न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली,
Published by: प्रतिभा ज्योति
Updated Mon, 12 Jul 2021 03:07 PM IST
सार
जनसंख्या नियंत्रण को लेकर उत्तर प्रदेश सरकार की नई नीति के चर्चा के बीच केंद्र सरकार इस पर कानून लाने की तैयारी में है। राज्यसभा सांसदों के जरिए सदन में प्राइवेट मेंबर बिल पेश करके एक ऐसा दांव चला है कि जिससे कानून बनाने की तरफ बढ़ा जा सके। जल्दी ही शुरु होने वाले मानसून सत्र में इस बिल पर चर्चा होगी। इस पर वोटिंग भी कराई जा सकती है।
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राज्यसभा में पूर्ण बहुमत नहीं होने के कारण विपक्षी दलों से भी समर्थन जुटाने की कोशिश
भाजपा सांसद सुब्रमण्यम स्वामी, हरनाथ सिंह यादव और अनिल अग्रवाल ने राज्यसभा में बिल पेश किया है। बताया जा रहा है कि जल्दी ही शुरु होने वाले मानसून सत्र में इस बिल पर चर्चा होगी। इसके लिए छह अगस्त का दिन तय किया गया है और इस पर वोटिंग भी कराई जा सकती है। जानकारों का कहना है कि चाहे कानून मंत्रालय या गृह मंत्रालय कोई बिल लाए या प्राइवेट मेंबर बिल इसमें कोई अंतर नहीं आता।
सूत्रों का कहना है कि जनसंख्या नियंत्रण को लेकर कानून बनाना अब सरकार के एजेंडे में सबसे ऊपर है। इसलिए, बेशक यह प्राइवेट मेंबर बिल है लेकिन सरकार की योजना इस विधयेक को राज्यसभा से पारित कराने की है और इसके लिए विपक्षी दलों से भी समर्थन जुटाने की कवायद चल रही है। उत्तर प्रदेश सरकार की जनसंख्या नियंत्रण नीति को समर्थन देने के राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) प्रमुख शरद पवार के बयान को भी इसी संदर्भ में देख जा रहा है। किसी भी बिल का संसद के दोनों सदनों से पारित होना जरुरी है।
मैं बिल पर खुद भी विपक्षी दलों से मांगूंगा समर्थन- सांसद, अनिल अग्रवाल
प्राइवेट मेंबर बिल पेश करने वाले राज्यसभा सांसद अनिल यादव ने अमर उजाला डिजिटल से बातचीत में कहा कि प्रधानमंत्री पहले ही15 अगस्त 2019 को लालकिले की प्राचीर से जनसंख्या नियंत्रण को लेकर अपनी बात कह चुके हैं। अब समय आ गया है कि जनसंख्या नियंत्रण की नीति को अमल में लाया जाए और सभी पार्टियां दलगत राजनीति से ऊपर उठकर इस राष्ट्रीय मुद्दे पर साथ आए। उन्होंने कहा कि जनसंख्या विस्फोट जिस तरह विकास को बाधा पहुंचा रही है उससे हम आशा जताते हैं कि सभी विपक्षी पार्टियां भी इस पर एक साथ आएंगी। हम तीन सांसदों ने मिलकर इस पर प्राइवेट मेंबर बिल पेश किया है। वैसे तो राज्यसभा में हमारा पूर्ण बहुमत नहीं है इसलिए विपक्षी दलों से भी इस पर समर्थन जुटाने की कोशिश हमारा शीर्ष नेतृत्व करेगा। साथ ही मैं खुद भी विपक्षी दलों से अपने बिल को लेकर समर्थन मांगूंगा।
राकेश सिन्हा ने भी 2019 में किया था ऐसा ही बिल पेश
इससे पहले 2019 में आरएसएस विचारक और राज्यसभा सासंद राकेश सिन्हा भी जनसंख्या विनियमन विधेयक, 2019′ पेश कर चुके हैं जो कि अभी लंबित पड़ा है। इसमें भी दो से ज़्यादा बच्चे पैदा करने वाले लोगों को दंडित करने और सभी सरकारी लाभों से वंचित करने का प्रस्ताव किया गाय था.
अश्विनी उपाध्याय ने तैयार किया है बिल का ड्राफ्ट, पीएमओ में 2018 में दे चुके हैं प्रेजेंटेशन
इन तीनों बिल का ड्राफ्ट सुप्रीम कोर्ट के प्रसिद्ध वकील अश्विनी उपाध्याय ने तैयार किया है। उपाध्याय ने अमर उजाला से बातचीत में कहा कि मैंने जनसंख्या नियंत्रण को लेकर बिल बनाने का एक प्रस्ताव सभी को दिया था। सुब्रमण्यम स्वामी समेत इन तीनों सांसदों ने मुझसे संपर्क किया और मैंने ड्राफ्ट बनाकर दे दिया। उनके मुताबिक लोकसभा के कुछ सांसदों ने भी उनसे इसी सिलसिले में प्राइवेट मेंबर बिल का ड्राफ्ट तैयार करने के लिए संपर्क साधा है।
अश्विनी उपाध्याय ने इसी मद्दे पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को 11 जुलाई यानी कल विश्व जनसंख्या दिवस के मौके पर एक और चिट्ठी लिखी है। उपाध्याय ने लिखा है कि जनसंख्या विस्फोट केवल उत्तर प्रदेश और असम की समस्या नहीं है बल्कि सबसे बड़ी राष्ट्रीय समस्या है। इसलिए समाधान भी राष्ट्रीय स्तर पर होना चाहिए। हरनाथ सिंह यादव, अनिल अग्रवाल और सुब्रमण्यम स्वामी ने प्राइवेट बिल पेश किया है। मैं आपसे आग्रह करता हूं कि इसी प्रकार का बिल गृह मंत्रालय या स्वास्थ्य मंत्रालय को संसद में पेश करने का निर्देश दें। उपाध्याय इससे पहले भी पीएमओ को इसी सिलसिले में पत्र लिख कर कानून बनाने का आग्रह कर चुके हैं। उन्होंने 2018 में प्रधानमंत्री कार्यालय में जनसंख्या नियंत्रण को लेकर प्रेजेंटशन भी दिया था।
बिल में जनसंख्या नियंत्रण रखने के कई प्रावधान
इस बिल में जनसंख्या नियंत्रण को प्रोत्साहित करने के लिए कई प्रावधान किए जाने की सिफारिश की गई है। प्रस्ताव के मुताबिक अगर कोई दंपती दो बच्चा पैदा करता है तो उसके लिए कोई अतिरिक्त छूट या लाभ नहीं दिया जाएगा। दो से ज्यादा बच्चा पैदा करने पर सरकारी नौकरी छीनने और मतदान करने, चुनाव लड़ने और राजनीतिक पार्टी बनाने के अधिकार को समाप्त करने की बात कही गई है। ड्राफ्ट में एक बच्चा नीति को प्रोत्साहित करने के लिए कई प्रावधान किए गए हैं। बिल में दो से अधिक बच्चा पैदा करने पर व्यक्ति के मूल अधिकार में कटौती की कोई बात नहीं कही गई है, लेकिन उसके पार्टी बनाने, चुनाव लड़ने या मतदान करने के कानूनी अधिकार को समाप्त करने की बात जरुर शामिल है।
विस्तार
राज्यसभा में पूर्ण बहुमत नहीं होने के कारण विपक्षी दलों से भी समर्थन जुटाने की कोशिश
भाजपा सांसद सुब्रमण्यम स्वामी, हरनाथ सिंह यादव और अनिल अग्रवाल ने राज्यसभा में बिल पेश किया है। बताया जा रहा है कि जल्दी ही शुरु होने वाले मानसून सत्र में इस बिल पर चर्चा होगी। इसके लिए छह अगस्त का दिन तय किया गया है और इस पर वोटिंग भी कराई जा सकती है। जानकारों का कहना है कि चाहे कानून मंत्रालय या गृह मंत्रालय कोई बिल लाए या प्राइवेट मेंबर बिल इसमें कोई अंतर नहीं आता।
सूत्रों का कहना है कि जनसंख्या नियंत्रण को लेकर कानून बनाना अब सरकार के एजेंडे में सबसे ऊपर है। इसलिए, बेशक यह प्राइवेट मेंबर बिल है लेकिन सरकार की योजना इस विधयेक को राज्यसभा से पारित कराने की है और इसके लिए विपक्षी दलों से भी समर्थन जुटाने की कवायद चल रही है। उत्तर प्रदेश सरकार की जनसंख्या नियंत्रण नीति को समर्थन देने के राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) प्रमुख शरद पवार के बयान को भी इसी संदर्भ में देख जा रहा है। किसी भी बिल का संसद के दोनों सदनों से पारित होना जरुरी है।
मैं बिल पर खुद भी विपक्षी दलों से मांगूंगा समर्थन- सांसद, अनिल अग्रवाल
प्राइवेट मेंबर बिल पेश करने वाले राज्यसभा सांसद अनिल यादव ने अमर उजाला डिजिटल से बातचीत में कहा कि प्रधानमंत्री पहले ही15 अगस्त 2019 को लालकिले की प्राचीर से जनसंख्या नियंत्रण को लेकर अपनी बात कह चुके हैं। अब समय आ गया है कि जनसंख्या नियंत्रण की नीति को अमल में लाया जाए और सभी पार्टियां दलगत राजनीति से ऊपर उठकर इस राष्ट्रीय मुद्दे पर साथ आए। उन्होंने कहा कि जनसंख्या विस्फोट जिस तरह विकास को बाधा पहुंचा रही है उससे हम आशा जताते हैं कि सभी विपक्षी पार्टियां भी इस पर एक साथ आएंगी। हम तीन सांसदों ने मिलकर इस पर प्राइवेट मेंबर बिल पेश किया है। वैसे तो राज्यसभा में हमारा पूर्ण बहुमत नहीं है इसलिए विपक्षी दलों से भी इस पर समर्थन जुटाने की कोशिश हमारा शीर्ष नेतृत्व करेगा। साथ ही मैं खुद भी विपक्षी दलों से अपने बिल को लेकर समर्थन मांगूंगा।
राकेश सिन्हा ने भी 2019 में किया था ऐसा ही बिल पेश
इससे पहले 2019 में आरएसएस विचारक और राज्यसभा सासंद राकेश सिन्हा भी जनसंख्या विनियमन विधेयक, 2019′ पेश कर चुके हैं जो कि अभी लंबित पड़ा है। इसमें भी दो से ज़्यादा बच्चे पैदा करने वाले लोगों को दंडित करने और सभी सरकारी लाभों से वंचित करने का प्रस्ताव किया गाय था.
अश्विनी उपाध्याय ने तैयार किया है बिल का ड्राफ्ट, पीएमओ में 2018 में दे चुके हैं प्रेजेंटेशन
इन तीनों बिल का ड्राफ्ट सुप्रीम कोर्ट के प्रसिद्ध वकील अश्विनी उपाध्याय ने तैयार किया है। उपाध्याय ने अमर उजाला से बातचीत में कहा कि मैंने जनसंख्या नियंत्रण को लेकर बिल बनाने का एक प्रस्ताव सभी को दिया था। सुब्रमण्यम स्वामी समेत इन तीनों सांसदों ने मुझसे संपर्क किया और मैंने ड्राफ्ट बनाकर दे दिया। उनके मुताबिक लोकसभा के कुछ सांसदों ने भी उनसे इसी सिलसिले में प्राइवेट मेंबर बिल का ड्राफ्ट तैयार करने के लिए संपर्क साधा है।
अश्विनी उपाध्याय ने इसी मद्दे पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को 11 जुलाई यानी कल विश्व जनसंख्या दिवस के मौके पर एक और चिट्ठी लिखी है। उपाध्याय ने लिखा है कि जनसंख्या विस्फोट केवल उत्तर प्रदेश और असम की समस्या नहीं है बल्कि सबसे बड़ी राष्ट्रीय समस्या है। इसलिए समाधान भी राष्ट्रीय स्तर पर होना चाहिए। हरनाथ सिंह यादव, अनिल अग्रवाल और सुब्रमण्यम स्वामी ने प्राइवेट बिल पेश किया है। मैं आपसे आग्रह करता हूं कि इसी प्रकार का बिल गृह मंत्रालय या स्वास्थ्य मंत्रालय को संसद में पेश करने का निर्देश दें। उपाध्याय इससे पहले भी पीएमओ को इसी सिलसिले में पत्र लिख कर कानून बनाने का आग्रह कर चुके हैं। उन्होंने 2018 में प्रधानमंत्री कार्यालय में जनसंख्या नियंत्रण को लेकर प्रेजेंटशन भी दिया था।
बिल में जनसंख्या नियंत्रण रखने के कई प्रावधान
इस बिल में जनसंख्या नियंत्रण को प्रोत्साहित करने के लिए कई प्रावधान किए जाने की सिफारिश की गई है। प्रस्ताव के मुताबिक अगर कोई दंपती दो बच्चा पैदा करता है तो उसके लिए कोई अतिरिक्त छूट या लाभ नहीं दिया जाएगा। दो से ज्यादा बच्चा पैदा करने पर सरकारी नौकरी छीनने और मतदान करने, चुनाव लड़ने और राजनीतिक पार्टी बनाने के अधिकार को समाप्त करने की बात कही गई है। ड्राफ्ट में एक बच्चा नीति को प्रोत्साहित करने के लिए कई प्रावधान किए गए हैं। बिल में दो से अधिक बच्चा पैदा करने पर व्यक्ति के मूल अधिकार में कटौती की कोई बात नहीं कही गई है, लेकिन उसके पार्टी बनाने, चुनाव लड़ने या मतदान करने के कानूनी अधिकार को समाप्त करने की बात जरुर शामिल है।
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