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दरअसल ऐसा कर भारत ने संदेश दिया कि पूर्वी लद्दाख से जुड़े वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर विवाद खत्म करने के लिए चीन के महज इस छोटे से प्रयास से द्विपक्षीय संबंध मधुर नहीं होंगे। मोदी ने पाकिस्तान से भी दूरी बनाए रखी। दरअसल एससीओ सम्मेलन से पहले द्विपक्षीय वार्ता शुरू करने से पहले चीन ने पांच साल पुराना दांव आजमाया था।
तब जी-20 की मेजबानी कर रहा चीन इस सम्मेलन से ठीक पहले डोकलाम में महीनों से जारी विवाद को खत्म करने के लिए अपनी सेना पीछे हटाने के लिए तैयार हो गया था। चीन की यह कूटनीति सफल रही थी। क्योंकि इसके बाद पीएम मोदी न सिर्फ जी-20 सम्मेलन में शिरकत करने चीन गए, बल्कि जिनिपिंग के साथ अलग से द्विपक्षीय वार्ता भी की।
इस बार नहीं चला दांव
एससीओ बैठक से पहले भी चीन ने पुराना दांव चल कर भारत को साधने की कोशिश की। सरकारी सूत्र बताते हैं कि एलएसी के कुछ इलाकों से सेना हटाने के बाद चीन को उम्मीद थी कि वह फिर से भारत को साधने में कामयाब हो जाएगा। इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि चीन ने अपनी ओर से मोदी-जिनपिंग के बीच द्विपक्षीय वार्ता की तैयारी भी कर ली थी। चूंकि पीएम को चीनी राष्ट्रपति से नहीं मिलना था, इसलिए वह इस सम्मेलन में सबसे देरी से पहुंचे।
मुलाकात पर दुनिया भर की टिकी थीं नजरें
चूंकि गलवां में साल 2020 में दोनों देशों की सेना के बीच हुई खूनी झड़प के बाद पहली बार मोदी और जिनपिंग एक मंच पर थे। इसके अलावा चीन ने अपनी ओर से संबंध सुधारने की कूटनीतिक चाल चल दी थी। ऐसे में दुनिया भर की निगाहें दोनों नेताओं की संभावित मुलाकात पर टिकी थीं।
चीन की दुखती रग पर हाथ रखे रहेगा भारत
बहरहाल मोदी की जिनपिंग से बनाई गई दूरी से साफ हो गया है कि भारत चीन की दुखती रग पर हाथ रखता रहेगा। भारतीय बाजार में चीन के लिए मुश्किलें बढ़ाने का दौर ही नहीं जारी रहेगा, बल्कि दक्षिण चीन सागर और ताइवान मामले में भारत चीन विरोधी देशों के साथ खड़ा रहेगा। गौरतलब है कि इस समय भारत क्वाड का सदस्य है।
कल आपका जन्मदिन पर मैं अग्रिम बधाई नहीं दे सकता
पुतिन ने मुलाकात के दौरान मोदी से कहा, मित्र मुझे पता है कि कल आपका जन्मदिन है। लेकिन हमारी रूसी परंपरा के मुताबिक मैं आपको अग्रिम बधाई नहीं दे सकता। मैं आपके नेतृत्व में भारत की समृद्धि की कामना करता हूं।
शंघाई सहयोग संगठन के शिखर सम्मेलन में शुक्रवार को सदस्य देशों ने जलवायु परिवर्तन को लेकर संतुलित वैश्विक दृष्टिकोण अपनाए जाने का आह्वान किया। इस मुद्दे पर जारी साझा बयान में कहा गया कि कार्बन उत्सर्जन घटाने और गरीब राष्ट्रों को आर्थिक रूप से विकसित देशों के साथ आने की अनुमति देने में संतुलन बनाना बहुत जरूरी है।
कार्बन उत्सर्जन के मामले में चीन, भारत और रूस जैसे बड़े देशों ने सर्वसम्मति से जलवायु परिवर्तन के नकारात्मक परिणामों और इसको लेकर तत्काल कदम उठाने की जरूरतों को स्वीकार किया लेकिन साथ ही तेल और गैस उत्पादन में निवेश बढ़ाने का भी आह्वान किया।
समूह ने एक निर्धारित गति से उत्सर्जन को कम करने के लिए देशों को बाध्य करने के लिए ‘जबरदस्ती के उपायों’ को यह कहते हुए नकार दिया कि देशों को जलवायु परिवर्तन की रोकथाम के क्षेत्र में स्वतंत्र रूप से राष्ट्रीय लक्ष्य निर्धारित करने का अधिकार है।
साझा बयान में कहा गया कि एकतरफा जबरदस्ती के उपाय बहुपक्षीय सिद्धांतों का उल्लंघन करते हैं। ये जलवायु परिवर्तन को लेकर लिए बहुपक्षीय सहयोग और सामूहिक और राष्ट्रीय प्रयासों को गंभीर रूप से कमजोर करते हैं। साथ ही देशों की क्षमता को भी कमजोर करते हैं। एजेंसी
अर्दोआन से मिले मोदी, रिश्तों की मजबूती पर बात
पीएम मोदी ने तुर्की के राष्ट्रपति रेसप तैयब अर्दोआन से मुलाकात की। दोनों नेताओं ने रिश्ते मजबूत करने और परस्पर सहयोग बढ़ाने पर चर्चा की। पीएमओ ने ट्वीट कर उनकी मुलाकात की जानकारी दी। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा, दोनों नेताओं के बीच सार्थक चर्चा हुई। उन्होंने हाल के दिनों में द्विपक्षीय कारोबार में हुई वृद्धि की सराहना की। इसके अलावा क्षेत्रीय एवं वैश्विक विकास के मुद्दों पर भी विचारों का आदान प्रदान हुआ। तुर्की के राष्ट्रपति पाकिस्तान के खास करीबी रहे हैं।
पाकिस्तान के पीएम शहबाज शरीफ रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से बातचीत के दौरान बार बार अपना हेडफोन संभालते रहे। रूसी सरकारी न्यूज एजेंसी आरआईए की ओर से जारी एक वीडियो में पुतिन उन पर हंसते हुए दिख रहे हैं। इस वीडियो को पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ ने भी शेयर किया। इसमें यह भी दिख रहा है कि शहबाज ने एक सहयोगी से मदद मांगी।
चीन ने की क्षेत्रीय आतंकवादरोधी प्रशिक्षण केंद्र खोलने की पेशकश
चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने एशिया में क्षेत्रीय आतंकवादरोधी प्रशिक्षण केंद्र स्थापित करने का सुझाव दिया। इसके लिए उन्होंने 2000 पुलिस अधिकारियों को खास प्रशिक्षण देने की भी पेशकश की। ताकि क्षेत्र में आतंकवाद के खिलाफ कानून प्रवर्तन को मजबूती दी जा सके। जिनपिंग ने साथ ही अपने मध्य एशियाई पड़ोसियों को चेताया कि वह बाहरी तत्वों को रंग क्रांतियों के जरिए उन्हें अस्थिर करने की अनुमति न दें।
उन्होंने रणनीतिक स्वतंत्रता बनाए रखने और सुरक्षा सहयोग पर सहमति बनाने व आतंकवाद विरोधी सहयोग का विस्तार करने की अपील की। जिनपिंग का यह आह्वान असल में लोकतांत्रिक देशों और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं को मिल रहे पश्चिमी समर्थन के प्रति चीन की चिंता को दर्शाता है। जिनपिंग ने पूर्व सोवियत संघ और मध्य पूर्व में अलोकप्रिय शासनों को गिराने वाले विरोधों का भी जिक्र किया।
- जिनपिंग ने कहा, सभी सदस्य देशों को राजनीतिक भरोसा कायम करना चाहिए और एक दूसरे के मूल हितों से जुड़े मामलों में परस्पर सहयोग जारी रखना चाहिए। बिना नाम लिए अमेरिका पर निशाना साधते हुए जिनपिंग ने कहा, क्षेत्रीय स्थिरता की सुरक्षा के लिए रणनीतिक स्वतंत्रता को कायम रखना होगा। सतत सुरक्षा की दृष्टि की वकालत करने और क्षेत्रीय स्थिरता को नुकसान पहुंचाने को रोकना होगा।
भारतीय अर्थव्यवस्था सबसे तेज विनिर्माण का हब बन रहा देश
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि महामारी के बाद आर्थिक चुनौतियों का सामना करते हुए भारत विनिर्माण का हब बन रहा है। हमारे जन-केंद्रित विकास मॉडल में प्रौद्योगिकी के समुचित उपयोग पर काफी ध्यान दिया गया है। प्रधानमंत्री शुक्रवार को शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के शिखर सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा, हमारा युवा और प्रतिभाशाली कार्यबल हमें स्वाभाविक रूप से प्रतिस्पर्धी बनाता है। हमारा यह अनुभव एससीओ देशों के काम आ सकता है।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, भारत की अर्थव्यवस्था में इस साल 7.5 प्रतिशत की दर से वृद्धि होने की उम्मीद है। यह दर दुनिया की प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में सबसे अधिक होगी। पीएम ने स्टार्टअप के क्षेत्र में देश की बढ़ती ताकत भी बताई। कहा, भारत आज प्रत्येक क्षेत्र में इनोवेशन या नवाचार का समर्थन कर रहा है। हमारे यहां 70,000 से अधिक स्टार्ट-अप्स हैं। इनमें 100 से अधिक यूनिकॉर्न हैं। पीएम ने कहा, हम स्टार्टअप्स और इनोवेशन पर नए विशेष कार्यसमूह की स्थापना करके एससीओ सदस्य देशों के साथ अपना अनुभव साझा करने के लिए तैयार हैं। एजेंसी
लचीली आपूर्ति शृंखला जरूरी
पीएम मोदी ने कहा, दुनिया कोरोना महामारी और यूक्रेन युद्ध के कारण आर्थिक रिकवरी की चुनौतियों का सामना कर रही है। खाद्य संकट खड़ा हो रहा है। ऐसे में एससीओ को अपने क्षेत्र में विश्वस्त, लचीली और विविध आपूर्ति शृंखला विकसित करने के लिए प्रयत्न करने चाहिए।
अपने इलाकों से गुजरने का दें अधिकार
पाकिस्तान का नाम लिए बिना पीएम मोदी ने कहा, आपूर्ति शृंखला के लिए बेहतर कनेक्टिविटी की जरूरत तो होगी ही, अहम होगा कि हम एक-दूसरे को अपने इलाकों से गुजरने का अधिकार दें। मोदी ने कहा, भारत सदस्य देशों के बीच अधिक सहयोग व आपसी विश्वास का समर्थन करता है।
अध्यक्षता पर चीन-रूस की भारत को बधाई
चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग व रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने भारत को अगले साल एससीओ की अध्यक्षता के लिए बधाई दी। जिनपिंग ने कहा, भारत की हरसंभव मदद करेंगे।
रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने पीएम मोदी से मुलाकात में यूक्रेन युद्ध पर भारत की चिंताएं दूर करने की कोशिश की। सम्मेलन से इतर वार्ता में मोदी ने कहा, आज का युग युद्ध का नहीं, शांति का है। तो, पुतिन ने मोदी से कहा, यूक्रेन संघर्ष को लेकर आपकी स्थिति से परिचित हूं, आपकी चिंताओं को भी समझता हूं। हम भी जल्द-से-जल्द सब खत्म करना चाहते हैं। यूक्रेन के घटनाक्रम से आपको अवगत कराता रहूंगा।
यूक्रेन संघर्ष के बाद दोनों शीर्ष नेताओं के बीच यह पहली मुलाकात थी। विश्व के अधिकतर देशों ने रूस के खिलाफ कड़ा रुख अपनाया, पर भारत कूटनीतिक ढंग से रूस की निंदा किए बगैर अपनी स्थिति स्पष्ट करता रहा है। पीएम मोदी ने कहा, हमने फोन पर भी बात की है। आज हमें शांति के पथ पर आगे बढ़ने के लिए बातचीत का मौका मिला है। रूस-भारत दशकों से साथ रहे हैं। आगे भी साथ बना रहेगा।
खाद्य सुरक्षा-ईंधन व उर्वरक पर समाधान तलाशें
मोदी ने कहा, द्विपक्षीय रिश्तों समेत अन्य कई मुद्दों पर हमने फोन पर कई बार बातचीत की। हमें खाद्य सुरक्षा व ईंधन और उर्वरक के मसले का समाधान निकालने के प्रयास करने चाहिए। मोदी ने कहा, यूक्रेन में फंसे हमारे नागरिकों खासकर विद्यार्थियों को निकालने में मदद के लिए रूस व यूक्रेन, दोनों का धन्यवाद।
मजबूत होती दोस्ती
मोदी ने भारत-रूस की दशकों पुरानी दोस्ती की गहराई याद दिलाते हुए कहा, दुनिया इस तथ्य से परिचित है। उन्होंने पुतिन से अपनी 22 साल की दोस्ती का भी जिक्र किया। कहा, यह और मजबूत होती जा रही है।
मोदी-जिनपिंग एक मंच पर…न हाथ मिले, न निगाहें
प्रधानमंत्री मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग सम्मेलन के दौरान एक मंच पर रहे। हालांकि, इस दौरान दोनों ने एक-दूसरे से हाथ मिलाना तो दूर, नजरें भी नहीं मिलाईं। मंच पर साथ होने के बावजूद दोनों की दूरी साफ नजर आई। दरअसल ऐसा कर, भारत ने पूर्वी लद्दाख में सीमा विवाद को लेकर सख्त संदेश दिया है।
विस्तार
SCO Summit : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) सम्मेलन के दौरान एक मंच पर दिखे। हालांकि इस दौरान दोनों ने एक-दूसरे से हाथ मिलाना तो दूर नजरें भी नहीं मिलाईं। मंच पर साथ खड़े होने के बावजूद दोनों नेताओं की दिल की दूरी साफ नजर आई।
दरअसल ऐसा कर भारत ने संदेश दिया कि पूर्वी लद्दाख से जुड़े वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर विवाद खत्म करने के लिए चीन के महज इस छोटे से प्रयास से द्विपक्षीय संबंध मधुर नहीं होंगे। मोदी ने पाकिस्तान से भी दूरी बनाए रखी। दरअसल एससीओ सम्मेलन से पहले द्विपक्षीय वार्ता शुरू करने से पहले चीन ने पांच साल पुराना दांव आजमाया था।
तब जी-20 की मेजबानी कर रहा चीन इस सम्मेलन से ठीक पहले डोकलाम में महीनों से जारी विवाद को खत्म करने के लिए अपनी सेना पीछे हटाने के लिए तैयार हो गया था। चीन की यह कूटनीति सफल रही थी। क्योंकि इसके बाद पीएम मोदी न सिर्फ जी-20 सम्मेलन में शिरकत करने चीन गए, बल्कि जिनिपिंग के साथ अलग से द्विपक्षीय वार्ता भी की।
इस बार नहीं चला दांव
एससीओ बैठक से पहले भी चीन ने पुराना दांव चल कर भारत को साधने की कोशिश की। सरकारी सूत्र बताते हैं कि एलएसी के कुछ इलाकों से सेना हटाने के बाद चीन को उम्मीद थी कि वह फिर से भारत को साधने में कामयाब हो जाएगा। इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि चीन ने अपनी ओर से मोदी-जिनपिंग के बीच द्विपक्षीय वार्ता की तैयारी भी कर ली थी। चूंकि पीएम को चीनी राष्ट्रपति से नहीं मिलना था, इसलिए वह इस सम्मेलन में सबसे देरी से पहुंचे।
मुलाकात पर दुनिया भर की टिकी थीं नजरें
चूंकि गलवां में साल 2020 में दोनों देशों की सेना के बीच हुई खूनी झड़प के बाद पहली बार मोदी और जिनपिंग एक मंच पर थे। इसके अलावा चीन ने अपनी ओर से संबंध सुधारने की कूटनीतिक चाल चल दी थी। ऐसे में दुनिया भर की निगाहें दोनों नेताओं की संभावित मुलाकात पर टिकी थीं।
चीन की दुखती रग पर हाथ रखे रहेगा भारत
बहरहाल मोदी की जिनपिंग से बनाई गई दूरी से साफ हो गया है कि भारत चीन की दुखती रग पर हाथ रखता रहेगा। भारतीय बाजार में चीन के लिए मुश्किलें बढ़ाने का दौर ही नहीं जारी रहेगा, बल्कि दक्षिण चीन सागर और ताइवान मामले में भारत चीन विरोधी देशों के साथ खड़ा रहेगा। गौरतलब है कि इस समय भारत क्वाड का सदस्य है।
कल आपका जन्मदिन पर मैं अग्रिम बधाई नहीं दे सकता
पुतिन ने मुलाकात के दौरान मोदी से कहा, मित्र मुझे पता है कि कल आपका जन्मदिन है। लेकिन हमारी रूसी परंपरा के मुताबिक मैं आपको अग्रिम बधाई नहीं दे सकता। मैं आपके नेतृत्व में भारत की समृद्धि की कामना करता हूं।
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