कोरोना वायरस के ओमिक्रॉन वेरिएंट का प्रकोप तेजी से बढ़ रहा है। इस वेरिएंट को लेकर कहा जा रहा है कि यह कोविड-19 के डेल्टा वेरिएंट तेजी से फैलने वाला जरूर है लेकिन यह कम गंभीर है। अब विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कहा है कि ओमिक्रॉन वेरिएंट को माइल्ड के तौर पर वर्गीकृत नहीं किया जा सकता है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन के क्लिनिकल प्रबंधन से जुड़े जानेट डियाज ने कहा कि शुरुआती अध्ययनों से पता चलता है कि नवंबर में साउथ अफ्रीका और हॉन्ग-कॉन्ग में मिले ओमिक्रॉन वेरिएंट से संक्रमितों के लिए हॉस्पिटलाइजेशन का खतरा डेल्टा वेरिएंट की तुलना में कम है। इससे यह भी पता चलता है कि इस संक्रमण के बुजुर्गों और जवान लोगों में तेज गति से फैलने का खतरा भी कम है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन के जेनेवा स्थित मुख्यालय में बातचीत करते हुए संगठन के चीफ टैड्रॉस एडहेनॉम घेबरेयेसस ने कहा, ‘डेल्टा की तुलना में ओमिक्रॉन कम गंभीर नजर आता है। खासकर उन लोगों में जिन्होंने वैक्सीन लगवाई है। इसका मतलब यह नहीं कि इसे ‘माइल्ड’ के तौर पर वर्गीकृत किया जाए।’ टैड्रॉस एडहेनॉम घेबरेयेसस ने चेताते हुए कहा कि जिस तरह से केस पूरी दुनिया में केस बढ़ रहे हैं उस हिसाब से ओमिक्रॉन औऱ डेल्टा की सुनामी आ सकती है। स्वास्थ्य सेवाओं पर भारी दबाव पड़ सकता है और सरकारों को इस वायरस को काबू करने में काफीमशक्कत करनी पड़ सकती है।
टैड्रॉस एडहेनॉम घेबरेयेसस ने वैक्सीन पर जोर देते हुए कहा कि दुनिया में वैक्सीन को लेकर समानता की बेहद जरूरत है। विभिन्न देशों में वैक्सीन की उपलब्धता और अपने लोगों के टीकाकरण के मौजूदा आंकड़े यह बताते हैं कि करीब 109 देश विश्व स्वास्थ्य संगठन के उस लक्ष्य से पिछड़ जाएंगे जिसके तहत जुलाई तक 70 प्रतिशत वैक्सीनेशन का टारगेट रखा गया है। उन्होंने कहा कि कम देशों में बूस्टर के बाद फिर बूस्टर लगा दिया जाए तो भी यह महामारी खत्म नहीं होगी, क्योंकि करोड़ों लोग असुरक्षित रह जाएंगे।
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