Rajnath Singh: ‘1971 के युद्ध में ही हो जाना था PoK का फैसला’, रक्षा मंत्री को इस बात का मलाल

Rajnath Singh: ‘1971 के युद्ध में ही हो जाना था PoK का फैसला’, रक्षा मंत्री को इस बात का मलाल

सैन्य बलिदानी परिवार सम्मान समारोह में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह।

सैन्य बलिदानी परिवार सम्मान समारोह में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह।
– फोटो : संवाद

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रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) पर फैसला भारत और पाकिस्तान के बीच 1971 के युद्ध के दौरान ही ले लिया जाना चाहिए था। हमने हाल ही में 1971 के युद्ध की जीत की स्वर्ण जयंती मनाई है। 1971 के युद्ध को इतिहास में याद किया जाएगा, क्योंकि यह युद्ध भारत ने संपत्ति, कब्जे या सत्ता के बजाय मानवता के लिए लड़ा था। सिंह ने कहा कि अफसोस यह है कि उस समय पाकिस्तान के 90,000 से ज्यादा सैनिक भारत ने बंदी बना लिए थे, इसके बावजूद भारत ने पाकिस्तान से पीओके वापस नहीं लिया। राजनाथ सिंह नादौन में ब्यास नदी के तट पर सोमवार को सैन्य बलिदानी परिवार सम्मान समारोह को संबोधित कर रहे थे। रक्षा मंत्री ने कहा कि हिमाचल प्रदेश देव व वीर भूमि है, जिसकी शौर्य, पराक्रम व बलिदान की समृद्ध परंपरा रही है।

उन्होंने हिमाचल से प्रथम परमवीर चक्र विजेता मेजर सोमनाथ शर्मा, महावीर चक्र विजेता शेर सिंह थापा, धनसिंह थापा, संजय कुमार व कारगिल युद्ध में बलिदान देने वाले विक्रम बत्तरा का जिक्र करते हुए कहा कि भारत के हर युद्ध में हिमाचलियों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
राजनाथ सिंह ने कहा कि पहले भारत के सीमावर्ती क्षेत्रों में आधारभूत ढांचे के विकास को प्राथमिकता नहीं दी जाती थी, लेकिन मोदी सरकार में इसे पूरी प्राथमिकता पर रखा है। प्रदेश के सीमावर्ती जिलों किन्नौर और लाहौल-स्पीति में हर घर में नल और जल पहुंचा दिया है। सीमावर्ती क्षेत्रों में सड़कों का जाल बिछाया जा रहा है और मोबाइल नेटवर्क विकसित किया जा रहा है, ताकि देश की सीमाओं तक भारतीय सेनाओं की पहुंच आसान हो। गलवां में भारतीय सैनिकों ने चीन की सेना की घुसपैठ का करारा प्रत्युत्तर दिया। पहले देश में आतंकी हमलों की खबरें आती थीं, लेकिन देश में मोदी सरकार आने के बाद पुलवामा व उड़ी हमलों के बाद पाकिस्तान की जमीन पर सर्जिकल स्ट्राइक की खबरें आती हैं। 

भारत बन चुका है रक्षा सामग्री निर्यातक देश
 राजनाथ सिंह ने कहा कि पहले भारत रक्षा सामग्री आयात करने के रूप में जाना जाता था, लेकिन अब भारत रक्षा सामग्री का निर्यातक बन चुका है। वर्ष 2047 तक भारत ने दो लाख करोड़ रुपये का रक्षा सामान निर्यात करने का लक्ष्य निर्धारित किया है। रक्षा क्षेत्र में 311 आइटम चिह्नित की हैं, जिनका आने वाले सालों में मेक इन इंडिया के तहत भारत में ही निर्माण होगा। राजनाथ ने कहा कि सेना के दरवाजे महिलाओं के लिए खोल दिए गए हैं। एनडीए समेत युद्धपोतों पर महिला सैनिकों की नियुक्ति को हरी झंडी दी गई है। 

भारत ने कभी अपनी शक्ति का दुरुपयोग नहीं किया: जोशी
समारोह में मौजूद राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की अखिल भारतीय कार्यकारिणी सदस्य सुरेश भैया जोशी ने कहा कि भारतीय सेना ने सभी युद्धों में विजय पाई है। इसके बावजूद भारत ने कभी भी अपनी शक्ति का दुरुपयोग नहीं किया। 
 

 सैन्य बलिदानी परिवार सम्मान समारोह को नादौन में ब्यास नदी तट पर संबोधित करते हुए देश के रक्षा मंत्री भारत सरकार राजनाथ सिंह ने कहा कि हिमाचल देव और वीर भूमि है। इसकी शौर्य, पराक्रम और बलिदान की एक समृद्ध परंपरा रही है। रक्षा मंत्री ने इस दौरान रणभूमि में मेजर सोमनाथ शर्मा से लेकर कारगिल युद्ध में बलिदान देने वाले विक्रम बत्तरा की वीरगाथा सुनाकर हर हिमाचल वासी को गौरवान्वित करवाया। रक्षा मंत्री ने प्रथम परमवीर चक्र विजेता मेजर सोमनाथ शर्मा, महावीर चक्र विजेता शेर सिंह थापा, धनसिंह थापा, संजय कुमार और कारगिल युद्ध में बलिदान देने वाले विक्रम बत्तरा का जिक्र करते हुए कहा कि भारत के हर युद्ध में हिमाचलियों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

उन्होंने कहा कि सेनाओं का त्याग और बलिदान ही देश की सीमाओं को सुरक्षित रखता है। इस आयोजन पर एक मिसाल पेश करते हुए बलिदानी परिवारों, पूर्व सैनिकों को एक लाख चंदन, नीम और पीपल के पौधे वितरित किए गए। कार्यक्रम में दो प्रदर्शनियां लगाई गईं। इनमें से एक प्रदर्शनी में हिमाचल प्रदेश से संबंधित वीर सैनिकों का जीवनवृत्त दिखाया गया। दूसरी प्रदर्शनी में हिमाचल प्रदेश  के स्वतंत्रता सेनानियों का जीवन वृत्त पेश किया।

600 बलिदानी, पूर्व सैनिक परिवारों को किया सम्मानित
इस अवसर पर 600 बलिदानी और पूर्व सैनिक परिवारों को स्मृति चिन्ह और अंग वस्त्र देकर सम्मानित किया गया। परम वशिष्ठ सेवा मेडल से सम्मानित लेफ्टिनेंट जरनल कुलदीप जम्वाल, पीवीएसएम लेफ्टिनेंट जनरल बलजीत सिंह जसवाल, लेफ्टिनेंट जनरल विनोद शर्मा, मेजर जनरल मोहिंदर प्रताप, मेजर जनरल सुदेश शर्मा, मेजर जनरल अतुल कौशिक, ब्रिगेडियर सतीश कुमार, वीएसएम ब्रिगेडियर अजय कुमार शर्मा, ब्रिगेडियर मदन शील शर्मा, ब्रिगेडियर बेअंत परमार, ब्रिगेडियर खुशाल शर्मा, ब्रिगेडियर जगदीश सिंह वर्मा, ब्रिगेडियर पवन चौधरी, ब्रिगेडियर लरल चंद जसवाल, पूर्व डीजीपी  आईडी भंडारी, कर्नल रूप चंद, कर्नल दर्शन मनकोटिया, कैप्टन रमेश चंद  मौजूद रहे।

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रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) पर फैसला भारत और पाकिस्तान के बीच 1971 के युद्ध के दौरान ही ले लिया जाना चाहिए था। हमने हाल ही में 1971 के युद्ध की जीत की स्वर्ण जयंती मनाई है। 1971 के युद्ध को इतिहास में याद किया जाएगा, क्योंकि यह युद्ध भारत ने संपत्ति, कब्जे या सत्ता के बजाय मानवता के लिए लड़ा था। सिंह ने कहा कि अफसोस यह है कि उस समय पाकिस्तान के 90,000 से ज्यादा सैनिक भारत ने बंदी बना लिए थे, इसके बावजूद भारत ने पाकिस्तान से पीओके वापस नहीं लिया। राजनाथ सिंह नादौन में ब्यास नदी के तट पर सोमवार को सैन्य बलिदानी परिवार सम्मान समारोह को संबोधित कर रहे थे। रक्षा मंत्री ने कहा कि हिमाचल प्रदेश देव व वीर भूमि है, जिसकी शौर्य, पराक्रम व बलिदान की समृद्ध परंपरा रही है।

उन्होंने हिमाचल से प्रथम परमवीर चक्र विजेता मेजर सोमनाथ शर्मा, महावीर चक्र विजेता शेर सिंह थापा, धनसिंह थापा, संजय कुमार व कारगिल युद्ध में बलिदान देने वाले विक्रम बत्तरा का जिक्र करते हुए कहा कि भारत के हर युद्ध में हिमाचलियों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

राजनाथ सिंह ने कहा कि पहले भारत के सीमावर्ती क्षेत्रों में आधारभूत ढांचे के विकास को प्राथमिकता नहीं दी जाती थी, लेकिन मोदी सरकार में इसे पूरी प्राथमिकता पर रखा है। प्रदेश के सीमावर्ती जिलों किन्नौर और लाहौल-स्पीति में हर घर में नल और जल पहुंचा दिया है। सीमावर्ती क्षेत्रों में सड़कों का जाल बिछाया जा रहा है और मोबाइल नेटवर्क विकसित किया जा रहा है, ताकि देश की सीमाओं तक भारतीय सेनाओं की पहुंच आसान हो। गलवां में भारतीय सैनिकों ने चीन की सेना की घुसपैठ का करारा प्रत्युत्तर दिया। पहले देश में आतंकी हमलों की खबरें आती थीं, लेकिन देश में मोदी सरकार आने के बाद पुलवामा व उड़ी हमलों के बाद पाकिस्तान की जमीन पर सर्जिकल स्ट्राइक की खबरें आती हैं। 

भारत बन चुका है रक्षा सामग्री निर्यातक देश

 राजनाथ सिंह ने कहा कि पहले भारत रक्षा सामग्री आयात करने के रूप में जाना जाता था, लेकिन अब भारत रक्षा सामग्री का निर्यातक बन चुका है। वर्ष 2047 तक भारत ने दो लाख करोड़ रुपये का रक्षा सामान निर्यात करने का लक्ष्य निर्धारित किया है। रक्षा क्षेत्र में 311 आइटम चिह्नित की हैं, जिनका आने वाले सालों में मेक इन इंडिया के तहत भारत में ही निर्माण होगा। राजनाथ ने कहा कि सेना के दरवाजे महिलाओं के लिए खोल दिए गए हैं। एनडीए समेत युद्धपोतों पर महिला सैनिकों की नियुक्ति को हरी झंडी दी गई है। 

भारत ने कभी अपनी शक्ति का दुरुपयोग नहीं किया: जोशी

समारोह में मौजूद राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की अखिल भारतीय कार्यकारिणी सदस्य सुरेश भैया जोशी ने कहा कि भारतीय सेना ने सभी युद्धों में विजय पाई है। इसके बावजूद भारत ने कभी भी अपनी शक्ति का दुरुपयोग नहीं किया। 

 

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