ओमिक्रॉन के 50 फीसदी मरीजों को लग चुके हैं दोनों टीके, नए वेरिएंट से बचाव का बस यही तरीका

कोरोना वायरस के नए वेरिएंट ओमिक्रॉन की वजह से देश में संक्रमण की तीसरी लहर की आशंका के बीच सरकार ने 183 मरीजों के विश्लेषण के बाद कुछ अहम बातों का खुलासा किया है। सबसे अहम बात यह सामने आई है कि 50 फीसदी या 87 संक्रमित वे लोग हैं, जिन्होंने कोरोना वैक्सीन की दोनों खुराक लगवा ली थी। यहां तक कि 3 तो बूस्टर डोज भी ले चुके हैं।  

स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक यह विश्लेषण इस बात पर जोर देता है कि महामारी को रोकने के लिए अकेले वैक्सीन पर्याप्त नहीं है। संक्रमण की श्रृंखला रोकने के लिए मास्क और सर्विलांस अहम है। विशेषज्ञ स्पष्ट कर चुके हैं कि ओमिक्रॉन से बचने के लिए मास्क, सामाजिक दूरी और हाथों को साफ रखने जैसे नियमों का सख्ती से पालन करना होगा। शुक्रवार को केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव राजेश भूषण ने देश में मिले 183 कोरोना संक्रमितों का विश्लेषण साझा किया था। इनमें से 96 ऐसे हैं, जिनके वैक्सीनेशन की स्थिति की जानकारी मिली है। इनमें से 87 ऐसे (10 में से 9 या 91 फीसदी) को वैक्सीन की दोनों खुराक लग चुकी है। इनमें से 3 को बूस्टर डोज लग चुकी है। दो आंशिक रूप से वैक्सीनेटेड हैं तो 7 ने टीका नहीं लगवाया है। 

73 संक्रमितों के टीकाकरण की स्थिति स्पष्ट नहीं है तो 16 इसके पात्र नहीं है। 18 मरीजों का कोई यात्रा इतिहास ज्ञात नहीं है। अन्य 165 के विश्लेषण से पता चलता है कि 121 या 73 फीसदी विदेश यात्रा कर चुके हैं। अहम यह है कि 27 फीसदी का विदेश यात्रा इतिहास नहीं है। यह दिखाता है कि ओमिक्रॉन की सामुदायिक मौजूदगी है। आईसीएमआर के डायरेक्टर जनरल बलराम भार्गव ने कहा कि 70 फीसदी मरीजों में कोई लक्षण नहीं है। 

भार्गव ने कहा, ”ओमिक्रॉन संक्रमण से गंभीर लक्षण जरूरी नहीं हैं। देश में अब तक मिले केसों में से एक तिहाई में हल्के लक्षण मिले हैं, अन्य में कोई लक्षण नहीं हैं। इसलिए मैं इस बात पर जोर देना चाहता हूं कि लक्षण वाले मरीजों का इलाज उसी तरह होगा।” नीति आयोग (स्वास्थ्य) के सदस्य और कोविड-19 टास्क फोर्स के मुखिया वीके पॉल ने चेतावनी दी कि ओमिक्रॉन वेरिएंट से घर के भीतर संक्रमण का जोखिम डेल्टा के मुकाबले अधिक है। एक व्यक्ति यदि घर के बाहर मास्क नहीं पहनने की वजह से संक्रमण घर में लाता है वह घर में दूसरों को भी संक्रमित करेगा। ओमिक्रॉन में यह जोखिम अधिक है। हमें इसे दिमाग में रखना है।”

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