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- The Activities Of The Ruling Party And The Opposition Intensify As The Elections Approach.
30 मिनट पहले
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चुनाव क़रीब आते ही राजनीतिक गतिविधियाँ तेज हो चुकी हैं। लालू,राबड़ी और तेजस्वी के यहाँ छापों के दौर के बाद अब दिल्ली पुलिस राहुल गांधी के घर पहुँच गई है। बात राहुल की भारत जोड़ो यात्रा के वक्त की है।कांग्रेसियों का कहना है कि राहुल ने कोई ग़लत बयानबाज़ी की भी है तो पुलिस फ़रवरी में ही आ जाती। अब यात्रा ख़त्म होने के पैंतालीस दिन बाद पुलिस को राहुल का बयान क्यों याद आ रहा है?
कांग्रेस नेता जयराम रमेश का कहना है कि अडाणी मामले में राहुल गांधी को चुप कराने के लिए सरकार ऐसा कर रही है। लेकिन क्या ऐसा करने से राहुल गांधी चुप हो जाएँगे? सरकार को ऐसा क्यों लगता है?
राहुल गांधी ने 30 जनवरी को श्रीनगर में भारत जोड़ो यात्रा के समापन के दौरान एक बयान दिया था। ये वीडियो उसी समय का है। पुलिस ने इसी को लेकर राहुल को नोटिस भेजा है।
भाजपा का कहना है कि क़ानून अपना काम कर रहा है, इसमें सरकार का कोई दखल नहीं है। राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का मानना है कि गृह मंत्रालय के इशारे के बिना पुलिस दो महीने पुराने मामले में राहुल गांधी के घर जाने की हिम्मत ही नहीं कर सकती। सारी चाल सरकार की ही है। लेकिन कांग्रेस इस सबसे डरने वाली नहीं है। गहलोत बड़े चतुर खिलाड़ी हैं।
राहुल का बचाव करते- करते उन्होंने अपने प्रतिद्वंद्वी नेता सचिन पायलट को भी बड़ा संदेश दे डाला। पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खडगे से मिलकर बाहर निकलते हुए गहलोत ने कहा – हमारे बीच कोई मतभेद नहीं हैं। राजनीति में छोटे- मोटे मतभेद चलते रहते हैं लेकिन कोई दुश्मनी नहीं होती। हम सब शुरू से मिलकर चुनाव लड़ते आए हैं। अब भी चुनाव मिलकर ही लड़ेंगे।
राजस्थान के CM अशोक गहलोत ने कहा कि हम सब मिलकर लड़ते और जीतते हैं लेकिन मुख्यमंत्री का नाम शुरू से पार्टी हाईकमान ही तय करता आ रहा है।
अगला मुख्यमंत्री कौन? इस सवाल पर गहलोत ने कहा – चुनाव हम सब मिलकर लड़ते और जीतते हैं लेकिन मुख्यमंत्री का नाम शुरू से पार्टी हाईकमान ही तय करता आ रहा है। आगे भी ऐसा ही होगा। गहलोत का यह बयान संकेत दे रहा है कि खडगे ने उन्हें मिलकर रहने और पायलट के खिलाफ तल्ख़ टिप्पणियाँ न करने के लिए कहा होगा।
बहरहाल, राजनीति में यह सब चलता रहता है। चुनाव क़रीब आते आते ये सरगर्मियाँ और भी तेज होंगी। ईडी, सीबीआई की छापेमारी भी और नेताओं की दोस्ती- दुश्मनी का दौर भी। हर सत्ताधारी पार्टी हमेशा से विपक्ष को कमजोर करने के लिए तत्पर रहती है। इस बार भी ऐसा हो रहा है, तो इसमें नया कुछ नहीं है।
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