DNA: नोट छापने में कितना आता है खर्च, डिजिटल करेंसी से क्या होंगे फायदे? समझें पूरी ABCD

DNA: नोट छापने में कितना आता है खर्च, डिजिटल करेंसी से क्या होंगे फायदे? समझें पूरी ABCD

How Digital Rupee Works: शेयर बाज़ार में अक्सर कहा जाता है CASH IS KING. मतलब कैश ही राजा है. और कैश का मतलब सामान्य तौर पर आम लोगों के लिए उन रुपयों से होता है, जिसे हम देख सकते हैं, छू सकते हैं या कही संभालकर रख सकते हैं. अभी मेरे हाथ में 500 का नोट है.

इस नोट के साथ क्या-क्या हो सकता है, ये नोट फट सकता है, गुम हो सकता है, चोरी हो सकता है, मुड़ सकता है, पुराना हो सकता है, जल सकता है, पानी में भीग सकता है, इसे कोई छीन सकता है या किसी दूसरे वजह से खराब हो सकता है. इस नोट की एक SELF LIFE है. यानी लगातार इस्तेमाल होने की वजह से एक समय के बाद ऐसा हो जाएगा कि ये नोट इस्तेमाल करने के लायक नहीं होगा. फिर मैं इसे बैंक में जमा करूंगा और इसके बदले मुझे इसी कीमत का दूसरा नोट दिया जाएगा. इसके बाद बैंक इस नोट को RBI को भेजेगा और आखिर में इस नोट को नष्ट करके इस्तेमाल से बाहर कर दिया जाएगा और इसकी जगह इसी कीमत का नया नोट छापा जाएगा.

अभी भी कैश ही है किंग

तो ये कहानी है इस 500 के नोट की है. और ऐसा ही सबकुछ बाकी नोट के साथ होता है. अक्सर ऐसा आपने देखा या सुना होगा कि आपके दादा-दादी के समय में नोट को संदूक में, आलमारी में या किसी सुरक्षित जगह पर संभालकर रखा जाता था. लेकिन इसमें खतरा ये होता था कि नोट पुराने हो जाते थे, चोरी हो जाते थे और कई बार तो इतने खराब हो जाते थे कि उसका इस्तेमाल ही नहीं होता था. फिर बैंकों में पैसे रखने का चलन ज्यादा बढ़ा . हालांकि अभी भी छोटे-छोटे शहरों में बचत का पैसा लोग घर में संभालकर कैश के रूप में रखते हैं. वैसे अब देश में डिजिटल ट्रांजैक्शन का ट्रेंड बढ़ गया है तो कैश का इस्तेमाल थोड़ा कम हुआ है हालांकि अभी भी CASH IS KING है .

लेकिन अब आप ऐसे कैश से लेनदेन करेंगे जिसे ना तो आप छू सकते हैं और ना ही ये खराब होगा. बल्कि इसे कई वर्षों तक संभाल कर रख सकते हैं और ये खराब भी नहीं होगा. ये है डिजिटल करेंसी जिसे आज से पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर शुरू किया गया है. इस साल बजट पेश करते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने डिजिटल करेंसी को लॉन्च करने का ऐलान किया था.

क्रिप्टोकरेंसी के बाद लिया गया फैसला

दरअसल देश में क्रिप्टोकरेंसी के फैलते जाल को रोकने के लिए ये फैसला लिया गया. वित्त  मंत्री के इस ऐलान के बाद RBI ने कई महीनों तक डिजिटल करेंसी पर काम किया और आज रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने डिजिटल करेंसी यानी CBDC को लॉन्च कर दिया गया है. CBDC का मतलब है Central Bank Digital Currency. इसके लिए SBI, बैंक ऑफ बड़ौदा, यूनियन बैंक ऑफ इंडिया, HDFC बैंक, ICICI बैंक, कोटक महिंद्रा बैंक, यस बैंक, IDFC फर्स्ट बैंक और HSBC को चुना गया है.

यहां समझें डिजिटल करेंसी की हर बात

DNA में आज आपको डिजिटल करेंसी से जुड़ी हर जानकारी बताएंगे, जिससे इसको लेकर आपका हर कंफ्यूजन दूर हो जाए. DNA में हम ना केवल खबर दिखाते बल्कि उस खबर से जुड़ी हर जानकारी आपको देते हैं जिससे आप ना केवल उस खबर को समझें बल्कि हर जानकारी को समझ सकें.

डिजिटल करेंसी दो तरह की है- CBDC होलसेल यानी खुदरा और CBDC रिटेल . फिलहाल आज से जिस डिजिटल करेंसी को शुरू किया गया है वो CBDC होलसेल है. इसका इस्तेमाल बड़े वित्तीय संस्थान जिसमें बैंक, बड़ी नॉन बैंकिंग फाइनेंस कंपनियां यानी NBFCs और दूसरे बड़े सौदे करने वाले संस्थान करेंगे. इसके बाद CBDC रिटेल को जारी किया जाएगा. इसका इस्तेमाल लोग रोजमर्रा के लेनदेन के लिए कर सकेंगे.

ये ऐसी करेंसी होगी जिसे आप छू नहीं सकते हैं, लेकिन ये रुपये की तरह ही होगा. इस डिजिटल करेंसी को ऑनलाइन वॉलेट में रखा जा सकता है. इस करेंसी को जेब में कैश की तरह रखने की जरूरत नहीं है. डिजिटल करेंसी किसी क्रिप्टोकरेंसी की तरह नहीं होगी. इसे RBI की ओर लॉन्च किया गया है इसलिए ये देश में कानूनी करेंसी होगी. इस डिजिटल करेंसी की मदद से आप कोई भी लेनदेन या पेमेंट या बिल जमा कर सकते हैं. ये वैसे ही जैसे आप अपने बैंक अकाउंट से पैसे को ट्रांसफर करके अपने डिजिटल वॉलेट में रखते हैं.

ये डिजिटल करेंसी क्रिप्टोकरेंसी नहीं है. इसलिए इसकी वैल्यू, रुपये के बराबर ही होगी . यानी 1 रुपये के डिजिटल करेंसी की कीमत 1 रुपये और 2000 रुपये की डिजिटल करेंसी की वैल्यू 2000 ही होगा. आप जब चाहेंगे इस डिजिटल करेंसी को फिजिकल नोट या कैश में बदल सकते हैं.

क्रिप्टोकरेंसी के लिए कोई बैंकर नहीं है जबकि इस डिजिटल करेंसी के लिए RBI के रुप में एक बैंक है जिसने इसको ल़ॉन्च किया है. यानी किसी बैंक में जाकर आप क्रिप्टोकरेंसी देकर कोई करेंसी कैश में ले नहीं सकते हैं लेकिन डिजिटल करेंसी को बैंक में जाकर आप कैश के रुप में ले सकते हैं. इस करेंसी को लॉन्च करके के पीछे क्या वजह है वो भी जानना बेहद जरूरी है.

डिजिटल करेंसी की वजह से पैसों का लेनदेन बेहद आसान हो जाएगा और बड़े-बड़े ट्रांसजैक्शन के लिए ये बेहद कारगर होगा. चेक, ड्राफ्ट, बैंक अकाउंट ट्रांसजेक्शन का झंझट खत्म हो जाएगा. मोबाइल से कुछ सेकेंड में पैसे ट्रांसफर होंगे. इसके साथ ही नकली करेंसी की समस्या से छुटकारा मिल जाएगा. इस करेंसी को किसी भी तरह से नष्ट नहीं किया जा सकेगा और इसे लंबे समय तक संभालकर रखा जा सकता है. सबसे बड़ी बात  पेपर नोट की प्रिटिंग का खर्च बचेगा .

नोट छापने पर कितनी आती है लागत?

देश में चार जगहों मध्य प्रदेश के देवास, महाराष्ट्र के नासिक, तमिलनाडु के मैसूर और पश्चिम बंगाल के सबलोनी में नोट को छापा जाता है. RBI के मुताबिक हर साल नोटों की छपाई में पर करीब साढ़े चार हजार करोड़ रुपये का खर्च होता है. RBI की रिपोर्ट के मुताबिक 2021-22 में नोटों की छपाई पर 4985 करोड़ रुपये खर्च हुए थे,  2020-21 में नोटों की छपाई में 4,012 करोड़ रुपये का खर्च हुआ था जबकि 2019-20 में 4,378 करोड़ रुपये खर्च हुए थे. 

नोटों की छपाई में पिछले 5 साल में सबसे ज्यादा खर्च 2016-17 में हुआ था. उस साल 7,965 करोड़ रुपये का खर्च हुआ था क्योंकि इसी साल जब नोटबंदी हुई थी. 50 रुपये के 1000 नोट को छापने का ख़र्च 1130 रुपये, 100 रुपये के 1000 नोट को छापने का ख़र्च 1770 रुपये, 200  रुपये के 1000 नोट को छापने का ख़र्च 2370 रुपये, 500 रुपये के 1000 नोट को छापने का ख़र्च 2290 रुपये और 2000 के 1000 नोट को छापने का ख़र्च 3540 रुपये होता है.

डिजिटल करेंसी से बचेगा खर्च 

RBI के मुताबिक सामान्य तौर पर एक नोट की SELF LIFE 2 से लेकर अधिकतम 10 साल तक होती है. यानी है 10 साल बाद नोट इस्तेमाल के लायक नहीं होता है. जबकि डिजिटल करेंसी में ऐसा नहीं होता है उसकी SELF LIFE  हमेशा के लिए होती है.

कैश वाले नोट एक समय के बाद खराब हो जाते हैं इसलिए RBI को उसकी जगह नए नोट छापने होते हैं. 2018-19 में RBI को खराब हुए नोट के बदले में जितने नोट छापने पड़े उसपर 1490 रुपये ख़र्च हुआ था. यानी अब खराब नोटों की छपाई का RBI खर्च भी कम हो जाएगा.

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