चिंताजनक: नई चालबाजी से प्रतिरक्षा को गच्चा देने लगा कैंसर, खुल सकता है इलाज में सुधार का रास्ता

चिंताजनक: नई चालबाजी से प्रतिरक्षा को गच्चा देने लगा कैंसर, खुल सकता है इलाज में सुधार का रास्ता

कैंसर (सांकेतिक तस्वीर)।

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– फोटो : सोशल मीडिया

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शरीर में कैंसर का प्रसार रोकने के लिए प्रतिरक्षा तंत्र के मजबूत हमले की जरूरत पड़ती है लेकिन अब इस रोग की कोशिकाओं ने खुद को बचाने की तरकीब ढूंढ ली है, जिसने वैज्ञानिकों को हैरान कर दिया हैं।

हाल ही में हुए एक शोध में विशेषज्ञों ने पाया है कि कुछ कैंसर कोशिकाएं टी सेल्स (प्रतिरक्षा) के प्रहार से नष्ट न हो पाएं, इसके लिए वह दूसरी बड़ी कैंसर कोशिकाओं के भीतर छिप जाती हैं। दरअसल, शोधकर्ता अध्ययन के दौरान एक खास तरह की कैंसर थेरेपी पर काम कर रहे थे। यह उन प्रोटीनों का खात्मा करती है, जो गांठों पर टी सेल्स के हमले को रोकते हैं और इसका मेलानोमा, बड़ी आंत (कोलन) कैंसर और फेफड़ों के कैंसर में इस्तेमाल होता है। लेकिन वैज्ञानिक तब चौंक गए, जब टी सेल्स द्वारा नष्ट किए जाने के बाद गांठ वापस उभरने लगी।

खुल सकता है इलाज में सुधार का रास्ता
शोधकर्ताओं ने जब इंसानी कोशिकाओं में इसकी पड़ताल की तो उनमें भी कमोबेश यही स्थिति सामने आई। हालांकि, रक्त कैंसर व ग्लियोब्लास्टोमा के मामले में ऐसा नहीं दिखा और इनकी कोशिकाओं ने विशाल संरचना नहीं बना रखी थी। शोध के नतीजों को देखकर कुछ अन्य विशेषज्ञों ने कहा है कि यह खोज मरीजों के इलाज में अधिक सुधार का रास्ता खोल सकती है।

कैंसर खुद को छिपा सकता है महीनों
चूहों में मेलानोमा और स्तन कैंसर पर शोध कर रहे तेल अवीव यूनिवर्सिटी के सहायक प्रोफेसर यारोन करमी और डॉक्टरेट कर रहे उनके छात्र अमित गुटविलिंग ने प्रयोगशाला में देखा कि कुछ विशाल कोशिकाएं टी सेल्स के हमलों के बावजूद बची हुई थीं। गहनता से पड़ताल करने पर खुलासा हुआ कि इन्होंने अपने भीतर छोटी-छोटी कैंसर कोशिकाओं को छिपा रखा था ताकि वे प्रतिरक्षा से बचने में कामयाब रहें।

डॉ. करमी के मुताबिक, इन कोशिकाओं का दृश्य किसी शैतान को देखने सरीखा था, जो चालाकियों से खुद को बचा रही थीं। उनका कहना है कि इस तरह कैंसर खुद को हफ्तों और महीनों तक छिपाए रख सकता है।

विस्तार

शरीर में कैंसर का प्रसार रोकने के लिए प्रतिरक्षा तंत्र के मजबूत हमले की जरूरत पड़ती है लेकिन अब इस रोग की कोशिकाओं ने खुद को बचाने की तरकीब ढूंढ ली है, जिसने वैज्ञानिकों को हैरान कर दिया हैं।

हाल ही में हुए एक शोध में विशेषज्ञों ने पाया है कि कुछ कैंसर कोशिकाएं टी सेल्स (प्रतिरक्षा) के प्रहार से नष्ट न हो पाएं, इसके लिए वह दूसरी बड़ी कैंसर कोशिकाओं के भीतर छिप जाती हैं। दरअसल, शोधकर्ता अध्ययन के दौरान एक खास तरह की कैंसर थेरेपी पर काम कर रहे थे। यह उन प्रोटीनों का खात्मा करती है, जो गांठों पर टी सेल्स के हमले को रोकते हैं और इसका मेलानोमा, बड़ी आंत (कोलन) कैंसर और फेफड़ों के कैंसर में इस्तेमाल होता है। लेकिन वैज्ञानिक तब चौंक गए, जब टी सेल्स द्वारा नष्ट किए जाने के बाद गांठ वापस उभरने लगी।

खुल सकता है इलाज में सुधार का रास्ता

शोधकर्ताओं ने जब इंसानी कोशिकाओं में इसकी पड़ताल की तो उनमें भी कमोबेश यही स्थिति सामने आई। हालांकि, रक्त कैंसर व ग्लियोब्लास्टोमा के मामले में ऐसा नहीं दिखा और इनकी कोशिकाओं ने विशाल संरचना नहीं बना रखी थी। शोध के नतीजों को देखकर कुछ अन्य विशेषज्ञों ने कहा है कि यह खोज मरीजों के इलाज में अधिक सुधार का रास्ता खोल सकती है।

कैंसर खुद को छिपा सकता है महीनों

चूहों में मेलानोमा और स्तन कैंसर पर शोध कर रहे तेल अवीव यूनिवर्सिटी के सहायक प्रोफेसर यारोन करमी और डॉक्टरेट कर रहे उनके छात्र अमित गुटविलिंग ने प्रयोगशाला में देखा कि कुछ विशाल कोशिकाएं टी सेल्स के हमलों के बावजूद बची हुई थीं। गहनता से पड़ताल करने पर खुलासा हुआ कि इन्होंने अपने भीतर छोटी-छोटी कैंसर कोशिकाओं को छिपा रखा था ताकि वे प्रतिरक्षा से बचने में कामयाब रहें।

डॉ. करमी के मुताबिक, इन कोशिकाओं का दृश्य किसी शैतान को देखने सरीखा था, जो चालाकियों से खुद को बचा रही थीं। उनका कहना है कि इस तरह कैंसर खुद को हफ्तों और महीनों तक छिपाए रख सकता है।

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