Congress Presidential Poll: कांग्रेस अध्यक्ष से ज्यादा राजस्थान ‘CM’ के चर्चे, भाजपा के लिए कैसे बन रहा मौका?

Congress Presidential Poll: कांग्रेस अध्यक्ष से ज्यादा राजस्थान ‘CM’ के चर्चे, भाजपा के लिए कैसे बन रहा मौका?

सचिन पायलट और अशोक गहलोत

सचिन पायलट और अशोक गहलोत
– फोटो : Social Media

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कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष को लेकर होने वाले चुनाव में सबसे ज्यादा राजनैतिक गर्माहट राजस्थान में देखी जा रही है। यह गर्माहट पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष से ज्यादा राजस्थान में नए मुख्यमंत्री के चेहरे के तौर पर बनी हुई है। राजस्थान का नया मुख्यमंत्री कौन होगा यह तो रविवार की शाम को होने वाले विधायकों की बैठक के बाद तय होगा। इस नए चेहरे का जितना बेसब्री से इंतजार कांग्रेस के लोग कर रहे हैं उससे कहीं ज्यादा इंतजार भारतीय जनता पार्टी भी कर रही है। दरअसल भारतीय जनता पार्टी कांग्रेस में होने वाले इस बदलाव को अपने लिए फायदे का सौदा मान कर चल रही है। यही वजह है कि भाजपा न सिर्फ कांग्रेस के पल-पल बदलते हुए पूरे घटनाक्रम पर न सिर्फ नजर रख रही है बल्कि अपनी आगे की राजनीतिक गोटियां भी सेट कर रही है। 

रविवार की शाम को राजस्थान कांग्रेस के विधायकों की बैठक होनी है। बैठक में केंद्र के ऑब्जर्वर भी पहुंचेंगे। जो विधायकों के तय किए गए नाम को आलाकमान से चर्चा करेंगे। सूत्रों के मुताबिक इस बैठक से पहले ही कांग्रेस के नेताओं विधायकों और मंत्रियों में मनमुटाव खुलकर सामने आने लगा है। राजनैतिक विश्लेषक और वरिष्ठ पत्रकार नागेंद्र पवार कहते हैं कि वैसे यह मनमुटाव और आपसी खींचतान तो 2018 से कांग्रेस पार्टी में चल रही है। लेकिन राजस्थान में बदलने वाले मुख्यमंत्री के चेहरे के साथ यह अब और खुलकर सामने आ गई है। पवार कहते हैं दरअसल इस पूरी आपसी खींचतान और लड़ाई को सिर्फ कांग्रेस के खेमे तक ही रखकर नहीं देखना चाहिए। उनका कहना है कि राजस्थान का यह चुनावी साल चल रहा है। मुख्यमंत्री के बदलाव से आने वाले विधानसभा के चुनावों पर असर पड़ना स्वाभाविक है। ऐसे में भारतीय जनता पार्टी कांग्रेस के अंदर मची खींचतान को अपने फायदे के लिए भी देख रही है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि सचिन पायलट के मुख्यमंत्री बनने या किसी और चेहरे के सामने आने के साथ पार्टी में हालात पूरी तरीके से बगावती हो सकते हैं। भारतीय जनता पार्टी के लिए बगावती माहौल कांग्रेस के कई नेताओं को अपनी ओर खींचने में मदद भी करेगा। इसके अलावा ऐसे बगावती माहौल में कांग्रेस के खिलाफ अंदरूनी तौर पर बनी हवा को भारतीय जनता पार्टी अपने पक्ष में लाने की पूरी कोशिश भी करेगी।

सूत्रों के मुताबिक कांग्रेस में अंदर ही अंदर पनप रहे नेतृत्व परिवर्तन की बगावत के साथ भारतीय जनता पार्टी ने कांग्रेस के कई नेताओं पर पहले से ही निगाहें लगा रखी हैं। राजस्थान भारतीय जनता पार्टी से जुड़े वरिष्ठ नेता कहते हैं कि अगर कांग्रेस का कोई नेता उनके साथ आना चाहता है तो उसका हमेशा स्वागत होगा। हालांकि भाजपा के एक नेता का कहना है कि वह किसी भी कांग्रेस के नेता को तोड़ने नहीं जा रहे हैं। लेकिन उन्होंने यह बात जरूर कही कि कांग्रेस के अपने अंदरूनी हालातों से भारतीय जनता पार्टी को निश्चित तौर पर आने वाले चुनावों में फायदा ही होने वाला है। राजनीतिक जानकार सुरेंद्र नाथ सरोहा कहते हैं कि चुनाव के समय नेतृत्व परिवर्तन कई बार फायदेमंद भी होता है, लेकिन इसके लिए पार्टी के नेताओं का सामंजस्य और उनका समर्थन उक्त बदलाव के लिए बेहद जरूरी माना जाता है। हालांकि, कांग्रेस में नेतृत्व परिवर्तन से पहले ही नेताओं की बात खुलकर सामने आने लगी है। ऐसे में नेतृत्व परिवर्तन के साथ 2023 में होने वाले विधानसभा के चुनावों में कांग्रेस को कितना फायदा होगा यह तो वक्त ही बताएगा।

राजस्थान में कांग्रेस की अशोक गहलोत सरकार में खाद्य मंत्री प्रताप सिंह खायरियावास खुलकर नेतृत्व परिवर्तन का विरोध कर रहे हैं। वो कहते हैं कि यह वक्त सरकार और उसके मुखिया के बदलने का है ही नहीं। इसकी वजह बताते हुए उनका कहना है कि जब चुनाव सिर पर है तो मुख्यमंत्री का बदलना नुकसानदायक हो सकता है। प्रताप सिंह ने कहा अशोक गहलोत राजस्थान के मुख्यमंत्री बने रहे तो इसका पार्टी को निश्चित तौर पर फायदा होगा। जबकि नेतृत्व परिवर्तन के साथ आने वाले चुनाव में मुश्किलें बढ़ सकती हैं। सिर्फ प्रताप सिंह ही नहीं बल्कि राजस्थान के स्वास्थ्य मंत्री परसादी लाल मीणा भी अशोक गहलोत को ही अपना नेता मान रहे हैं। वह कहते हैं कि अशोक गहलोत राजस्थान में न सिर्फ मजबूत चेहरे हैं बल्कि 2023 में सरकार के लिए जिताऊ भी होंगे। उन्होंने कहा कि अशोक गहलोत के नाम पर ही भारतीय जनता पार्टी सत्ता से दूर रहेगी। हालांकि अशोक गहलोत सरकार में ग्रामीण विकास राज्य मंत्री रमेश सिंह गुढ़ा कहते हैं कि सचिन पायलट से बड़ा नेता राजस्थान सरकार में इस वक्त कोई नहीं है उनका कहना है कि सचिन पायलट को अब प्रदेश की कमान सौंप देनी चाहिए। ताकि 2023 में होने वाले चुनावों में मजबूती से कांग्रेस को खड़ा कर राजस्थान की पांच पांच साल बाद बदलने वाली सरकार की परिपाटी को बदला जा सके। गुढ़ा ने तो यह तक कह दिया कि इसी नवरात्र में सचिन पायलट की राजस्थान में बतौर मुख्यमंत्री ताजपोशी हो जाएगी।

हालांकि राजस्थान में हो रहे राजनीतिक उठापटक के बीच कांग्रेस के नेताओं का कहना है कि जब नेतृत्व परिवर्तन होते हैं तो निश्चित तौर पर सहमति और असहमतियां तो बनती ही है। पार्टी से जुड़े एक वरिष्ठ नेता कहते हैं कि राजस्थान में विधायकों की सहमति से न सिर्फ नए नेता का चयन किया जाएगा बल्कि उस नेता में पूरे भरोसे के साथ सभी विधायक और कार्यकर्ता 2023 के चुनावों की रणनीति भी बनाएंगे। कांग्रेस पार्टी से जुड़े वरिष्ठ पदाधिकारी कहते हैं कि उनकी पार्टी का पूरा फोकस 2023 में होने वाले राजस्थान के चुनाव के साथ 2024 में होने वाले लोकसभा के चुनाव पर बना हुआ है। रही बात विपक्षी दलों की कांग्रेस के नेताओं पर निगाहों की तो उनका कहना है कि पार्टी के वफादार नेता और कार्यकर्ता हर विपरीत परिस्थिति में उनके साथ ना सिर्फ खड़े हैं बल्कि पार्टी को आगे बढ़ाने के लिए कदम से कदम भी मिला रहे हैं। 

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कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष को लेकर होने वाले चुनाव में सबसे ज्यादा राजनैतिक गर्माहट राजस्थान में देखी जा रही है। यह गर्माहट पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष से ज्यादा राजस्थान में नए मुख्यमंत्री के चेहरे के तौर पर बनी हुई है। राजस्थान का नया मुख्यमंत्री कौन होगा यह तो रविवार की शाम को होने वाले विधायकों की बैठक के बाद तय होगा। इस नए चेहरे का जितना बेसब्री से इंतजार कांग्रेस के लोग कर रहे हैं उससे कहीं ज्यादा इंतजार भारतीय जनता पार्टी भी कर रही है। दरअसल भारतीय जनता पार्टी कांग्रेस में होने वाले इस बदलाव को अपने लिए फायदे का सौदा मान कर चल रही है। यही वजह है कि भाजपा न सिर्फ कांग्रेस के पल-पल बदलते हुए पूरे घटनाक्रम पर न सिर्फ नजर रख रही है बल्कि अपनी आगे की राजनीतिक गोटियां भी सेट कर रही है। 

रविवार की शाम को राजस्थान कांग्रेस के विधायकों की बैठक होनी है। बैठक में केंद्र के ऑब्जर्वर भी पहुंचेंगे। जो विधायकों के तय किए गए नाम को आलाकमान से चर्चा करेंगे। सूत्रों के मुताबिक इस बैठक से पहले ही कांग्रेस के नेताओं विधायकों और मंत्रियों में मनमुटाव खुलकर सामने आने लगा है। राजनैतिक विश्लेषक और वरिष्ठ पत्रकार नागेंद्र पवार कहते हैं कि वैसे यह मनमुटाव और आपसी खींचतान तो 2018 से कांग्रेस पार्टी में चल रही है। लेकिन राजस्थान में बदलने वाले मुख्यमंत्री के चेहरे के साथ यह अब और खुलकर सामने आ गई है। पवार कहते हैं दरअसल इस पूरी आपसी खींचतान और लड़ाई को सिर्फ कांग्रेस के खेमे तक ही रखकर नहीं देखना चाहिए। उनका कहना है कि राजस्थान का यह चुनावी साल चल रहा है। मुख्यमंत्री के बदलाव से आने वाले विधानसभा के चुनावों पर असर पड़ना स्वाभाविक है। ऐसे में भारतीय जनता पार्टी कांग्रेस के अंदर मची खींचतान को अपने फायदे के लिए भी देख रही है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि सचिन पायलट के मुख्यमंत्री बनने या किसी और चेहरे के सामने आने के साथ पार्टी में हालात पूरी तरीके से बगावती हो सकते हैं। भारतीय जनता पार्टी के लिए बगावती माहौल कांग्रेस के कई नेताओं को अपनी ओर खींचने में मदद भी करेगा। इसके अलावा ऐसे बगावती माहौल में कांग्रेस के खिलाफ अंदरूनी तौर पर बनी हवा को भारतीय जनता पार्टी अपने पक्ष में लाने की पूरी कोशिश भी करेगी।

सूत्रों के मुताबिक कांग्रेस में अंदर ही अंदर पनप रहे नेतृत्व परिवर्तन की बगावत के साथ भारतीय जनता पार्टी ने कांग्रेस के कई नेताओं पर पहले से ही निगाहें लगा रखी हैं। राजस्थान भारतीय जनता पार्टी से जुड़े वरिष्ठ नेता कहते हैं कि अगर कांग्रेस का कोई नेता उनके साथ आना चाहता है तो उसका हमेशा स्वागत होगा। हालांकि भाजपा के एक नेता का कहना है कि वह किसी भी कांग्रेस के नेता को तोड़ने नहीं जा रहे हैं। लेकिन उन्होंने यह बात जरूर कही कि कांग्रेस के अपने अंदरूनी हालातों से भारतीय जनता पार्टी को निश्चित तौर पर आने वाले चुनावों में फायदा ही होने वाला है। राजनीतिक जानकार सुरेंद्र नाथ सरोहा कहते हैं कि चुनाव के समय नेतृत्व परिवर्तन कई बार फायदेमंद भी होता है, लेकिन इसके लिए पार्टी के नेताओं का सामंजस्य और उनका समर्थन उक्त बदलाव के लिए बेहद जरूरी माना जाता है। हालांकि, कांग्रेस में नेतृत्व परिवर्तन से पहले ही नेताओं की बात खुलकर सामने आने लगी है। ऐसे में नेतृत्व परिवर्तन के साथ 2023 में होने वाले विधानसभा के चुनावों में कांग्रेस को कितना फायदा होगा यह तो वक्त ही बताएगा।

राजस्थान में कांग्रेस की अशोक गहलोत सरकार में खाद्य मंत्री प्रताप सिंह खायरियावास खुलकर नेतृत्व परिवर्तन का विरोध कर रहे हैं। वो कहते हैं कि यह वक्त सरकार और उसके मुखिया के बदलने का है ही नहीं। इसकी वजह बताते हुए उनका कहना है कि जब चुनाव सिर पर है तो मुख्यमंत्री का बदलना नुकसानदायक हो सकता है। प्रताप सिंह ने कहा अशोक गहलोत राजस्थान के मुख्यमंत्री बने रहे तो इसका पार्टी को निश्चित तौर पर फायदा होगा। जबकि नेतृत्व परिवर्तन के साथ आने वाले चुनाव में मुश्किलें बढ़ सकती हैं। सिर्फ प्रताप सिंह ही नहीं बल्कि राजस्थान के स्वास्थ्य मंत्री परसादी लाल मीणा भी अशोक गहलोत को ही अपना नेता मान रहे हैं। वह कहते हैं कि अशोक गहलोत राजस्थान में न सिर्फ मजबूत चेहरे हैं बल्कि 2023 में सरकार के लिए जिताऊ भी होंगे। उन्होंने कहा कि अशोक गहलोत के नाम पर ही भारतीय जनता पार्टी सत्ता से दूर रहेगी। हालांकि अशोक गहलोत सरकार में ग्रामीण विकास राज्य मंत्री रमेश सिंह गुढ़ा कहते हैं कि सचिन पायलट से बड़ा नेता राजस्थान सरकार में इस वक्त कोई नहीं है उनका कहना है कि सचिन पायलट को अब प्रदेश की कमान सौंप देनी चाहिए। ताकि 2023 में होने वाले चुनावों में मजबूती से कांग्रेस को खड़ा कर राजस्थान की पांच पांच साल बाद बदलने वाली सरकार की परिपाटी को बदला जा सके। गुढ़ा ने तो यह तक कह दिया कि इसी नवरात्र में सचिन पायलट की राजस्थान में बतौर मुख्यमंत्री ताजपोशी हो जाएगी।

हालांकि राजस्थान में हो रहे राजनीतिक उठापटक के बीच कांग्रेस के नेताओं का कहना है कि जब नेतृत्व परिवर्तन होते हैं तो निश्चित तौर पर सहमति और असहमतियां तो बनती ही है। पार्टी से जुड़े एक वरिष्ठ नेता कहते हैं कि राजस्थान में विधायकों की सहमति से न सिर्फ नए नेता का चयन किया जाएगा बल्कि उस नेता में पूरे भरोसे के साथ सभी विधायक और कार्यकर्ता 2023 के चुनावों की रणनीति भी बनाएंगे। कांग्रेस पार्टी से जुड़े वरिष्ठ पदाधिकारी कहते हैं कि उनकी पार्टी का पूरा फोकस 2023 में होने वाले राजस्थान के चुनाव के साथ 2024 में होने वाले लोकसभा के चुनाव पर बना हुआ है। रही बात विपक्षी दलों की कांग्रेस के नेताओं पर निगाहों की तो उनका कहना है कि पार्टी के वफादार नेता और कार्यकर्ता हर विपरीत परिस्थिति में उनके साथ ना सिर्फ खड़े हैं बल्कि पार्टी को आगे बढ़ाने के लिए कदम से कदम भी मिला रहे हैं। 

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