26/11 अटैक की कहानी, मरीन कमांडो की जुबानी: ताज हमले में अडाणी, गोधरा और यूपी के सांसदों समेत 150 लोगों की जान बचाई थी

26/11 अटैक की कहानी, मरीन कमांडो की जुबानी: ताज हमले में अडाणी, गोधरा और यूपी के सांसदों समेत 150 लोगों की जान बचाई थी

अहमदाबाद11 मिनट पहले

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साल 2008 में 26 नबंवर को मुंबई ताज हमला भारतीय इतिहास का वो काला दिन है, जिसे भुलाया नहीं जा सकता। इस आतंकी हमले में 9 आतंकियों समेत के हमले में 175 से ज्यादा लोग मारे गए थे और 300 ज्यादा घायल हुए थे। मरने वालों में आम लोगों से लेकर प्रमुख मुंबई पुलिस अधिकारी और यहां तक ​​कि विदेशी भी शामिल थे। मुंबई हमले की चर्चा आज भी अक्सर होती रहती है। आज इसी हमले की 14वीं बरसी है। इसीलिए दैनिक भास्कर की अहमदाबाद टीम के सारथी एम सागर ने रेस्क्यू-ऑपरेशन के लिए होटल ताज गए मार्कोस (मरीन कमांडो) के प्वाइंट मैन प्रवीण तेवतिया से बात की। प्रवीण और उनकी 16 कमांडों की टीम ने 150 से ज्यादा लोगों की जान बचाई थी।

16 कमांडोज की टीम के साथ ताज होटल पहुंचे थे प्रवीण।

16 कमांडोज की टीम के साथ ताज होटल पहुंचे थे प्रवीण।

टीवी चैनलों से मिल रही थी आतंकियों को जानकारी
प्रवीण आगे बताते हैं कि उस समय मेरी नाइट ड्यूटी थी। एक सीनियर ने आकर मुंबई हमले की खबर दी। इसके बाद हम 16 कमांडोज की टीम तुरंत होटल ताज के लिए रवाना हो गई। उससे पहले मार्कोस की एक और टीम रेस्क्यू-ऑपरेशन के लिए मुंबई में दूसरी जगह पहुंच चुकी थी। दोपहर के 1.10 बज रहे थे। सुबह 4 बजे मैं ताज होटल के उस कमरे में दाखिल हुआ, जहां आतंकी मौजूद थे। आतंकी और पाकिस्तान में बैठे उनके आका टीवी पर लाइव देखते हुए उन्हें दिशा-निर्देश दे रहे थे। आतंकियों को फोन पर ही होटल के 150 लोगों को बंधक बनाने का आदेश मिला था।

ग्रेनेड फेंका, लेकिन फटा नहीं
आतंकियों के कमरे में पहुंच चुका था। आतंकियों और मेरे बीच लगातार 20 मिनट तक फायरिंग होती रही। मुझे भी गोली लगी। लेकिन, इसी दौरान एक साथी के फेंके आंसू गैस के एक गोले ने खेल बिगाड़ दिया। आतंकी छिपने में कामयाब हो गए। इसी दौरान मैंने एक ग्रेनेड भी फेंका, हालांकि, मैं भी उस ग्रेनेड की रेंज में था, लेकिन वह नहीं फटा। अगर वह ग्रेनेड फट गया होता तो चारों आतंकियों का खेल वहीं खत्म हो जाता। आतंकियों भागने के बाद पुलिस ने वह ग्रेनेड बरामद भी किया था।

आतंकियों ने बम ब्लास्ट कर कई कमरों में लगा दी आग।

आतंकियों ने बम ब्लास्ट कर कई कमरों में लगा दी आग।

जान बचाने चारों आतंकी भागे
मेरी फायरिंग में एक आतंकी को गोली लग गई थी। इसके चलते 150 लोगों को बंदी बनाने के बजाय वे चारों पुरानी बिल्डिंग में भाग गए। आतंकियों के भागने से हमें होटल में मौजूद सभी लोगों को होटल से बाहर निकालने का मौका मिल गया था। लोगों को सेफ्टी से बाहर निकालने के बाद आतंकियों को मारने का मिशन शुरू हुआ।

अडानी के साथ कई सांसद और विदेशी भी थे
मेरे रिटायर होने के बाद जब मैंने चेक किया तो पता चला कि कौन है। उन्हीं 150 लोगों में अडानी भी थे। ताज के कर्मचारी सभी को बेसमेंट और फिर दूसरी मंजिल के चेंबर में ले गए थे, क्योंकि यह सबसे सुरक्षित जगह थी। क्योंकि, इतने सारे लोग एक साथ और कहीं नहीं ले जाए जा सकते थे। इन लोगों में कुन्नूर के एक सांसद, गोधरा के एक सांसद और यूपी से दो सांसद भी थे। बिजनेसमैन गौतम अडाणी, दुबई पोर्ट के सीईओ और अमेरिका व अफ्रीका के भी कई विदेशी मेहमान मौजूद थे।

गोली लगने के बाद अनफिट हो गए थे प्रवीण तेवतिया।

गोली लगने के बाद अनफिट हो गए थे प्रवीण तेवतिया।

ताज होटल में सुरक्षा अधिकारी की जॉब मिली
इस हमले के बाद बतौर फौजी मैं अनफिट घोषित कर दिया गया था। हालांकि, मुझे ताज होटल में सुरक्षा अधिकारी की जॉब मिली थी। लेकिन कुछ दिनों बाद ही मैं वह जॉब छोड़कर चला आया था। क्योंकि, मुझे मैराथन की प्रैक्टिस करने में दिक्कत आती थी। वहीं, ये नौकरी मुझे एक अहसान लगती थी।

अभी आप क्या कर रहे हैं
मैं रोजाना सुबह 4 बजे उठता हूं और 5 बजे करीब 10 किमी की रनिंग करता हूं। रविवार को हाफ मैराथन या अन्य मैराथन में हिस्सा लेता हूं। फिलहाल मेरठ यूनिवर्सिटी से लॉ की पढ़ाई कर रहा हूं। दोपहर को कोर्ट भी जाता हूं। शाम को अपने दोनों बच्चों को पढ़ाता हूं। मुझे पढ़ाने का बहुत शौक है। नेवी में नौकरी मिलने से पहले मैं गांव में बच्चों को पढ़ाता था मैं महीने में एक या दो मैराथन दौड़ता हूं। इसके लिए देश के अलग-अलग हिस्सों में जाना पड़ता है। अब तक मैं हैदराबाद, मुंबई, अहमदाबाद, कोलकाता, दुबई, न्यूयॉर्क सहित कई जगहों पर जा चुका हूं।

मुंबई में हुई एक मैराथन के दौरान सचिन तेंडुलकर के साथ प्रवीण।

मुंबई में हुई एक मैराथन के दौरान सचिन तेंडुलकर के साथ प्रवीण।

अभी भी गोली का छर्रा सीने में है
प्रवीण बताते हैं कि फायरिंग के दौरान उन्हें सीने में गोली लगी थी। अभी भी उनके सीने में गोली का एक छर्रा है, जिसे अब बाहर नहीं निकाला जा सकता। अगर टेंपरेचर 30 से ऊपर हो तो मैं ज्यादा देर तक धूप में खड़ा नहीं सकता। क्योंकि, इससे सीने में दर्द होने लगता है।

आयरनमैन की दौड़ भी पूरी कर चुके हैं प्रवीण
प्रवीण तेवतिया मेट्रो से घर जा रहे थे तभी मेरी उनसे फोन पर बात हुई। वह अब गाजियाबाद में रहते हैं, जो उनके गांव भटोना, बुलंदशहर से 50 किमी दूर है। नेवी से रिटायर होने के बाद प्रवीण अब ट्रेनिंग देते हैं। टॉक शो करते हैं। साथ ही मैराथन के लिए देश के कोने-कोने में जाते हैं। वे कहते हैं कि मेरी पेंशन आ रही है। मेरे खर्चे ज्यादा नहीं हैं। मुझे मैराथन ट्रेनिंग के लिए पैसों की जरूरत है। मैं उसके लिए एडजस्ट करता हूं। मैं अपनी पॉलिसी के पैसों से दक्षिण अफ्रीका, अमेरिका और मलेशिया में तीन बार आयरनमैन की दौड़ भी पूरी कर चुका हूं।

गोली लगने से प्रवीण का एक कान भी कट चुका है।

गोली लगने से प्रवीण का एक कान भी कट चुका है।

एक फेफड़े पर जिंदा हैं प्रवीण
ताज होटल की घटना में प्रवीण तेवतिया गंभीर रूप से घायल हो गए थे और एक महीने तक अस्पताल में रहे। इसके बाद डॉक्टर ने उन्हें अनफिट घोषित कर दिया था। गोली लगने से उसका एक कान भी कट गया है। एक फेफड़ा भी खराब हो चुका है। शुरुआत में चल भी नहीं सकते थे, लेकिन प्रवीण ने खुद को फिट करने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ी। आज भी वे एक फेफड़े के सहारे जी रहे हैं। डॉक्टर ने डिस्चार्ज करते हुए उनसे कहा कि आप दुनिया में अकेले ऐसे शख्स हैं, जो एक फेफड़ा होने के बावजूद जिंदा हैं।

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