हाईकोर्ट बेंचः वकीलों के विरोध से घबराई BJP? मोदी के मंत्री रिजिजू की हां, योगी के मंत्री सिद्धार्थनाथ सिंह का इनकार

आगरा में एक खेल कार्यक्रम के दौरान मोदी सरकार में मंत्री विधि एवं न्याय मंत्री किरण रिजिजू के पश्चिमी उत्तर प्रदेश में हाईकोर्ट की बेंच बनाए जाने पर विचार करने संबंधी बयान पर योगी सरकार में कैबिनेट मंत्री सिद्धार्थनाथ सिंह ने सफाई दी है। कैबिनेट मंत्री ने कहा है कि इलाहाबाद हाईकोर्ट की कोई भी बेंच पश्चिमी उत्तर प्रदेश में नहीं बनेगी और न ही अभी और न भविष्य में ऐसा कुछ बनाने की योजना है। 

उन्होंने ने कहा कि पहले भी यह मसला उठाया जा चुका है। लेकिन इस बात को समझना होगा कि ये कोई आसान काम नहीं है। इसके लिए हाईकोर्ट, विधानसभा और सुप्रीम कोर्ट की मंजूरी चाहिए। वैसे भी सरकार की ऐसी कोई योजना नहीं है। तो इस विषय पर बात करना ही निरर्थक है। इससे पहले रिजिजू के पश्चिमी उत्तर प्रदेश में हाईकोर्ट की खंडपीठ के गठन को दिए गए बयान पर आक्रोश व्यक्त करते हुए ऐसे किसी भी प्रस्ताव का पूरी ताकत से विरोध करने का ऐलान किया। हाईकोर्ट बार एसोसिएशन की एल्डर कमेटी ने बयान की कड़ी निंदा करते हुए इसे बचकाना व राजनीति से प्रेरित बयान करार दिया।

एल्डर कमेटी ने कहा कि जब भी चुनाव नजदीक आते हैं, राजनीतिक लोग इस प्रकार के भ्रामक बयान देने लगते हैं, जो एक राजनीतिक स्टंट के अलावा और कुछ नहीं होता है। ऐसा सिर्फ कुछ खास जिलों के वोटरों को लुभाने के इरादे से किया जाता है। कमेटी का यह भी कहना है कि यह आगरा और मेरठ के बार एसोसिएशन के बीच मतभेद पैदा करने की कोशिश भी है क्योंकि मेरठ में भी हाईकोर्ट की बेंच गठित करने की मांग हो रही है।

एल्डर कमेटी का कहना है कि हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश का पहले दिन से यह स्टैंड रहा है कि हाईकोर्ट की एक और पीठ गठित करने की आवश्यकता नहीं है क्योंकि पहले से ही लखनऊ में एक बेंच है। साथ ही उत्तराखंड के गठन के बाद वहां अलग हाईकोर्ट का गठन हो चुका है। कमेटी का कहना है कि न्यायपालिका के विकेंद्रीकरण की परिणति केंद्र और राज्य के स्तर पर भ्रष्टाचार के रूप में ही हुई है। वास्तव में सर्वोच्च न्यायालय की पीठें गठित करने की आवश्यकता है न कि हाईकोर्ट की। एल्डर कमेटी ने इस मामले में एक संघर्ष समिति के गठन की घोषणा की है जो वर्तमान हालात में संघर्ष की रूपरेखा तय करेगी।

वकीलों की आम सभा में रिजिजू की निंदा

इसी मुद्दे पर हुई वकीलों की आम सभा में किरण रिजजू के बयान की निंदा करते हुए इसे गैर जिम्मेदाराना और असंवैधानिक कहा गया। कहा गया कि सरकार न्याय पालिका में रिक्तियां भरने की बजाय राजनीतिक बयानबाजी में उलझी है, जिससे आम जनता को न्याय मिलना कठिन होता जा रहा है। 

निवर्तमान अध्यक्ष अमरेंद्र नाथ सिंह ने कहा कि जिस जसवंत सिंह कमीशन के आधार पर बयान दिया गया है वह रिपोर्ट उत्तराखंड राज्य के गठन के बाद अब निरर्थक हो चुकी है। साथ ही न्यायालयों में त्वरित न्याय के लिए उच्च न्यायालय व जिला न्यायालयों में विगत कई वर्षों से लगभग 30 प्रतिशत रिक्तियों को तत्काल भरा जाए।

पूर्व अध्यक्ष राधाकांत ओझा ने केंद्रीय मंत्री के बयान की कड़े शब्दों में निंदा करते हुए कहा कि न्याय पालिका ‌का विभाजन इसे कमजोर करने के सिवाय और कुछ नहीं है। हाईकोर्ट के अधिवक्ता इसे कभी स्वीकार नहीं करेंगे। पूर्व अध्यक्ष आईके चतुर्वेदी केंद्रीय मंत्री के बयान की निंदा करते हुए एल्डर कमेटी से हाईकोर्ट के बंटवारे को रोकने के लिए आंदोलन की ठोस रणनीति तैयार करने की मांग की है। उनका कहना है कि कानून मंत्री ने अपना बयान वापस नहीं लिया तो वकील इसका पुरजोर विरोध करेंगे।

केंद्रीय मंत्री का पुतला फूंका, सरकार को चेतावनी

हाईकोर्ट के वकीलों ने पश्चिमी उत्तर प्रदेश में उच्च न्यायालय की बेंच बनाने को लेकर बयान देने के लिए केंद्रीय कानून एवं न्याय मंत्री किरण रिजिजू की निंदा की और पुतला फूंका। साथ ही केंद्र सरकार को चेतावनी दी कि हाईकोर्ट की अखंडता की कोशिश हुई तो ईंट से ईंट बजा देंगे और आरपार की लड़ाई करेंगे। 

भारत सेवक संघ के बैनर तले हाईकोर्ट बार के पूर्व महासचिव अशोक कुमार सिंह व पूर्व कोषाध्यक्ष राजीव शुक्ल के नेतृत्व में हाईकोर्ट के सामने हुए विरोध प्रदर्शन में वकीलों ने कहा कि यदि हाईकोर्ट की गरिमा व अखंडता के साथ खिलवाड़ किया गया तो उच्च न्यायालय के अधिवक्ता इसे किसी कीमत पर बर्दाश्त नहीं करेंगे और सड़क पर उतरकर आरपार की लड़ाई करेंगे।

प्रदर्शन में विनोद त्रिपाठी, मुकुल पांडेय, अभिषेक मिश्र, दिनेश प्रताप दीक्षित, पुनीत शुक्ल, मानवेंद्र यादव, राखी, अब्दुल मजीद, सुमित श्रीवास्तव, कीर्तिकर पांडेय, ओमप्रकाश विश्वकर्मा, हरिश्चंद्र प्रताप, जटाशंकर मौर्य, नीरज ठाकुर, अमन तिवारी, विनीत शर्मा, दीपक शुक्ल, नूर अहमद, अंकुर कुशवाहा, मो आकिब आदि शामिल रहे।

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