Politics: इफ्तार पार्टी देने से क्यों बच रहे हैं दल, क्या अखिलेश ने इस वजह से बनाई दूरी?

Politics: इफ्तार पार्टी देने से क्यों बच रहे हैं दल, क्या अखिलेश ने इस वजह से बनाई दूरी?

Akhilesh Yadav News: रमजान का महीना अब खत्म होने को आ रहा है, लेकिन अभी तक इफ्तार पार्टी को लेकर ज्यादा चर्चाएं नहीं हुई है, जबकि कोविड से पहले की बात करें तो इफ्तार पार्टी को लेकर आए दिन खबरें आया करती थी. इफ्तार पार्टी स्वर्गीय मुलायम सिंह यादव की सबसे अच्छी मानी जाती थी, लेकिन इस बार वह नहीं है. ऐसे में सभी के मन में सवाल उठ रहा है कि क्या उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री व स्वर्गीय मुलायम सिंह के बेटे अखिलेश यादव अपने मेहमानों के लिए इफ्तार पार्टी का आयोजन करेंगे. क्योंकि अभी तक किसी भी राजनीतिक दल ने इफ्तार पार्टी का आयोजन नहीं किया है. यदि ऐसे में अखिलेश यादव पार्टी का आयोजन करते हैं तो कहीं उनके लिए कोई समस्या तो नहीं बन जाएगी. इसको लेकर राजनीतिक गलियारों में हलचल तेज है. अब देखना ये है कि अखिलेश यादव इफ्तार पार्टी में अपने मेहमानों को बुलाते हैं या नहीं, या फिर उनका पूरा फोकस निकाय चुनाव में रहेगा.


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मेन्यू हाेता था भव्य

समाजवादी पार्टी (सपा) अपने पार्टी मुख्यालय में सबसे बड़ी और सबसे अच्छी इफ्तार पार्टी की मेजबानी करने के लिए जानी जाती थी. इसके संस्थापक स्वर्गीय मुलायम सिंह यादव व्यक्तिगत रूप से मेहमानों से मिलते थे और ये सुनिश्चित करते थे कि प्रत्येक को भरपेट भोजन मिले. मेज पर रखा मेन्यू भी भव्य होता था. सपा सूत्रों का अब दावा है कि अखिलेश यादव इफ्तार पार्टी की मेजबानी करने से कतरा रहे हैं क्योंकि ऐसा करने से उनके प्रतिद्वंद्वी उन्हें हिंदू विरोधी करार देंगे.

निकाय चुनाव में करेंगे फाेकस

पार्टी के एक विधायक ने कहा कि हम एक नए विवाद में फंसने के बजाय नगरपालिका चुनावों पर ध्यान केंद्रित करेंगे. हालांकि, अखिलेश अपने नेताओं और विधायकों द्वारा आयोजित इफ्तार पार्टियों में शामिल होते रहे हैं. बहुजन समाज पार्टी सत्ता में होने पर ही इफ्तार पार्टियों की मेजबानी करने के लिए जानी जाती है और मेहमानों की सूची बेहद सीमित हाेती थी.

कांग्रेस ने भी की थी मेजबानी

कांग्रेस ने पहले नियमित रूप से इफ्तार पार्टियों की मेजबानी की थी और दिल्ली के उसके नेताओं ने भी इसमें भाग लेने का प्रयास किया था. हालांकि अब पार्टी ने परंपरा को छोड़ दिया है और अंदरूनी सूत्रों का दावा है कि ये मुख्य रूप से धन की कमी है, जिसने इसे इफ्तार पार्टियों की मेजबानी करना बंद कर दिया है. बीजेपी ने सिर्फ एक बार इफ्तार पार्टी का आयोजन किया था, जब राजनाथ सिंह मुख्यमंत्री थे. उत्तर प्रदेश में इफ्तार पार्टियों की शुरुआत सत्तर के दशक की शुरुआत में तत्कालीन मुख्यमंत्री हेमवती नंदन बहुगुणा ने की थी. इसके बाद ये एक वार्षिक परंपरा बन गई.

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