Joshimath Crisis: जोशीमठ में अब तक 723 घरों में पड़ी दरार, ‘दिल्ली की तरह नहीं बनाएं हिमालय का नक्शा’; 10 बड़ी बातें

Joshimath Crisis: जोशीमठ में अब तक 723 घरों में पड़ी दरार, ‘दिल्ली की तरह नहीं बनाएं हिमालय का नक्शा’; 10 बड़ी बातें

Joshimath Crisis: उत्तराखंड के जोशीमठ की स्थिति दिन प्रतिदिन विक्राल होती जा रही है। दरार पड़ने वाले घरों की संख्या लगातार बढ़ रही है। ताजा जानकारी के मुताबिक, क्षतिग्रस्त घरों की संख्या 723 हो गई है। सरकार ने कुछ मकानों और होटलों को तोड़ने का आदेश दिया है। हालांकि, होटल मालिकों और स्थानीय लोगों के विरोध के कारण दो होटलों को गिराने का काम मंगलवार को पूरा नहीं हो सका। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद अब तक कुल 131 परिवारों को अस्थायी राहत केंद्रों में स्थानांतरित कर दिया गया है। वहीं, पर्यावरण विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि अगर हम अभी भी विकास कार्यों के नाम पर पर्यावरण को नुकसान पहुंचाना बंद नहीं करते हैं तो जोशीमठ कोई आखिरी जगह नहीं होगा, जहां ऐसे हालात बनेंगे।

जोशीमठ संकट पर 10 बड़े अपडेट्स:

1. राष्ट्रीय संकट प्रबंधन समिति ने जोशीमठ में स्थिति की समीक्षा करने के बाद मंगलवार को कहा कि जिन घरों में दरारें आ गई हैं वहां से निवासियों को सुरक्षित निकालना उनकी सर्वोच्च प्राथमिकता है।

2. उत्तराखंड के रुड़की स्थित केंद्रीय भवन अनुसंधान संस्थान जोशीमठ के असुरक्षित क्षेत्र के विध्वंस में राज्य सरकार की सहायता करेगा।

3. सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को जोशीमठ विध्वंस के संबंध में एक याचिका की तत्काल सुनवाई से इनकार कर दिया। इस मामले को 16 जनवरी के लिए सूचीबद्ध किया। कोर्ट ने कहा कि ऐसी स्थितियों से निपटने के लिए लोकतांत्रिक रूप से निर्वाचित संस्थान हैं।

4. जोशीमठ की नींव कमजोर होने को लेकर एनटीपीसी की तपोवन-विष्णुगढ़ परियोजना रडार पर आ गई है। निर्माण को अब रोक दिया गया है। एनटीपीसी ने दावों को खारिज कर दिया है। पिछले हफ्ते एक प्रेस नोट में एनटीपीसी ने दावा किया था कि उसकी सुरंग जोशीमठ के नीचे से नहीं गुजर रही है।

5. सोमवार को जोशीमठ को संभावित आपदा वाला इलाका घोषित किया गया। आपको बता दें कि एक महीने तक स्थानीय लोगों ने अपना विरोध किया।

6. सरकार द्वारा गठित एक विशेषज्ञ पैनल ने पाया कि जोशीमठ के नीचे की जमीन को विस्थापित किया जा रहा है। मानव निर्मित और प्राकृतिक कारकों के कारण जोशीमठ डूब रहा है।

7. पर्यावरण विशेषज्ञ विमलेन्दु झा का कहना है कि जोशीमठ अंतिम नहीं है। आने वाले वर्षों में हिमालय के कई शहर और गांव डूब जाएंगे। उन्होंने इसके लिए सरकार को सबसे अधिक जिम्मेदार ठहराया।

8. उन्होंने कहा, “उत्तराखंड के विभिन्न हिस्सों में 66 से अधिक सुरंगों का निर्माण किया जा रहा है। बांध भी बनाए जा रहे हैं। विशेषज्ञों की चेतावनी के बावजूद कई दशकों से पूरे उत्तराखंड को नुकसान पहुंचाया जा रहा है। जमीन के अंदर लगातार हो रही खुदाई और धमाकों ने कहर बरपाया है।”

9. विशेषज्ञों ने पहाड़ों पर बढ़ते भूस्खलन के लिए एनटीपीसी के अलावा रेल परियोजनाओं को भी जिम्मेदार ठहराया है।

10. विमलेन्दु झा ने कहा, “सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि 5 दशकों से अधिक समय से विशेषज्ञों ने सरकार को चेतावनी दी है। उन्होंने कहा है कि आप दिल्ली की तर्ज पर हिमालय का नक्शना नहीं बनाएं। पहाड़ को लेकर संवेदनशील रहें।”

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