आतंकियों के पास आर्मर-पियर्सिंग बुलेट: बुलेट प्रूफ जैकेट को भी पार कर जाती है ये गोली, कश्मीर में सैनिकों के लिए नया खतरा

आतंकियों के पास आर्मर-पियर्सिंग बुलेट: बुलेट प्रूफ जैकेट को भी पार कर जाती है ये गोली, कश्मीर में सैनिकों के लिए नया खतरा

नई दिल्ली7 घंटे पहले

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जम्मू-कश्मीर में आतंकवादी अब ऐसी गोलियों का इस्तेमाल करने लगे हैं जो बुलेट प्रूफ जैकेट को भी भेदने की क्षमता रखती है। हाल के मुठभेड़ों में यह बात सामने आई है। इसे देखते हुए सेना ने नए बुलेटप्रूफ जैकेट्स के ऑर्डर दिए हैं।

दरअसल, आतंकवादियों को ये बुलेट्स अफगानिस्तान से मिले हैं। अमेरिकी सेना के जवान इन बुलेट्स का इस्तेमाल अफगानिस्तान में करते थे। अफगानिस्तान से अमेरिका सेना अपने हथियार और अन्य रक्षा उपकरण छोड़कर गई जिसके बाद ये हथियार आतंकवादियों के हाथ लग गए। अब ये बुलेट्स पाकिस्तान के जरिए कश्मीर में एक्टिव आतंकियों के पास पहुंच रहे हैं। इन बुलेट्स की डिजाइन इस तरह की होती है कि वह मैटल को पार कर जाती है।

कश्मीर में सुरक्षा बल के जवान।

कश्मीर में सुरक्षा बल के जवान।

नाइट साइट्स का इस्तेमाल कर रहे आतंकी
आतंकवादियों को कनाडा में बनी हुई नाइट साइट्स का उपयोग करते हुए देखा गया है। सेना के शीर्ष अधिकारियों ने अप्रैल में आयोजित सेना कमांडरों के सम्मेलन के दौरान इस विषय पर चर्चा की थी।आर्मर-पियर्सिंग बुलेट या स्टील कोर बुलेट प्रूफ जैकेट से मिलने वाली सुरक्षा को खत्म कर सकता है। इससे ऑपरेशन में शामिल सैनिक को खतरा पैदा हो सकता है।

कनाडा में बनी हुई नाइट साइट्स जिसका इस्तेमाल आतंकी टारगेट के लिए करते हैं

कनाडा में बनी हुई नाइट साइट्स जिसका इस्तेमाल आतंकी टारगेट के लिए करते हैं

सुरक्षा के लिए मिलेगी लेवल 4 जैकेट

श्रीनगर स्थित चिनार कोर के अधिकारी ने बताया कि आतंकियों ने मुठभेड़ में जिन गोलियों का इस्तेमाल किया है वो जैकेट को भेदने में सफल रही है। अभी तक हम लेवल 3 जैकेट का इस्तेमाल कर रहे थे लेकिन अब हमें लेवल 4 जैकेट मिल जाएंगे जो इन गोलियों से सैनिकों की रक्षा करेंगे। पहले ही यह आशंका थी कि आतंकवादी इन हथियारों का इस्तेमाल भारत में हिंसा फैलाने के लिए कर सकते हैं। लेवल 4 जैकेट अभी सेना द्वारा इस्तेमाल किए जा रहे जैकेट्स से उन्नत होते हैं। इन पर किसी भी बुलेट्स का असर नहीं होता है। भारत ने भी इनका डिजाइन तैयार करने में सफलता पा ली है।

700-800 करोड़ के हथियार हैं
रिपोर्टों के मुताबिक अमेरिकी बलों के छोड़े हुए करीब 7- 8 अरब डॉलर कीमत के हथियार और उपकरण अफगानियों के पास हैं, जिनमें हेलिकॉप्टर, सेना के लड़ाकू वाहन, एक-दूसरे से संपर्क करने का सामान और अन्य हथियार शामिल हैं।

इन हथियारों का ज्यादा हिस्सा तालिबान ने अपने कब्जे में ले लिया है और छोटे आतंकवादी संगठनों ने भी कुछ ले लिया है। इसका इस्तेमाल वो हिंसा फैलाने में कर रहे हैं। यही कश्मीर के आतंकवादियों तक पहुंच रहे हैं।

अमेरिकी सैनिक जल्दबाजी में छोड़ गए हथियार

अमेरिका में बनी हुई M-16 असॉल्ट राइफलें

अमेरिका में बनी हुई M-16 असॉल्ट राइफलें

इसके पहले जम्मू-कश्मीर में आतंकियों के पास अमेरिका में बनी हुई M-16 असॉल्ट राइफलें और M-4 कार्बाइन मिल चुकी हैं। इससे ये अनुमान लगाया जा रहा है कि अमेरिकी सैनिक अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के दौरान जल्दबाजी में बाहर निकलने के चक्कर में कई राइफल और हथियार वहीं छोड़ दिया है।

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