरत है. इसके लिए संघ से जुड़ना जरूरी नहीं है. संघ से दूर रहकर, घर से ही सभी को अपना मानकर काम करना होगा.

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‘450 स्वर साधकों ने लिया भाग’

ग्वालियर में 4 दिनों तक चले RSS के स्वर साधकों के सम्मेलन में 450 से ज्यादा स्वर साधकों ने हिस्सा लिया. रविवार की शाम को केदारपुर के सरस्वती शिशु मंदिर के मैदान में उन्होंने संघ प्रमुख और आम लोगों के सामने अपना प्रदर्शन किया. इस मौके पर प्रख्यात सरोद वादक उस्ताद अमजद अली खान के साथ, सितार वादक उमड़ेकर, हरप्रीत नामधारी, डॉ. जयंत खोट, डॉ. ईश्वरचंद करकरे सहित कई कलाकार उपस्थित थे.

आरएसएस के पदाधिकारी विनय दीक्षित ने कहा कि आरएसएस का गठन 1925 में हुआ था जबकि इसकी संगीत शाखा 1927 में बनी थी. उन्होंने कहा कि अभ्यास के दौरान संगीत बैंड, विशेष रुप से ड्रम का उपयोग शाखाओं में किया जाता है.

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