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- Chief Justice Said, Until The Issue Of Unemployment Is Not Resolved, Papers Will Continue To Leak, Even If There Is A Death Penalty
जोधपुर6 घंटे पहले
राजस्थान हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस (CJ) अकील कुरैशी ने कहा- जब तक बेरोजगारी का मसला हल नहीं होगा, तब तक REET जैसे पेपर लीक होते रहेंगे। चाहे सजा में मृत्युदंड का ही प्रावधान क्यों न कर दिया जाए। आज के इस प्रतिस्पर्धा के दौर में सरकार को रोजगार और आजीविका के नए विकल्प ढूंढने होंगे।
कोर्ट का मामला था, बोलना उचित नहीं समझा
चीफ जस्टिस कुरैशी ने मंगलवार को नारी निकेतन परिसर बाल परामर्श एवं कौशल विकास प्रशिक्षण केन्द्र के लोकार्पण समारोह में यह बात कही है। उन्होंने कहा- आज-कल REET के पेपर लीक होने पर चर्चा हो रही है। बहुत मंथन किया जा रहा है। इससे जुड़ा मसला हमारे कोर्ट में भी आया था।
आगे से ऐसा न हो, इसके लिए हम बहुत सख्त सजा का प्रावधान करने जा रहे हैं। कोर्ट का मसला था। मैंने कुछ बोलना उचित नहीं समझा। हालांकि, मेरे दिमाग ने कहा था- अब चाहे मृत्युदंड का प्रावधान ही क्यों न कर दें, बेरोजगारी का मसला हम सुलझा नहीं पाएंगे तो पेपर लीक होते रहेंगे।
मंगलवार को नारी निकेतन परिसर बाल परामर्श एवं कौशल विकास प्रशिक्षण केन्द्र के लोकार्पण समारोह में राजस्थान हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस (CJ) अकील कुरैशी ने बड़ा बयान दिया।
कौशल प्रशिक्षण रोजगार की बात
चीफ जस्टिस ने कहा कि बाल अधिकारिता विभाग के नवाचार से बच्चों को प्रशिक्षित किया जाएगा। इस केन्द्र की ओर से शून्य से सृजन को चरितार्थ किया जाएगा। कौशल, प्रशिक्षण और रोजगार के साधन विकसित करने से ही समाज का उत्थान होगा। कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि बाल अधिकारिता विभाग मंत्री ममता भूपेश ने कहा कि प्रशिक्षण का ये केंद्र बाल विकास और समाज के विकास पथ पर मील का पत्थर साबित होगा।
किशोर न्याय समिति, राजस्थान उच्च न्यायालय के मार्गदर्शन में जोधपुर में राज्य स्तरीय ‘बाल परामर्श एवं कौशल विकास प्रशिक्षण केंद्र’ की स्थापना की गई है। केंद्र का संचालन राजकीय नारी निकेतन परिसर में किया जाएगा। कार्यक्रम में प्रशासनिक जज संदीप मेहता, किशोर न्याय समिति के अध्यक्ष जज विजय विश्नोई, बाल अधिकारिता विभाग के आयुक्त व शासन सचिव गजानन्द शर्मा, किशोर न्याय समिति मौजूद थे।
समर्थ योजना लागू की गई
राजस्थान उच्च न्यायालय के सदस्य न्यायाधीश इन्द्रजीत सिंह ने बताया कि राज्य सरकार ने राजकीय बाल देखरेख संस्थानों में आवश्यक बच्चों के कौशल प्रशिक्षण के लिए समर्थ योजना (आफ्ट केयर) लागू की है। इसमें बाल अधिकारिता विभाग ने 18 वर्ष साल पूर्ण कर संस्थान छोड़ रहे युवक-युवतियों को रोजगार के लिए कौशल प्रशिक्षण उपलब्ध कराते हुए समाज की मुख्यधारा से आफ्टर केयर कार्यक्रम लागू किया है।
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