हिंदी हैं हम

आज का शब्द: लालच और कुँवर नारायण की कविता- सहिष्णुता को आचरण दो
1 min read

सामूहिक अनुष्ठानों के समवेत मंत्र-घोष शंख-स्वरों पर यंत्रवत हिलते नर-मुंड आंखें मूंद... इनमें व्यक्तिगत अनिष्ठा एक अनहोनी बात  जिसके अविश्वास...

आज का शब्द: शिल्प और गयाप्रसाद शुक्ल ‘सनेही’ की कविता- जब विदेशियों का भारत में, धीरे-धीरे अधिकार हुआ
1 min read

'हिंदी हैं हम' शब्द श्रृंखला में आज का शब्द है- शिल्प, जिसका अर्थ है- हाथ की कारीगरी, दस्तकारी, कोई काम...

आज का शब्द: भरतखंड और मैथिलीशरण गुप्त रचित महाकाव्य साकेत से चुनिंदा अंश 
1 min read

'हिंदी हैं हम' शब्द श्रृंखला में आज का शब्द है- भरतखंड, जिसका अर्थ है- भारतवर्ष। प्रस्तुत है मैथिलीशरण गुप्त रचित...

आज का शब्द: भद्र और चंद्रकांत देवताले की कविता- किराए की दुनिया और उधार के समय की कैंची से आज़ाद हूँ
1 min read

'हिंदी हैं हम' शब्द श्रृंखला में आज का शब्द है- भद्र, जिसका अर्थ है- सभ्य, शिष्ट, सज्जन, श्रेष्ठ। प्रस्तुत है...