Afghanistan Crisis: ब्रिटेन ने माना, ‘सभी को काबुल से नहीं निकाल पाएंगे’

Satellite image shows crowds and traffic at the northern gate of Kabul International Airport.- India TV Hindi
Image Source : AP/PTI
Satellite image shows crowds and traffic at the northern gate of Kabul International Airport.

लंदन: अफगानिस्तान की स्थिति को देखते हुए ब्रिटेन ने माना कि वह तय समय सीमा के दौरान सभी लोगों को काबुल से बाहर नहीं निकाल पाएगा। ब्रिटेन के रक्षा सचिव बेन वालेस ने कहा कि 31 अगस्त को अमेरिकी नेतृत्व वाला मिशन समाप्त होने से पहले ”हम सभी को देश से बाहर नहीं निकाल पाएंगे।”

हालांकि, उन्होंने बताया कि ‘ब्रिटेन ने हाल के दिनों में काबुल से 8,600 अमेरिकी और अफगान नागरिकों को निकाला है, जिनमें से 2,000 लोगों को पिछले 24 घंटों में निकाला गया।’ लेकिन, उन्होंने यह भी माना कि तय समय सीमा के भीतर सबको नहीं निकाला जा सकता।

ब्रिटेन सहित अमेरिका के अन्य सहयोगी देश अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन पर अफगानिस्तान से लोगों को निकालने की समय सीमा बढ़ाने का दबाव डाल रहे हैं। लेकिन, वालेस ने स्काई न्यूज को बताया कि इस बात की संभावना नहीं है कि बाइडन इसपर सहमति जताएंगे।

तालिबान ने अमेरिका को दी परिणाम भुगतने की चेतावनी

अफगानिस्तान पर जी7 की आपात बैठक से पहले सोमवार को तालिबान ने चेतावनी दी है कि अगर अमेरिका और ब्रिटेन युद्ध से जर्जर देश से अमेरिका नीत बलों की वापसी की तारीख 31 अगस्त से आगे बढ़ाने की बात करते हैं तो इसके गंभीर परिणाम भुगतने होंगे। 

कतर की राजधानी दोहा में ‘स्काई न्यूज’ से बातचीत में तालिबान के प्रवक्ता डॉक्टर सुहैल शाहीन ने कहा कि महीने के अंत में तय डेडलाइन अंतिम तारीख है और उसे आगे बढ़ाए जाने का मतलब होगा देश में उनका और ज्यादा दिनों तक रूकना। 

उन्होंने कहा कि यह समय सीमा अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन ने तय की है और अगर ब्रिटेन तथा अमेरिका इसे आगे बढ़ाने की बात करते हैं तो इसके गंभीर परिणाम भुगतने होंगे। 

शाहीन ने कहा, ‘‘राष्ट्रपति बाइडन ने अपने सैन्य बलों की वापसी के लिए 31 अगस्त की तारीख तय की थी। ऐसे में, अगर वे इस तारीख को आगे बढ़ाते हैं तो इसका अर्थ होगा कि वे बिना जरूरत के देश में रुकने की अपनी अवधि में विस्तार कर रहे हैं।’’ 

उन्होंने कहा, ‘‘अगर अमेरिका और ब्रिटेन को लोगों को बाहर निकालने के लिए और वक्त चाहिए तो इसका जवाब ‘ना’ है। वरना इसके गंभीर परिणाम होंगे। इससे हमारे बीच अविश्वास पैदा होगा। अगर वे देश में बने रहने पर जोर देते हैं तो यह प्रतिक्रिया के लिए उकसाने जैसा होगा।’’ 

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