अहमदाबाद ब्लास्ट: दोषियों का समाज में रहना आदमखोर तेंदुए को खुला छोड़ने जैसा’, कोर्ट की टिप्पणी

अहमदाबाद ब्लास्ट: दोषियों का समाज में रहना आदमखोर तेंदुए को खुला छोड़ने जैसा’, कोर्ट की टिप्पणी

आजमगढ़: अहमदाबाद बम धमाकों (Ahmedabad serial blasts) के दोषियों में से दो के परिजनों ने अदालत के फैसले के समय को लेकर सवाल खड़े किये हैं और आशंका जताई है कि यह राजनीति से प्रेरित हो सकता है. अहमदाबाद की एक विशेष अदालत ने जुलाई 2008 में हुए सिलसिलेवार बम धमाकों में 56 लोगों की मौत के सिलसिले में 38 को मौत की सजा और 11 को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है. मृत्युदंड पाने वालों में आजमगढ़ जिले के पांच निवासी शामिल हैं. इसी जिले के एक दोषी को उम्रकैद की सजा सुनाई गई है.

हाई कोर्ट जाएंगे परिजन

मौत की सजा पाए संजरपुर निवासी मोहम्मद सैफ के पिता शादाब अहमद ने कहा, ‘निचली अदालत के फैसले से हम संतुष्ट नहीं हैं. अब हम उसके फैसले को उच्च न्यायालय में चुनौती देंगे. कोर्ट ने पिछले साल तीन सितंबर को इस मामले पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था, लेकिन उसे करीब पांच महीने बाद विधानसभा चुनाव के ठीक बीच में सुनाया जाना, कई सवाल खड़े करता है.’

सपा कार्यकर्ता का बयान

वहीं समाजवादी पार्टी (SP) के कार्यकर्ता अहमद ने कहा, ‘ऐसा प्रतीत होता है कि ऐसा भाजपा को विधानसभा चुनाव में फायदा पहुंचाने के लिए किया गया है.’ उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का इस फैसले को एक मौके के तौर पर लपकना और यह कहना कि अहमदाबाद बम धमाके में मौत की सजा पाए व्यक्ति का पिता समाजवादी पार्टी के लिए वोट मांग रहा है यह उनके इरादों की तरफ साफ इशारा देता है.

मौत की सजा पाए संजरपुर निवासी आरिफ के भाई अमीर हमजा ने कहा पूरा मामला राजनीति से प्रेरित है. हम उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाएंगे. हालांकि सजा पाए बाकी लोगों के परिजन इस मामले पर कुछ भी बोलने से इनकार कर रहे हैं, लेकिन स्थानीय लोग अहमदाबाद बम धमाकों के मामले में निचली अदालत के फैसले के समय पर सवाल उठा रहे हैं.

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आपको बता दें कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शुक्रवार को यह निर्णय आने के बाद कानपुर में अपनी एक चुनावी सभा में कहा था कि सपा (SP) आतंकवादियों को संरक्षण देने वाली पार्टी है और अहमदाबाद बम धमाके के मामले में सजा पाए एक अभियुक्त का पिता इसी पार्टी के लिए वोट मांग रहा है.

धमाके के दोषियों का समाज में रहना आदमखोर तेंदुए को खुला छोड़ने के समान: विशेष अदालत

गुजरात के अहमदाबाद में 26 जुलाई 2008 को हुए 18 सिलसिलेवार बम धमाकों पर दिए अपने फैसले में विशेष अदालत ने कहा कि 38 दोषी मौत की सजा के लायक हैं क्योंकि ऐसे लोगों का समाज में रहना ‘आदमखोर तेंदुए’ को खुला छोड़ने के समान है जोकि बिना इसकी परवाह किये बिना निर्दोष लोगों को मारता है कि वे बच्चे हैं, युवा हैं, बुजुर्ग हैं या किसी भी जाति व समुदाय के हैं. 

अदालत के फैसले की प्रति शनिवार को वेबसाइट पर उपलब्ध हुई. 2008 में अहमदाबाद में हुए सिलसिलेवार बम धमाकों के मामले में विशेष अदालत ने शुक्रवार को इंडियन मुजाहिदीन (आईएम) के 38 सदस्यों को मौत की सजा सुनाई थी. इसी मामले में अदालत ने 11 अन्य को उम्रकैद की सुजा सुनाई. इन धमाकों में 56 लोगों की मौत हो गई थी और 200 से अधिक अन्य घायल हो गए थे.

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