Gyanvapi Masjid Case: ज्ञानवापी पर कोर्ट के फैसले से पहले हिंदू पक्ष के वकील का बड़ा बयान, छावनी में तब्दील हुआ वाराणसी

Gyanvapi Masjid Case: ज्ञानवापी पर कोर्ट के फैसले से पहले हिंदू पक्ष के वकील का बड़ा बयान, छावनी में तब्दील हुआ वाराणसी

Section144 in Varanasi: ज्ञानवापी मस्जिद और श्रृंगार गौरी मामले (Gyanvapi and Shringar Gauri Case) में वाराणसी जिला अदालत का फैसला आज (12 सितंबर) आएगा. वाराणसी के जिला जज  डॉ एके विश्वेश यह तय करेंगे कि ज्ञानवापी का जो सर्वे (Gyanvapi Survey) हुआ था वो सही था या नहीं, क्योंकि ज्ञानवापी के मुकदमे की शुरुआत वहीं से हुई है. इस मामले को लेकर हिंदू पक्ष के वकील वीएस जैन ने कहा, आज कोर्ट अपना फैसला सुनाएगी. 1991 वर्शिप एक्ट हमारे हक में लागू होता है. अगर फैसला हमारे पक्ष में आता है तो हम एएसआई सर्वे और शिवलिंग की कार्बन डेटिंग की मांग करेंगे. 

सुरक्षा के कड़े इंतजाम

वाराणसी कोर्ट परिसर में इस वक्त 250 से अधिक पुलिसकर्मियों को तैनात किया गया है. बम निरोधक दस्ता लगातार गश्त लगा रहा है. डॉग स्क्वॉड के जरिये भी नज़र रखी जा रही है. सिविल ड्रेस में भी पुलिसकर्मियों को तैनात किया गया है. कोर्ट परिसर के आसपास बाहरी व्यक्ति को खड़े होने की इजाज़त नहीं दी गई है. क्विक रिस्पॉन्स टीम्स को भी तैनात किया गया है.

संवेदनशील इलाकों में फ्लैग मार्च और पैदल गश्त का निर्देश दिया गया है. जिले के सीमाओं पर चेकिंग और सतर्कता बढ़ाने का निर्देश जारी किया गया है. होटलों, धर्मशालाओं और गेस्ट हाउसों में चेकिंग के साथ ही सोशल मीडिया के मंचों पर लगातर नजर रखने का निर्देश जारी किया गया है. गौरतलब है कि ज्ञानवापी परिसर स्थित मां श्रृंगार गौरी के नियमित दर्शन-पूजन की मांग को लेकर वाराणसी के जिला जज ए. के. विश्वेश की अदालत में चल रहा मुकदमा सुनवाई योग्य है या नहीं, इस पर हिन्दू और मुस्लिम पक्ष की बहस पूरी हो गई है.

कराई गई थी वीडियोग्राफी

अदालत ने इस मामले में आदेश को सुरक्षित रख लिया है. कोर्ट इसे लेकर आज आदेश सुनाएगी. दिल्ली की राखी सिंह और वाराणसी की निवासी चार महिलाओं ने ज्ञानवापी मस्जिद की बाहरी दीवार पर स्थित हिंदू देवी देवताओं की प्रतिदिन पूजा अर्चना का आदेश देने के आग्रह वाली एक याचिका पिछले साल सिविल जज सीनियर डिविजन रवि कुमार दिवाकर की अदालत में दाखिल की थी. उसके आदेश पर पिछली मई में ज्ञानवापी परिसर का वीडियोग्राफी सर्वे कराया गया था. इसी बीच, मुस्लिम पक्ष ने इस सर्वे को उपासना अधिनियम 1991 का उल्लंघन करार देते हुए इस पर रोक लगाने के आग्रह वाली एक याचिका सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की थी.

शिवलिंग मिलने का किया गया था दावा

हालांकि कोर्ट ने वीडियोग्राफी सर्वे पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था, मगर मामले की सुनवाई जिला जज की अदालत में ट्रांसफर करने का आदेश दिया था. ज्ञानवापी सर्वे की रिपोर्ट पिछली 19 मई को जिला अदालत में पेश की गई थी. सर्वे के दौरान हिंदू पक्ष ने ज्ञानवापी मस्जिद के वजू खाने में शिवलिंग मिलने का दावा किया था जबकि मुस्लिम पक्ष ने उसे फव्वारा बताया था.

मुस्लिम पक्ष ने इस मामले को उपासना स्थल अधिनियम के खिलाफ बताते हुए कहा था कि यह मामला सुनवाई के योग्य नहीं है. जिला जज ने इस सिलसिले में दायर याचिका पर पहले सुनवाई करने का निर्णय लिया था. इस मामले में दोनों पक्षों की दलीलें पूरी हो चुकी हैं. हिंदू पक्ष का दावा है कि मुस्लिम पक्ष बहुत पुराने दस्तावेज पेश कर रहा है जो इस मामले से संबंधित नहीं है.

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